शिक्षा के नाम पर व्यापार करने वाले चंद संस्था संचालकों की वजह से कई छात्र-छात्राओं को धोखा दे उनके भविष्य को अंधकार की ओर धकेल रहे हैं।
जी हां हम बात कर रहे हैं सिंगरौली जिले के कॉलेज मोड बैढन मैं कई प्राइवेट संस्थाएं संचालित की गई है जहां पर एडमिशन के समय लोगों को बताया जाता है कि आप का एडमिशन हमारी संस्था में निशुल्क होगा और आपको स्कॉलरशिप भी दी जाएगी। जो कि एक लुभावने वादे करते हुए लोगों के भविष्य के साथ साथ तौर पर खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला जुलाई 2019 में हाइट डिग्री कॉलेज बिलौजी मैं प्रवेश लेने गई छात्रा के साथ हुआ,वहां के संस्थापक सूरज तिवारी के द्वारा बोला गया कि तुम्हारा एडमिशन मुख्यमंत्री जन कल्याण योजना एवं असंगठित श्रमिक मजदूर(कर्म कार्ड) के तहत निशुल्क रहेगा! परंतु आज सूरज तिवारी के द्वारा पूरी फीस जमा करने के लिए बोला जा रहा है! एमपी ऑनलाइन पोर्टल में प्राइवेट कॉलेज के सामान्य वर्ग के छात्र छात्रों को फीस माफी योजना पूर्णता पहले से थी ही नहीं इसके संदर्भ में उचित कार्यवाही की गुहार लगाते हुए छात्रा ने हमारे संवाददाता को बताया कि आए दिन ऐसे कई संचालक संस्था खोल के निशुल्क एडमिशन का बोल कर 6 महीने तक पढ़ाई करवाते है। एवं जब पूर्ण रूप से छात्र/छात्रा कॉलेज में अध्ययन करने हेतु जाते है। जहां उसकी अतिरिक्त फीस कोई भी नहीं ली जा रही थी। कि अचानक सेमेस्टर एग्जाम आने से पहले ही संस्थापक ने साफ तौर पर कह दिया कि किसी भी योजना के तहत किसी सामान्य वर्ग के छात्र या छात्रा की फीस माफ नहीं होगी। जो भी एडमिशन लिए हैं उन्हें पूर्ण रूप से हमारी संस्था को पूरी फीस जमा करनी रहेगी। अन्यथा उन्हें परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा। इसके पश्चात जब हमारे संवाददाता ने सूरज तिवारी व्यवस्थापक से बात की तो उन्होंने बताया कि हमारे यहां पर किसी भी प्रकार की कोई योजनाएं निशुल्क नहीं है। एवं हमारे द्वारा कहां जरूर गया लेकिन किन्ही कारणों की वजह से इनका इस बार निशुल्क योजना में रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया जिसके कारण इन्हें संपूर्ण फीस भरनी पड़ेगी। एवं संस्थापक ने यह भी कहा कि जहां पर प्राइवेट बच्चों की फीस ₹800 मंथली है वहां आप हमें ₹500 ही दे देंगे तो भी आपको हम अपने कॉलेज की परीक्षा में बैठने हेतु अनुमति प्रदान कर सकते हैं। और बाकी सारे फॉर्म फीस चलान की फिश, आपको जमा करने पड़ेंगे।
जिससे यह साफ हो जाता है कि शुरुआती दौर में लुभावने वादे कर निशुल्क शिक्षा का आश्वासन देकर कई छात्र-छात्राओं को गुमराह कर शीट भरने का कार्य किया तो जाता है लेकिन जब 3 महीने या 6 महीने बीत जाते हैं इसके बाद संस्थापक स्वयं आकर निशुल्क वाली सुविधाओं मैं रजिस्ट्रेशन ना होना बताकर लोगों से हजारों रुपए की वसूली की जाती है जिससे कि आए दिन कई कॉलेज संस्थापक शिक्षा को व्यापार बनाकर हजारों रुपए की वसूली करने से बाज नहीं आ रहे हैं। वहीं जिले में बैठे जिला शिक्षा अधिकारी के नाक के नीचे हो रहे इस गोरखधंधे की भनक भी इन्हें नहीं है।