1. प्रारंभिक जीवन और जन्म
चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म लगभग 340 ईसा पूर्व में माना जाता है। उनकी जन्मस्थली को लेकर मतभेद हैं, किंतु अधिकतर इतिहासकारों का मानना है कि वे मगध या पंजाब क्षेत्र में जन्मे थे।
उनके वंश को लेकर भी विभिन्न मत हैं:
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कुछ मानते हैं कि वे मौर्य जनजाति से थे, जो क्षत्रिय जाति की उपशाखा थी।
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वहीं कुछ जैन और बौद्ध ग्रंथों में उन्हें एक साधारण परिवार से उत्पन्न बताया गया है।
बाल्यकाल में उन्होंने बहुत गरीबी और अपमान का सामना किया।
उनकी प्रतिभा, साहस और आत्मबल को चाणक्य ने पहचाना और उन्हें शिष्य बना लिया।
2. चाणक्य से मिलन: परिवर्तन की शुरुआत
आचार्य चाणक्य (विष्णुगुप्त) एक महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। वे नंद वंश के अत्याचार और भ्रष्टाचार से दुखी थे।
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चाणक्य ने भविष्यवाणी की थी कि एक दिन यही बालक भारत का सम्राट बनेगा।
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उन्होंने चंद्रगुप्त को राजनीति, युद्धनीति, अर्थशास्त्र और प्रशासन की शिक्षा दी।
चंद्रगुप्त ने चाणक्य के नेतृत्व में गुरिल्ला युद्ध शैली सीखी और एक शक्तिशाली सैन्य बल खड़ा किया।
3. मगध विजय और मौर्य साम्राज्य की स्थापना
नंद वंश का पतन:
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धनानंद, नंद वंश का अंतिम शासक, जनता के बीच अत्यंत अलोकप्रिय था।
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चंद्रगुप्त और चाणक्य ने एक योजनाबद्ध विद्रोह किया।
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कई प्रयासों के बाद उन्होंने मगध पर विजय प्राप्त की।
ईसा पूर्व 321 में, चंद्रगुप्त ने मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में मौर्य साम्राज्य की नींव रखी।
4. यूनानी आक्रमण और सेल्यूकस से संघर्ष
सिकंदर महान के भारत छोड़ने के बाद उसके सेनापति सेल्यूकस निकेटर ने उत्तर-पश्चिम भारत में अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश की।
चंद्रगुप्त बनाम सेल्यूकस:
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चंद्रगुप्त ने उसे युद्ध में पराजित किया।
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इसके बाद एक ऐतिहासिक संधि हुई:
संधि की शर्तें:
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सेल्यूकस ने भारत का एक बड़ा भाग (पश्चिमोत्तर क्षेत्र) चंद्रगुप्त को दे दिया।
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बदले में चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी दिए।
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सेल्यूकस ने अपनी बेटी हेलेना का विवाह चंद्रगुप्त से किया।
यह भारत की पहली कूटनीतिक जीतों में से एक थी।
5. मौर्य साम्राज्य का विस्तार
चंद्रगुप्त ने अपने शासनकाल में भारत के लगभग पूरे भूभाग को एक छत्र सत्ता में संगठित कर दिया।
साम्राज्य की सीमाएँ:
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पश्चिम में ईरान की सीमा तक
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उत्तर में हिमालय की तलहटी तक
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दक्षिण में नर्मदा नदी तक
यह भारत का पहला “साम्राज्यवादी एकीकरण” था।
6. शासन व्यवस्था और प्रशासन
चंद्रगुप्त का शासन चाणक्य द्वारा रचित ‘अर्थशास्त्र’ पर आधारित था, जिसमें हर नीति, कर व्यवस्था, सुरक्षा, प्रशासन, और न्याय का विस्तृत उल्लेख था।
प्रशासनिक विशेषताएँ:
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केंद्र में सम्राट और मंत्रिपरिषद
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प्रांतों में कुमार (राजकुमार) या राज्यपाल
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कर संग्रह व्यवस्था
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गुप्तचर (जासूसी) तंत्र
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जनकल्याण योजनाएँ
उनकी सेना भारत की अब तक की सबसे संगठित और बड़ी सेनाओं में मानी जाती है।
7. जैन धर्म में रुचि और संन्यास
शासन के अंतिम चरण में चंद्रगुप्त धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन की ओर मुड़े।
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उन्होंने जैन धर्म अपनाया।
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जैन संत भद्रबाहु के साथ दक्षिण भारत चले गए।
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उन्होंने कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में कठोर तपस्या की।
मृत्यु:
जैन परंपरा के अनुसार, उन्होंने संलेखना व्रत (आखिरी समय में अन्न-जल त्याग कर मृत्यु) का पालन करते हुए देह त्याग दी।
यह घटना लगभग 297 ईसा पूर्व मानी जाती है।
8. चंद्रगुप्त मौर्य की उपलब्धियाँ
क्षेत्र | योगदान |
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राजनीति | भारत का पहला एकीकृत साम्राज्य |
युद्धनीति | यूनानी सेनाओं को पराजित किया |
प्रशासन | संगठित और अनुशासित शासन प्रणाली |
धर्म | जैन धर्म का पालन और प्रचार |
कूटनीति | सेल्यूकस के साथ समझौता और वैवाहिक संबंध |
निष्कर्ष (Conclusion)
चंद्रगुप्त मौर्य भारतीय इतिहास के सबसे महान सम्राटों में गिने जाते हैं। उनका जीवन एक साधारण बालक से एक शक्तिशाली सम्राट बनने की प्रेरणादायक कहानी है।
उन्होंने भारत को राजनीतिक एकता, सामरिक शक्ति और प्रशासनिक व्यवस्था का अद्भुत उदाहरण दिया।
उनके गुरु चाणक्य और उनका संबंध यह दर्शाता है कि दृढ़ संकल्प, उचित मार्गदर्शन और दूरदर्शिता से कुछ भी संभव है।
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