दिल्ली में स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी: एक बार फिर दहशत का माहौल

Aanchalik Khabre
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DPS Dwarka

सुबह-सुबह बढ़ा हड़कंप

दिल्ली में आज सुबह एक बार फिर ऐसा खतरा मंडराने लगा जिसने हजारों बच्चों, माता-पिता और स्कूल स्टाफ को चिंता में डाल दिया। सुबह 7:24 बजे दिल्ली पुलिस के कंट्रोल रूम को एक कॉल मिली जिसमें कहा गया कि तीन स्कूलों और एक कॉलेज को बम से उड़ाया जाएगा। जैसे ही ये खबर सामने आई, तुरंत फायर ब्रिगेड, पुलिस और बम स्क्वॉड की टीमें हरकत में आ गईं और संबंधित स्कूलों को खाली कराया गया।

किन-किन स्कूलों और कॉलेजों को मिली धमकी?

इस बार धमकी जिन संस्थानों को मिली, उनमें शामिल हैं:

  • दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस), द्वारका

  • मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूल, द्वारका

  • श्रीराम वर्ल्ड स्कूल

  • ब्लू बेल्स स्कूल, ग्रेटर कैलाश

  • एक अज्ञात कॉलेज, जिसका नाम अब तक सामने नहीं आया है

  • साथ ही दीप मॉडल स्कूल, सागरपुर को भी धमकी भरा ईमेल मिला

धमकी कॉल और ईमेल मिलने के बाद छात्रों को स्कूल से सुरक्षित बाहर निकाला गया और तलाशी अभियान शुरू किया गया।

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क्या यह नई घटना है?

दिल्ली में इस तरह की धमकियां कोई नई बात नहीं हैं। जुलाई 2025 में भी राजधानी के लगभग 50 स्कूलों को इसी तरह के धमकी भरे ईमेल भेजे गए थे। इनमें से अधिकतर मामलों में धमकियां झूठी निकलीं, लेकिन तब भी प्रशासन ने कोई रिस्क नहीं लिया और सभी स्कूलों की अच्छे से तलाशी ली गई थी।

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पिछली घटनाओं की झलक

कुछ महीने पहले भी दिल्ली के रिचमंड ग्लोबल स्कूल, वसंत वैली, मदर्स इंटरनेशनल स्कूल और सरदार पटेल विद्यालय सहित कई स्कूलों को धमकी मिली थी। यहां तक कि कुछ प्रतिष्ठित कॉलेज जैसे कि:

  • आई.पी. कॉलेज फॉर विमेन

  • हिंदू कॉलेज

  • श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स

को भी बम से उड़ाने की धमकी ईमेल द्वारा भेजी गई थी। सभी मामलों में तलाशी के बाद पता चला कि ये सब धमकियां झूठी थीं।

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क्या है इन धमकियों का असर?

इन घटनाओं का सबसे बड़ा असर छात्रों और उनके परिवारों पर पड़ता है। बच्चों के मन में डर बैठ जाता है, उनकी पढ़ाई बाधित होती है और माता-पिता हर पल चिंतित रहते हैं। एक अभिभावक ने बताया कि स्कूल से सिर्फ इतना संदेश आया कि “बच्चे को वापस ले जाइए”, लेकिन कारण नहीं बताया गया। यह असमंजस और डर दोनों को जन्म देता है।

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प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका

प्रशासन ने हर बार की तरह इस बार भी गंभीरता दिखाई है। बम स्क्वॉड, पुलिस, डॉग स्क्वॉड और फायर ब्रिगेड ने तुरंत कार्यवाही की। हालांकि अब तक किसी भी स्थान पर कोई बम या संदिग्ध वस्तु नहीं मिली है, फिर भी जांच जारी है।

साइबर यूनिट की मदद से धमकी भेजने वाले की पहचान करने की कोशिश की जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि ये कोई शरारती तत्व या मानसिक रूप से असंतुलित व्यक्ति हो सकता है, लेकिन जांच पूरी होने के बाद ही असली कारण सामने आएगा।

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बार-बार की धमकी से घटता भरोसा

हर बार जब धमकी झूठी निकलती है, तो अगली बार लोग उतने गंभीर नहीं होते। यह स्थिति बहुत खतरनाक हो सकती है क्योंकि अगर कभी असली खतरा हुआ तो लोग समय पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे। यह एक “cry wolf” वाली स्थिति बनती जा रही है, जो समाज के लिए चिंता का विषय है।

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स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

इन लगातार होती घटनाओं ने स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या हमारे स्कूल ऐसे किसी इमरजेंसी से निपटने को तैयार हैं? क्या नियमित मॉक ड्रिल होती है? क्या शिक्षक और स्टाफ को ट्रेंड किया गया है?

यह जरूरी है कि अब हर स्कूल अपनी सुरक्षा रणनीति को गंभीरता से ले और उचित संसाधन उसमें लगाएं।

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साइबर ट्रेसिंग और कानून व्यवस्था

आजकल अधिकतर धमकियां ईमेल या इंटरनेट के माध्यम से दी जाती हैं। ऐसे में साइबर सुरक्षा का मजबूत होना बेहद जरूरी है। पुलिस को ऐसे मामलों में तेजी से काम करना होगा ताकि अपराधी जल्द से जल्द पकड़ा जा सके।

इसके अलावा, जो लोग ऐसी झूठी धमकियां देते हैं, उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इससे समाज में एक सख्त संदेश जाएगा कि ऐसे “मजाक” को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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मीडिया और सोशल मीडिया की भूमिका

इन घटनाओं में मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। कई बार मीडिया बिना पुष्टि के सनसनीखेज खबरें चला देता है जिससे लोगों में अनावश्यक डर फैलता है। ऐसे में जरूरी है कि मीडिया जिम्मेदारी से काम करे और सही जानकारी ही प्रसारित करे।

सोशल मीडिया पर भी अफवाहों को फैलने से रोकना होगा। एक गलत पोस्ट कितनी जल्दी वायरल होती है, यह हम सभी जानते हैं।

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बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का भी रखें ध्यान

ऐसे हादसों का असर सिर्फ शारीरिक सुरक्षा तक सीमित नहीं होता, इसका मानसिक असर भी गहरा होता है। बच्चों में डर, तनाव, और बेचैनी पैदा हो सकती है। स्कूलों को चाहिए कि वे छात्रों के लिए काउंसलिंग सेशन आयोजित करें और उन्हें आश्वस्त करें कि वे सुरक्षित हैं।

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सुरक्षा सभी की ज़िम्मेदारी है

इस पूरी घटना से एक बात स्पष्ट होती है,सुरक्षा सिर्फ सरकार या पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है। स्कूल प्रशासन, माता‑पिता, मीडिया और समाज सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे बच्चे एक सुरक्षित माहौल में पढ़ाई करें।

ऐसी घटनाओं को सिर्फ एक समाचार की तरह न देखकर, एक चेतावनी के रूप में लेना होगा कि हमें अपनी तैयारी, सतर्कता और सहयोग को और मजबूत बनाना है। तभी हम आने वाले कल को सुरक्षित और शांत बना सकते हैं।

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