मुंबई। श्री जैन धार्मिक शिक्षण संघ के मार्गदर्शन और श्री मुंबई जैन संघ संगठन के तत्वावधान में रविवार को दक्षिण मुंबई में प्रभु की भव्य महारथयात्रा का आयोजन ऐतिहासिक बन गया। यह शोभायात्रा सुबह 8:30 बजे सी.पी. टैंक सर्कल से प्रारंभ होकर अगस्त क्रांति मैदान तक आध्यात्मिक उल्लास और उत्साह के बीच संपन्न हुई।
इस अवसर पर 455 से अधिक जैन पाठशालाओं के 2400 से अधिक बालक-बालिकाओं ने आकर्षक परिधानों में भाग लेकर वातावरण को भक्ति, आस्था और एकता से भर दिया। हजारों ध्वज, मधुर वाद्ययंत्रों की ध्वनि और छह से अधिक आकर्षक बाल-झांकियों ने इस आयोजन को और भव्य बना दिया।
श्री जैन धार्मिक शिक्षण संघ के उपाध्यक्ष संजय जीवनलाल शाह ने बताया कि यह आयोजन केवल जैन समाज तक सीमित नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज में सद्भावना, संस्कार और ज्ञान का संदेश देने वाला रहा। जिनेश्वर देव के पुण्य प्रसार, संघ की एकता, गुरु-सम्मान और बालभक्ति को बढ़ावा देना इसका मुख्य उद्देश्य रहा।
संस्था के ट्रस्टी अशोक नर्सी चरला ने कहा कि बच्चों के लिए संस्कार का प्रथम चरण पाठशाला ही है। यहीं से उन्हें जैन शासन के जिनागम और जिनबिंब के महत्व की समझ आती है। यदि जैन शासन को दृढ़ बनाए रखना है तो पाठशालाओं को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
महिला विभाग की उपाध्यक्ष श्रीमती अल्पाबेन संजय शाह ने बताया कि 75वें अमृत महोत्सव की इस रथयात्रा ने जिस तरह जैन धर्म की प्रभावना की है, वह अत्यंत प्रेरणादायक है। भविष्य में भी संघ पाठशालाओं की प्रगति के लिए सतत प्रयास करता रहेगा।
पंडित श्री किरीटभाई फोफानी और पंडित श्री विक्की सर के अथक परिश्रम से यह आयोजन सफल रहा। यह कार्यक्रम न केवल जैन समाज के लिए बल्कि पूरे समुदाय के लिए संस्कार और आस्था का प्रेरणास्रोत बन गया।
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