परिचय: छात्र राजनीति का बड़ा मंच
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव हमेशा से युवाओं और राजनीति दोनों के लिए चर्चा का बड़ा मंच रहा है। हर साल यहां होने वाले चुनाव न सिर्फ विश्वविद्यालय की दिशा तय करते हैं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डालते हैं। 2025 के चुनाव नतीजे आना शुरू हो गए हैं और शुरुआती रुझानों ने यह साफ कर दिया है कि इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है।
मतदान और भागीदारी
इस बार छात्र संघ चुनाव में लगभग 1.5 लाख से अधिक छात्रों ने मतदान किया। वोटिंग प्रतिशत करीब 39 से 40% रहा, जो पिछले साल की तुलना में थोड़ा बेहतर माना जा रहा है। मतदान प्रक्रिया सुबह और शाम दो चरणों में हुई, जिससे छात्रों को पर्याप्त समय मिला।
यह बात गौर करने लायक है कि दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे विशाल शैक्षणिक संस्थान में इतने बड़े पैमाने पर मतदान होना अपने आप में खास है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि छात्र राजनीति में युवाओं की दिलचस्पी लगातार बनी हुई है।
शुरुआती रुझान: कौन कहाँ खड़ा है?
नतीजों की गिनती के शुरुआती चरणों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने अध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव जैसे अहम पदों पर बढ़त बना रखी है। वहीं, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) उपाध्यक्ष पद पर मजबूत स्थिति में नजर आ रही है।
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अध्यक्ष पद पर ABVP के उम्मीदवार को बढ़त मिली है।
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उपाध्यक्ष पद के लिए NSUI का उम्मीदवार फिलहाल आगे चल रहा है।
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सचिव और संयुक्त सचिव पदों पर ABVP ने शुरुआती बढ़त बनाए रखी है।
यह समीकरण दिखाता है कि दोनों ही पार्टियां अपने-अपने स्तर पर मजबूती से डटी हुई हैं और छात्रों का जनसमर्थन बराबरी का मुकाबला कर रहा है।
चुनाव प्रचार और मुख्य मुद्दे
छात्र संघ चुनावों में मुद्दों की भूमिका हमेशा अहम रहती है। इस बार भी उम्मीदवारों ने छात्रों की रोजमर्रा की समस्याओं को मुख्य एजेंडा बनाया।
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ABVP ने अपने प्रचार में छात्रों के लिए बेहतर खेल सुविधाएं, मेट्रो पास में छूट और डिजिटल सुविधाओं का विस्तार जैसे मुद्दे उठाए।
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NSUI ने हॉस्टल की कमी, छात्र सुरक्षा और छात्राओं के लिए बेहतर सुविधाओं पर जोर दिया।
छात्रों ने भी इन मुद्दों को गंभीरता से लिया और अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते समय इन्हीं बातों को ध्यान में रखा।
सुरक्षा और मतदान प्रक्रिया
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनावों में सुरक्षा हमेशा बड़ी चुनौती होती है। इस बार प्रशासन ने सख्त इंतज़ाम किए थे।
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परिसर और मतदान केंद्रों पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया।
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सीसीटीवी और ड्रोन निगरानी की व्यवस्था की गई।
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मतदान पूरी तरह ईवीएम (Electronic Voting Machine) के ज़रिये हुआ, जिससे प्रक्रिया पारदर्शी बनी रही।
इन कड़े इंतजामों की वजह से चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए और छात्रों ने बिना किसी बाधा के मतदान किया।
विवाद और आरोप-प्रत्यारोप
हर चुनाव की तरह इस बार भी मतगणना के दौरान आरोप-प्रत्यारोप का दौर देखने को मिला।
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NSUI ने EVM से छेड़छाड़ का आरोप लगाया।
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ABVP ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह विपक्ष की निराशा का नतीजा है।
हालांकि प्रशासन का दावा है कि पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से हो रही है।
उम्मीदवारों का प्रोफाइल
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ABVP के उम्मीदवार युवा नेतृत्व का चेहरा बनकर सामने आए हैं। उन्होंने छात्रों को आश्वासन दिया कि उनकी प्राथमिकता शिक्षा और रोजगार से जुड़े मुद्दे रहेंगे।
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NSUI के प्रत्याशी ने खास तौर पर महिला सुरक्षा और हॉस्टल की समस्याओं पर जोर देकर छात्राओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश की।
दोनों ही पक्षों ने सोशल मीडिया और ग्राउंड कैंपेन का जोरदार इस्तेमाल किया, जिससे चुनावी माहौल और ज्यादा रोचक हो गया।
छात्रों की उम्मीदें और भविष्य की दिशा
छात्र संघ चुनाव महज राजनीति नहीं, बल्कि छात्रों की आवाज़ का मंच भी है। हर बार की तरह इस बार भी छात्रों की उम्मीदें बड़ी हैं। वे चाहते हैं कि जीते हुए प्रतिनिधि केवल चुनावी वादों तक सीमित न रहें, बल्कि उनकी समस्याओं का वास्तविक समाधान निकालें।
छात्र चाहते हैं कि लाइब्रेरी की सुविधाएं, सस्ती कैंटीन, सुरक्षित परिवहन और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे मुद्दों पर ठोस काम हो।
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