मीडिया ने ग्राहक बनकर किया स्टिंग, तब हुआ खुलासा सीधी जिला चिकित्सालय में चल रहा रक्त बेचने का गोरखधंधा
👉दोषियों पर कार्रवाई कब जवाब पूछते सवाल
-सीधी मध्य प्रदेश
जिला अस्पताल में गंभीर मरीजों को जरूरत पडऩे पर ब्लड नही मिल पाता। संबंधित चिकित्सक मरीज को ब्लड आसानी से उपलब्ध कराने के बजाय ब्लड बैंक में भेज देते है। यहां पदस्थ कर्मचारी भी संबंधित ग्रुप की जानकारी लेने के बाद अपने हांथ खड़े कर लेते है। कर्मचारियों का अक्सर यही जबाव रहता है कि यहां जागरूकता की कमी के चलते लोग रक्तदान करने के लिए आगे नही आ रहे है। विशेष अवसरों पर ही नेता,सामाजिक संगठन एवं अन्य लोग रक्तदान करने के लिए आते है। जबकि जिला अस्पताल में ब्लड की आवश्यकता हमेशा रहती है। ब्लड न मिलने के कारण यहां से भी गंभीर मरीजों को आवश्यकता के समय संबंधित ग्रुप का ब्लड नही मिल पाता। यह शिकायतें लंबे समय से जिला अस्पताल में बनी हुई है। जिस पर बड़े प्रशासनिक अधिकारी भी लगाम लगा पाने में सफल नही हुए। जिला अस्पताल में हमेशा रक्त की अनुपलब्धता को लेकर 1 दिन पहले 12:57 बजे मीडिया ग्राहक बनकर ब्लड बैंक पहुंची ब्लड बैंक जाने पर मालुम पड़ा कि ब्लड पाने के लिए उन्हे खास स्वीपर से सम्पर्क करना पड़ेगा। जब इस स्वीपर से ब्लड की जरूरत बताई गई तो उसने ग्रुप पूंछा। ओ ग्रुप के ब्लड की जानकारी सुनते ही स्वीपर ने हामी भर दी और बोला कि कितना चाहिए। चार यूनिट बताने पर उसने कहा कि 11 हजार रूपये लगेगें। दोपहर दो बजे तक सम्पर्क करने पर ब्लड कुछ समय के अंदर ही उपलब्ध करा दिया जायेगा। ब्लड बैंक में ब्लड के फैले कारोबार की पुष्टी हो जाने के बाद जब सिविल सर्जन डॉ एसबी खरे से सम्पर्क किया गया तो उनका कहना था कि उपलब्धता होने पर संबंधित को ब्लड उपलब्ध करा दिया जाता है। जब सौदेवाजी का प्रमाण उनके समक्ष प्रस्तुत किया गया तो उनका कहना था कि इस संबंध में जानकारी लेकर संबंधितों के विरूद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करेंगें। जिला अस्पताल में यही सब कुछ लंबे समय से चल रहा है। जिसके संबंध में जिला अस्पताल प्रबंधन पूरी तरह से लापरवाह बना हुआ है।