पुरुषार्थ की श्रेष्ठ आदिवासी परम्परा हलमा में सहभागी बनेंगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

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राजेंद्र राठौर

वनांचल झाबुआ की हाथीपावा पहाड़ी में हलमा के लिए फिर एकजुट होगा आदिवासी समाज

झाबुआ 18 फ़रवरी

झाबुआ-आलीराजपुर क्षेत्र की समृद्ध वनवासी परंपरा हलमा में शामिल होने के लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 26 फ़रवरी को झाबुआ पहुँचेंगे। मुख्यमंत्री चौहान हलमा में शामिल होकर श्रमदान करेंगे। कार्यक्रम में एक दिन राज्यपाल मंगूभाई पटेल के आने का कार्यक्रम भी प्रस्तावित है। संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा इस कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा की। इस वर्चुअल बैठक में शिवगंगा अभियान के महेश शर्मा सहित अन्य समाजसेवी, पुलिस महानिरीक्षक राकेश कुमार गुप्ता, कलेक्टर झाबुआ श्रीमती रजनी सिंह, पुलिस अधीक्षक झाबुआ सहित अन्य संबंधित अधिकारी शामिल हुए। बैठक में महेश शर्मा ने हलमा परम्परा के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने कहा कि हलमा परंपरा की मूल भावना को सम्मान देते हुए गरिमापूर्वक कार्यक्रम आयोजित होगा। मुख्यमंत्री चौहान ने स्वयं श्रमदान करने की इच्छा जतायी है। कलेक्टर झाबुआ श्रीमती रजनी सिंह ने इस 2 दिवसीय आयोजन के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाओं की जानकारी दी। बताया गया कि लगभग 50 हजार वनवासी बंधु इस अवसर पर सामूहिक रूप से हाथीपावा पहाड़ी पर श्रमदान करेंगे। कलेक्टर द्वारा यह भी बताया गया कि इस अवसर पर झाबुआ ज़िले में विभिन्न विकास कार्यों का भूमिपूजन और लोकार्पण कार्यक्रम भी होगा, वहीं ज़िले में विकास यात्रा तथा शिवगंगा के कार्यों से संबंधित प्रदर्शनी भी लगायी जाएगी।
जानिए कितनी समृद्ध परंपरा है हलमा
हलमा जनजाति-समाज में एक सामूहिक आयोजन को कहा जाता है। जब भी किसी परिवार या गांव क्षेत्र में कोई आपत्ति आती है या व्यक्ति को या गांव क्षेत्र को सहायता की आवश्यकता होती है तो पूरे के पूरे गांव के लोग एक जगह एकत्र होकर उसकी सहायता करते हैं। जैसे कि किसी गांव में तालाब बनाना है, कुंआ खोदना है या फिर किसी किसान के पास खेत जोतने के लिये पर्याप्त संसाधन नहीं है तो ऐसे में पूरे गांव के लोग एकत्र होकर एक साथ मिलकर उस काम को पूरा करने के लिये जुटते है और कई दिनों, महिनों के काम को कुछ ही समय में पूरा कर देते हैं। उसके बदले में कोई पारिश्रमिक नहीं लिया जाता। खुशी से व्यक्ति उन एकत्रित लोगों को नाश्ता या भोजन अपनी इच्छा शक्ति से करवा देता है। इस सामूहिक प्रयास को ही हलमा कहा जाता है।
इस वर्ष शिवगंगा के तहत झाबुआ में 25 व 26 फरवरी को दो दिवसीय हलमा का आयोजन किया जा रहा है। झाबुआ के हाथीपावा क्षेत्र की पहाड़ी पर पर्यावरण संरक्षण और जल संवर्धन के कार्य को एक साथ हजारों आदिवासी गैती, फावड़ा, तगाड़ी लेकर अंजाम देंगे और हजारों की संख्या में कंटूर ट्रेचिंग पहाड़ी पर खोदेंगे, जिससे की बारिश में जल को रोका जा सके और झाबुआ के तालाबों व लोगों को पर्याप्त पानी मिल सके। ऐसा करने से ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ जाता है। इसी के साथ में इस पूरे पहाड़ी क्षेत्र में बड़ी संख्या में वृक्ष लगाये जा रहे हैं। यह कार्य पिछले लंबे समय से किया जा रहा है, जिसके कारण आज हाथीपावा पहाड़ी क्षेत्र विकसित वन के रूप में पल्लवीत हो रहा है। वहीं यहां कई प्रकार के वन्य जीव जंतु भी रहने लगे है, जिनमें तेंदुआ, मोर, लोमड़ी, हिरन, नीलगाय, बंदर आदि जानवर शामिल हैं।

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