चार्ल्स शोभराज—ये नाम सुनते ही एक ऐसे शातिर अपराधी की छवि सामने आती है, जो 1970 के दशक में पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में विदेशी सैलानियों को अपना शिकार बनाता था। अपनी चालाकी, रहस्यमयी व्यक्तित्व और बार-बार कानून से बच निकलने की कला के कारण वह “द सर्पेंट” यानी “सांप” कहलाया। आज भी चार्ल्स शोभराज की कहानी लोगों को उतनी ही हैरानी और रोमांच से भर देती है जितनी उस दौर में देती थी।
इस लेख में हम जानेंगे चार्ल्स शोभराज का जीवन, उसके खौफनाक अपराध, बार-बार जेल से भाग निकलने के किस्से, और हाल ही में आई नेटफ्लिक्स सीरीज़ Black Warrant में उसके किरदार को लेकर बनी चर्चाओं के बारे में।
शुरुआती जीवन: अस्थिरता से अपराध तक
चार्ल्स शोभराज का जन्म 1944 में वियतनाम के साइगॉन (अब हो ची मिन्ह सिटी) में हुआ था। उसकी मां वियतनामी थीं और पिता एक भारतीय डिप्लोमैट। जब वह छोटा था, उसके माता-पिता अलग हो गए, जिससे उसका बचपन अस्थिरता और असुरक्षा में बीता।
बचपन से ही उसने अलग-अलग देशों की यात्रा शुरू कर दी थी। यह घुमक्कड़ी जीवनशैली और विभिन्न भाषाओं व संस्कृतियों की समझ ही बाद में उसके अपराधों की सबसे बड़ी ताकत बनी। वह हर जगह जल्दी घुल-मिल जाता और लोगों का विश्वास जीत लेता।
“द सर्पेंट” का उदय: एक चालाक शिकारी
1970 के दशक में जब दक्षिण-पूर्व एशिया में “हिप्पी ट्रेल” का चलन था और पश्चिमी देशों के युवा भारत, नेपाल, थाईलैंड जैसे देशों में आत्मिक अनुभवों की खोज में आते थे, तब चार्ल्स शोभराज ने इन्हें ही अपना शिकार बनाना शुरू किया।
वह खुद को कभी गाइड, कभी रईस बिजनेसमैन और कभी विदेशी डिप्लोमैट बताकर सैलानियों से दोस्ती करता। फिर अपने गिरोह के साथ मिलकर उन्हें सस्ते होटल, नशे के पदार्थ और लोकल जानकारी देने के बहाने जाल में फंसाता। उसकी सबसे करीबी सहयोगी थी—कनाडाई गर्लफ्रेंड, मेरी-आंद्रे लेक्लेर।
झूठ, धोखा और कत्ल की कहानियां
चार्ल्स शोभराज और उसके गिरोह ने सैकड़ों विदेशी सैलानियों को लूटा और कई को मौत के घाट उतारा। आइए, उसके अपराधों की मुख्य बातें जानें:
मोडस ऑपरेंडी (अपराध का तरीका): पहले वह सैलानियों से दोस्ती करता, फिर उन्हें खाने-पीने में नशीली दवाइयां मिलाकर बेहोश करता। जब वे बेहोश हो जाते, तो उन्हें लूट लिया जाता। कई बार, सबूत छुपाने के लिए उनकी हत्या कर दी जाती।
बिकिनी किलिंग्स: 1975-76 के बीच थाईलैंड में कई विदेशी युवतियों की लाशें मिलीं, जो बिकिनी में थीं। इन हत्याओं को “बिकिनी किलिंग्स” कहा गया, और इन सब में चार्ल्स शोभराज का नाम सामने आया।
कानून से बचने की कला: शोभराज बार-बार पुलिस से बच निकलता। वह नकली पासपोर्ट, बदले हुए नाम और रिश्वत जैसे हथकंडों से कानून को चकमा देता रहा। भारत और नेपाल की जेलों से उसका भाग जाना उसकी चालाकी की मिसाल बन गया।
गिरफ्तारी और कैद: मगर कहानी खत्म नहीं हुई
1976 में, भारत में एक होटल में जहरीला खाना खिलाकर फ्रांसिसी पर्यटकों को लूटने की कोशिश करते समय वह पकड़ लिया गया। उसे हत्या का दोषी पाया गया और तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा हुई।
तिहाड़ की सलाखों के पीछे भी चार्ल्स शोभराज का करिश्मा कम नहीं हुआ। वह जेल में भी अधिकारियों को प्रभावित करता रहा और खूब सुर्खियों में बना रहा।
रिहाई और फिर गिरफ्तारी: नेपाल में मिला असली इंसाफ
1997 में वह भारत में सजा पूरी करके रिहा हुआ और फ्रांस चला गया। लेकिन 2003 में वह नेपाल गया, जहाँ 1975 में की गई एक अमेरिकी महिला की हत्या के पुराने केस में उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
2004 में नेपाल की अदालत ने चार्ल्स शोभराज को उम्रकैद की सजा सुनाई, और तब से वह वहीं जेल में बंद है।
‘ब्लैक वारंट’ में चार्ल्स शोभराज: जेल की दीवारों के पीछे की कहानी
नेटफ्लिक्स की सीरीज़ Black Warrant में चार्ल्स शोभराज को एक नए अंदाज़ में दिखाया गया है। यह कहानी एक नए जेल अधिकारी की नजरों से बताती है कि कैसे तिहाड़ जैसे जेल में भी शोभराज एक “राजा” की तरह व्यवहार करता था।
सीरीज़ में दिखाया गया है कि कैसे उसकी चालबाजियां, बातचीत की कला और प्रभावशाली व्यक्तित्व जेल में भी बाकी कैदियों और अफसरों पर भारी पड़ती थी। उसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव, लोगों को प्रभावित करने की क्षमता और ठंडे दिमाग से सोचने की ताकत उसे एक डरावना लेकिन दिलचस्प किरदार बना देती है।
चार्ल्स शोभराज की विरासत: अपराध से भी बड़ा आकर्षण
चार्ल्स शोभराज की कहानी सिर्फ अपराध की नहीं है, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की है जो अपनी बुद्धिमत्ता, चालाकी और रहस्य से दुनिया को चौंकाता रहा।
कई किताबें, डॉक्यूमेंट्रीज़ और वेब सीरीज़ जैसे The Serpent और Black Warrant में उसके जीवन को दिखाया गया है।
उसकी कहानी यह सवाल उठाती है—क्या हम अपराधियों से डरते हैं, या उन्हें लेकर हमारे अंदर एक अजीब सी उत्सुकता होती है?
चार्ल्स शोभराज जैसे अपराधी यह भी दिखाते हैं कि किस तरह इंसानी आकर्षण और मनोविज्ञान का गलत इस्तेमाल करके कोई इंसान कितनी बड़ी तबाही मचा सकता है।
निष्कर्ष: एक खतरनाक लेकिन आकर्षक दास्तान
चार्ल्स शोभराज की कहानी हमें यह सिखाती है कि अपराध सिर्फ बंदूक या चाकू से नहीं होता, बल्कि मुस्कान, वाणी और चालाकी से भी हो सकता है। उसकी ज़िंदगी हमें सावधान करती है कि हमेशा सतर्क रहें, खासकर तब जब कोई “अति-सहयोगी” या “बहुत अच्छा” लगे।
आज भी चार्ल्स शोभराज का नाम सुनते ही रोमांच, डर और हैरानी का एहसास होता है। वह एक अपराधी था, लेकिन उसका रहस्यमयी व्यक्तित्व और उसकी कहानी आने वाली पीढ़ियों को यह याद दिलाती रहेगी कि किस तरह इंसान का दिमाग, अगर गलत दिशा में चल पड़े, तो वह कितना खतरनाक हो सकता है।
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