चीन ने अरुणाचल प्रदेश में कुछ ऐसा बेहूदा कारनामा किया है। जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने मूर्खतापूर्ण कदम बताया।
चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों के नाम बदले, China Renames 11 places in Arunachal Pradesh
China Renames Places in Arunachal Pradesh: भारत के अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन की झटपटाहट कम होने का नाम नहीं ले रही है। चीन ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर इस बार कुछ ऐसा किया कि भारतीय विदेश मंत्रालय को उसके इस कदम को मूर्खतापूर्ण कहना पड़ा। दरअसल चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 27 जगहों के नाम बदल दिए। इन 27 जगहों में 15 पहाड़, 5 कस्बे , 4 पहाड़ी दर्रे, 2 नदियां और एक झील शामिल है। चीन के इस नए प्रोपेगेंडा वार ने उसी हास्यास्पद बना दिया है। चीन ने इन सभी जगहों के नाम को मैंडेरिन लैंग्वेज (चीनी भाषा) में रखें हैं। बता दें कि चीन का नाम बदलने का ये प्रोपेगेंडा कोई नया नहीं है। इससे पहले भी वो ऐसी बेतुकी हरकतें करता रहा है। पिछले 8 सालों में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 90 से ज्यादा जगहों के नाम बदलें हैं।
चीन की हरकत को भारत ने बताया मूर्खतापूर्ण, China Renames Places in Arunachal Pradesh
चीन इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। चीन ने जिन 27 जगहों के नाम बदलें हैं। उनमें 26 नाम भारत के नियंत्रण वाले इलाके में आते हैं। ( India -China Relationship) भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि चीन के नाम बदलने से जमीन की हकीकत नहीं बदलती। किसी भी स्थान के रचनात्मक नाम बदलने से अटल सत्य नहीं बदल सकता। भारत अरुणाचल प्रदेश का अभिन्न और अभिभाज्य हिस्सा है। और हमेशा रहेगा। एक बार विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को करारा जवाब देते हुए कहा था कि अगर मैं आपके घर का नाम बदल दूं तो क्या वो मेरा हो जाएगा। चीन चाहे जो नाम और जितने भी रखे हकीकत नहीं बदलेगी।
नाम बदलने की पहले भी नापाक हरकत कर चुका है चीन
भारत के अभिन्न हिस्से अरुणाचल प्रदेश का नाम बदलने को लेकर चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि हमने अरुणाचल प्रदेश, जिसे झांगनान ( दक्षिणी तिब्बती) कहता है। उसने 27 स्थानों के नए नामों की सूची जारी की है। इसमें 15 पहाड़ , 5 कस्बे (रिहायशी इलाके) 4 दर्रे, 2 नदियां और एक झील शामिल है। चीनी मंत्रालय ने आगे कहा कि इन सभी 27 स्थानों को चीनी ,तिब्बती,और रोमन पिनियन ( मैंडेरिन चीनी भाषा) में नए नाम दिए गए हैं। मंत्रालय ने मैप और लोकेशन भी जारी की है। आज से ये सभी नाम राज्य परिषद यानी उसके कैबिनेट के भौगोलिक नामों के प्रबंधन के तहत जारी किए है। सभी को इन्ही नामों से जाना जाएगा। बता दें कि चीन ने नाम बदलने का ढोंग कोई पहली बार नहीं किया है। जब उसने जबरदस्ती अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के नाम बदले हों। साल 2017 के बाद से अभी तक पांच बार नाम बदलने की सूची जारी कर चुका है। इससे पहले 2017 में 6 स्थानों के नाम बदलें, 2021 में 15 स्थान, 2023 में 11 स्थान, 2024 में सबसे ज्यादा 30 स्थान और अब 2025 में 27 स्थानों के नाम बदलें हैं। इनमें से ज्यादातर इलाके भारत के नियंत्रण में आते हैं। साल 2024 में भारतीय सेना की वॉरफेयर विंग ने 30 स्थानों की सूची जारी की थी। लेकिन सार्वजनिक तौर पर सूची जारी नही की गई थी। भारत ने कोई कार्रवाई भी नहीं की थी।
भारत पर दबाव बनाने को कोशिश में जुटा चीन
भारत – पाकिस्तान के बीच चले ऑपरेशन सिंदूर( operation Sindoor) में भारतीय जवानों और एस – 400 सिस्टम ने जिस तरह से चीनी हथियारों को तबाह किया है। उससे चीन बौखला गया है। चीन को पता है कि वो भारत आतंक के खिलाफ है और चीन ने आतंक को सपोर्ट किया है। इस वजह से दुनिया में अपनी बेज्जती नहीं करवाना चाहता। इसलिए भारत से बदला लेने के लिए उसने अरूणाचल प्रदेश की बेतुकी राजनीति का साथ लिया। चीन पहले भी अरुणाचल प्रदेश पर बुरी नजर गड़ाए रखता था।
क्या है भारत – चीन विवाद, India -China Conflict
भारत और चीन के बीच विवाद बहुत पुराना है। 20 अक्टूबर 1962 को दोनों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर युद्ध ( india – china war ) हुआ था। इसको मैकमोहन रेखा भी कहते हैं। बता दें कि यह रेखा अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत से अलग करती है। चीन इसे मान्यता नहीं देता है बल्कि अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बती का हिस्सा मानता है। 1962 में जब युद्ध हुआ तो दोनों सेनाएं एक – दूसरे के सामने आ गई थी। भारत के करीब 12 हजार सैनिकों के सामने चीन ने 80 हजार सैनिक उतार दिए थे। एक महीने तक चले इस युद्ध में चीन ने अपनी तरफ से युद्ध विराम की घोषणा की थी। युद्ध में भारत के 383 सैनिक शहीद हुए थे तो चीन के 722 सैनिक मारे गए थे|
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