भैयालाल धाकड़
विदिशा // 38वीं मप्र युवा वैज्ञानिक कांग्रेस एवं साइंस फेस्टिवल में आये विशेषज्ञ त्रिभुवननाथ शर्मा ने कहा मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और एसएटीआई कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 38वीं मप्र युवा वैज्ञानिक कांग्रेस एवं साइंस फेस्टिवल के दूसरे दिन शनिवार को विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों पर चर्चा हुई। ब्रम्होस एयर स्पेश इंडिया-रशिया ज्वाइंट वेंचर के हेडक्वार्टर दिल्ली से आए सिस्टम मैंनेजर त्रिभुवननाथ शर्मा ने ब्रम्होस मिसाइल के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सुपर सोनिक ब्रम्होस मिसाइल का अभी वजन तीन टन है। इसकी हाइट आठ मीटर है और इसकी मारक क्षमता 300 किमी है। इसका वजन और हाइट ज्यादा होने के कारण यह मिसाइल सुखोई विमान में लगाकर दुश्मन के ठिकाने तक नहीं ले जाई जा सकती। इसलिए दिल्ली स्थित ब्रम्होस एयर स्पेश इंडिया-रशिया ज्वाइंट वेंचर के हेडक्वार्टर में इसके वजन और लम्बाई को कम करने पर रिसर्च चल रही है जिससे इसे जमीन के साथ ही हवा और पानी में भी हमला करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से हुआ शोधपत्रों का प्रजेंटेशन
देशभर से आए शाधकर्ताओं ने शोधपत्र प्रस्तुत किये। इस दौरान कुछ प्रतिभागियों ने ऑनलाइन प्रजेंटेशन भी दिया। रिसर्च पेपर प्रजेंटेशन में इंदौर के परमाणु ऊर्जा विभाग अनुसंधान संकुल, आरआरसीएटीए आईआईटी, डीएवीवी, एमवीएम, भोपाल के आईआईएसईआर एआईएमएस, एएमपीआरआई, आईसीएके, एमएएनआईटी, आरजीपीवी, ग्वालियर के एएमआईटीवाय, जबलपुर के जेएनकेवी, पीडीपीएम, सागर के हरिसिंह गौर यूनिवर्सिटी, एसएटीआई विदिशा सहित अनेक संस्थाओं के शोधार्थियों ने अपने-अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए।
ब्रम्होस मिसाइल बनी आकर्षण का केन्द्र
फेस्टिवल के दौरान लगाई गई विशेष प्रदर्शनी में ब्रम्होस मिसाइल के मॉडल को करीब से देख बच्चे आकर्षित हुए। प्रदर्शनी में ब्रम्होस मिसाइल के मॉडल के साथ ही इसे एयरक्रॉफ्ट सुखोई विमान में लगा मॉडल, जहाज के द्वारा ले जाते हुए और मिलेट्री वाहन से ले जाते हुए अलग-अलग मॉडल में दिखाया गया। वहीं बड़ी एलईडी पर इसका डेमो भी चल रहा था।
क्लीन एनर्जी-ग्रीन एनर्जी चलित प्रदर्शनी
रीजनल साइंस सेंटर फॉर भोपाल से आए क्लीन एनर्जी-ग्रीन एनर्जी नामक चलित विज्ञान प्रदशर्नी वाहन में भीतर दोनों तरफ और बाहर की तरफ करीब तीन दर्जन विज्ञान के चमत्कार को दिखाने वाले माडॅल लगे हुए थे। जिसमें एक माडॅल में बताया गया कि किस तरह कोई भी व्यक्ति बायें हाथ से कॉपर पाइप और दायें हाथ से एल्युमिनियम का पाइप पकड़कर बिजली उत्पन कर सकता है। इस मॉडल पर अपने दोनों हाथों से बिजली उत्पादन क्षमता देखने लोगों की भीड़ लगी रही। वहीं एक मॉडल में पवन चक्की के संबंध में तो अन्य मॉडल मंथ उछलने वाली चकती, सौर ऊर्जा निर्माण, रासायनिक ऊर्जा निर्माण, यांत्रिक ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा बनाना, विकिरण ऊर्जा निर्माण आदि के संबंध में मॉडल के माध्यम से विस्तार से प्रैक्टिकली बताया गया। वहीं विज्ञान संबंधी प्रश्नोत्तरी भी एक मॉडल में बताई गई थी। जिसके प्रत्येक प्रश्न का सही जवाब देने पर 10 अंक मिल रहे थे।
तारामंडल और ब्रम्हांड की जानकारी मिली
इस विज्ञान महोत्सव में लोगों को पता चला कि दुनिया में जो हमें दिखता है सिर्फ वही एक चांद नहीं दुनिया में कई चांद और मौजूद हैं। इनमें बृहस्पती गृह के पास जहां अपने 68 चांद हैं, तो शनि गृह पर 48 और इसी तरह अन्य चांद ब्रम्हांड में मौजूद हैं। कैलाश सत्यार्थी हॉल में रखे विभिन्न विज्ञान मॉडल के साथ ही तारामंडल और ब्रम्हांड की यह जानकारी नागरिकों को दी गई। यहां कपड़े से बॉल के बड़े आकार वायु से फूला हुआ गो टू प्लेनेट नाम से एक मॉडल बनाया गया जिसके भीतर करीब दर्जनभर लोगों के बैठने का इंतजाम था। इसमें चारों तरफ अंधेरा रहता है। इसमें रखे एक प्रोजेक्टर के माध्यमसे ब्रम्हांड की उत्पत्ति और तारा मंडल, आकाश गंगा, सहित पृथ्वी, सूर्य, शनि आदि के संबंध में करीब 10 मिनिट की डॉक्यूमेट्री फिल्म के माध्यम से विस्तार से बताया गया।
बच्चों को बताईं विज्ञान की बारीकियां
इस विज्ञान महोत्सव में विभिन्न स्कूल के विद्यार्थियों को बुलाया गया था। जिन्हें वर्कशॉप के माध्यम से विज्ञान की बारीकियां बताई गईं और विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान भी विषय विशेषज्ञों द्वारा किया गया। इस दौरान कई सरकारी और निजी स्कूल के विद्यार्थी शामिल हुए।
लकड़ी की लालटेन और मिट्टी की बॉटल रही आकर्षण का केंद्र
एसएटीआई परिसर में अलग-अलग शहरों से आये कलाकारों ने अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया। मप्र हस्त शिल्प एंड हथकरघा निगम भोपाल से आईं नीतू जाट द्वारा जूट शिल्प का प्रदर्शन किया गया। जिसमें जूट से बनी विभिन्न सामग्री प्रदर्शनी में रखी गई थीं। वहीं होशंगाबाद से आए निसार अहमद ने वुडन क्रॉफ्ट पर प्रदर्शनी का आयोजन किया। जिसमें लकड़ी के बने लालटेन सहित अन्य सामान सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। इसी प्रकार टेरेकोटा वर्क के तहत सुहागपुर होशंगाबाद से आए हेमंत प्रजापति ने मिट्टी से बनी पानी की बॉटल, लैंप सहित कई सामान की प्रदशर्नी लगाई, जिन्हें सभी ने खूब सराहा। इसी प्रकार बांस के प्रोडक्ट, मिट्टी के खिलौने सहित करीब दो दर्जन से अधिक प्रदशर्नी लगी हुई थीं।
कॉपर और एल्युमिनियम के पाइप पकड़कर बना रहे थे बिजली
नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम की तरफ से रीजनल साइंस सेंटर भोपाल से क्लीन एनर्जी ग्रीन एनर्जी नामक चलित विज्ञान प्रदशर्नी वाहन आया हुआ था। जिसमें विज्ञान की कई विधाओं की प्रदर्शनी आयोजित की गई थीं। जिन्हें देखने बड़ी संख्या में विद्यार्थियों की भीड़ उमड़ी। जिसमें एक प्रदर्शनी में बताया गया था कि किस तरह हाथ से बिजली बनाई जा सकती है। इसमें बताया गया था कि किस तरह किस तरह कॉपर और एल्मुनियम के दोनों पाइपों को अलग-अलग हाथ से पकडने से बिजली जनरेट होती है। चुम्बकीय प्रतिकर्षण, सौर ऊर्जा, जैव भार ऊर्जा, पवन ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा, ऊर्जा की आवश्यकता और गणना, विकिरण ऊर्जा सहित कई विज्ञान के अचंभित कर देने वाले मॉडल इसमें रखे हुए थे।
बच्चों के लिए लगाई विशेष प्रदर्शनी
मेपकास्ट की ओर से विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। कोर्डिनेटर निरंजन शर्मा एवं शिवनारायण रजक, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि परिषद ने फिजिक्स के सिद्धांतों पर आधारित खिलौने तैयार किये हैं जिन्हें बच्चे बहुत पसंद कर रहे हैं। इसमें आर्टिकल टेबिल, वैल्यू ऑफ पाई, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक टेलीस्कोप, फ्रोजेन शेडो, टेन ग्राम, डबल पेरी स्कोप जैसे 16 गेम्स बच्चों के लिए डिस्प्ले किये गये है। रजक ने बताया कि हमारा उद्देश्य है लर्न और फन के माध्यम से बच्चों को फिजिक्स की बारीकियां बताना।
साइंस फिल्म मेकिंग बाय मोबाइल कार्यशाला
महोत्सव में साइंस फिल्म मेकिंग बाय मोबाइल कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें लगभग 90 प्रतिभागियों ने भाग लिया रिसोर्स पर्सन के रुप में डॉक्टर सुधीर और राजू कुमार ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। सुधीर कुमार ने स्क्रिप्ट राइटिंग के बारे में विद्यार्थियों से विस्तृत रूप से चर्चा की गई। राजीव कुमार ने विद्यार्थियों को मोबाइल के द्वारा किस तरह से साइंस फिल्मों का निर्माण किया जाता है इसके बारे में विस्तृत जानकारी लाइव डेमोस्ट्रेशन के माध्यम से दी कार्यशाला में मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डाॕ. अनिल कोठारी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए इस उन्नत तकनीकी के माध्यम से साइंस फिल्म निर्माण के बारे में जानकारी प्रदान की गई।
युवा वैज्ञानिकों की जिज्ञासाओं के लिए समाधान
नेशनल इंस्टीटयूट आफ डिजाइन भोपाल डॉ धीरज, एनपीटीआई फरीदाबाद डीजी डॉ तृप्ता ठाकुर, भोपाल के भुवनेश साहू, आकाश ठाकुर, प्रवीण रामदास, डॉ साकेत सिंह कौरव सहित कई जाने माने विषय विशेषज्ञों ने फेस टू फेस इंट्रेक्शन में विद्यार्थियों की जिज्ञासा का समाधान किया किया और उनके प्रश्नों के समाधान किए गए। वहीं शाम सात बजे ओपन मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान विद्यार्थियों के साथ ही देशभर से आए शोधकर्ताओं और युवा वैज्ञानिकों ने भी रंगारंग प्रस्तुतियां दीं।
पुरस्कार वितरण के साथ आज होगा समापन
तीन दिवसीय इस महोत्सव का समापन आज रविवार को पुरस्कार वितरण के साथ होगा। सुबह साढ़े दस बजे से जहां विज्ञान प्रदर्शनियों का आयोजन होगा। वहीं इसके साथ ही विज्ञान वर्कशॉप, विशेषज्ञों से सीधा संवाद, वैज्ञानिक मॉडल प्रतियोगिता और डिजिटल प्लेनेटेरियम के साथ ही साढ़े ग्यारह बजे पुरस्कार वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन होगा।