चीन ने जिन देशों को अपने जाल में फंसाया है। उनमें से ज्यादातर भारत के मित्र देश है। ऐसे में भारत ने मदद का भरोसा दिलाया है।
China Debt Diplomacy : 75 देश आये चीन की लोन Scam के झांसे में, भारत का साथ
China loan scam : बॉलीवुड फिल्मों में अक्सर आ पने देखा होगा कि एक साहूकार पहले तो गरीब लोगों को खूब पैसे देता है। और जब वो कर्ज के बोझ तले दब जाता है तो साहूकार उसकी जमीनों पर कब्जा कर लेता है। असल दुनिया में भी ठीक ऐसा ही होता है। और ऐसा करने वाला एक मात्र देश चीन है। चीन को दुनिया का भू माफिया देश कहा जाता है। जो पहले गरीब देशों को कर्ज देता है। फिर उनकी जमीनों और उनकी फेमस धरोहरों पर कब्जा करता है। चीन ने जाल में 75 देश ऐसे ही फंस गए हैं। चीन इन देशों से अब कर्ज में दिए गए पैसे को वापस मांग रहा है। 75 देशों ने चीन से कर्ज बेल्ट एंड इनिशिएटिव के तहत लिया था। जो अब चुकाने में असमर्थ है।
75 देशों को कितना चुकाना है कर्ज
ऑस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टीट्यूट ( lowy institute) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2025 में 75 देशों को चीन का कुल 25अरब डॉलर यानी 2 लाख करोड़ का कर्ज चुकाना है। अगर यह कर्ज चुकाने में सक्षम होते है। तो इन देशों की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचा चरमरा सकता है। सोचने वाली बात ये है कि इन देशों में पाकिस्तान भी शामिल है। वहीं रिसर्च में यह भी पता चला है कि वर्तमान समय में 75 कर्ज वाले देशों स्वास्थ्य, शिक्षा और जलवायु वित्तपोषण पहले से ही खराब है। जानकर मानते मानते हैं कि यह कर्ज अब धीरे – धीरे आर्थिक सहयोग नहीं बल्कि कूटनीतिक हथियार के रूप में बदलता दिख रहा है। इतना भारी भरकम कर्ज चुकाना इन देशों के लिए आसान नहीं होगा।
क्या है चीन के कर्ज का पूरा मामला
चीन की साम्राज्यवादी कर्ज नीति कोई नई नहीं है। चीन के अस्तित्व में आने के बाद से ही ये नीति चलती रही है। पहले वो कर्ज देता है। फिर उस देश को गुलाम बनाता है। बीआरआई के तहत चीन ने साल 2008 से लेकर 2021 तक 240 अरब डॉलर की बेलआउट सहायता दी। चीन ने दुनिया के 75 देशों को अपने जाल में फंसाया। जो चीन कभी कर्ज देने वाला मसीहा था। वो आज वसूली करने वाला गुंडा है। चीन ने बड़ी चालाकी से इन देशों को ऋण देना बंद कर दिया था। जब इन देशों की अर्थव्यवस्था बिखर रही थी। और तब से चीन इन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। चीन के कर्ज में जो देश फंसे है वो मंगोलिया, लाओस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, श्री लंका , बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, शामिल है।
चीन कैसे बना दुनिया का साहूकार
चीन के कर्जनीति के पीछे राजनायिक लाभ होता है। जिन देशों ने अपने संबंध ताइवान से तोड़कर बीजिंग को मान्यता दी। चीन ने उन्हें कर्ज दे दिया। इसके बाद उन पर कर्ज का बोझ डालता गया। ऐसा नहीं है कि चीन के ऊपर कर्ज नहीं है। एक रिपोर्ट के अनुसार चीन पर 365 अरब डॉलर कर्ज है। लेकिन इसके बावजूद चीन की अर्थव्यवस्था कमजोर नहीं पड़ी है। चीन दुनिया में कर्ज का बादशाह ऐसे ही नहीं बना। उसने पहले बेल्ट एंड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट के तहत 50 इन देशों को इंफ्रास्ट्रक्चर, पॉवर प्रोजेक्ट और बंदरगाहों के लिए भारी कर्ज दिया। उन पर इतनी शर्ते थोप दी कि वो देश कर्ज के बोझ फंसते चले गए। श्री लंका का हंबनटोटा बंदरगाह इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जिसे 99 साल की लीज पर चीन को देना पड़ा।
चीन का कर्ज भारत के लिए कैसे खतरा बना
चीन की कर्जनिति में सिर्फ अफ्रीकी और यूरोपीय देश नहीं शामिल बल्कि भारत के पड़ोसी देश नेपाल, मालदीव, श्री लंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश भी शामिल है। जिन्होंने भारी संख्या में चीन से कर्ज लिया है। और अब चीन अपना पैसा मांगने के लिए इन पर दबाव बना रहा है। जानकर मानते है कि इतनी जल्दी ये देश चीन का कर्ज तो नहीं चुका पाएंगे। ऐसे में चीन इन देशों में अपनी धाक जमा सकता है। वो भारत से लगने वाली सीमाओं पर कर्ज माफी के बदले कुछ प्रोजेक्ट बना सकता है। जो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा होगा। अब इन देशों के पास एक ही निष्कर्ष है कि ये देश IMF ( international monetary fund) की शरण में जाएं। और वहां से सस्ते ब्याज में कर्ज लेकर चीन को अदा करें। नहीं तो चीन इन देशों को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा |
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