साहू समाज द्वारा आयोजित भागवत कथा में पहले श्री बावन जी भगवान का जन्म हुआ, और इसके बाद फिर श्रीकृष्ण जन्म का संगीतमय वर्णन किया ।महिलाओं ने बधाइयां गाकर जन्मोत्सव मनाया । कथा व्यास राधावल्लभ नागार्च हितांशु जी महराज द्वारा, अमृतमयी कथा श्रवण कराते हुए, आज कथा के चौथे दिन कहा कि, भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की आधी रात को मथुरा के कारागार में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था. जन्म के समय जेल के ताले खुल गए, और पहरेदार सो गए थे । द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया था। अष्टमी तिथि को रात्रिकाल अवतार लेने का प्रमुख कारण उनका चंद्रवंशी होना है। श्रीकृष्ण चंद्रवंशी, चंद्रदेव उनके पूर्वज और बुध चंद्रमा के पुत्र हैं। इसी कारण चंद्रवंश में पुत्रवत जन्म लेने के लिए कृष्ण ने बुधवार का दिन चुना है। कथाव्यास ने कहा रोहिणी चंद्रमा की प्रिय पत्नी और नक्षत्र हैं। इसी कारण कृष्ण रोहिणी नक्षत्र में जन्मे। अष्टमी तिथि शक्ति का प्रतीक है, कृष्ण शक्तिसंपन्न, स्वमंभू व परब्रह्म है इसीलिए वो अष्टमी को अवतरित हुए। कृष्ण के रात्रिकाल में जन्म लेने का कारण ये है कि चंद्रमा रात्रि में निकलता है और उन्होंने अपने पूर्वज की उपस्थिति में जन्म लिया। जिसका लाखो की संख्या में ग्रामीण के महिला और पुरुष ने आनंद और डांस भी किया साथ में बच्चो ने भी बहुत आनद लिया और हमारे पूजिए श्री राधाबल्लव जी महाराज ने संगीत कार्य क्रम में उन्होंने फूल वा टॉफी,बिस्किट और खिलोने की वर्षा की जिससे और भी आनंद आया
पंडाल में उपस्थित सैकड़ों महिलाएं और पुरुषों नें कृष्ण उत्सव के साथ आनंदित होकर झूमे एवं कथा का श्रवण किया
साहू समाज द्वारा सभी नगरवासियों से कथा श्रवण करने का अनुरोध किया गया है
संगीतमय भागवत कथा के चौथे दिन हुआ कृष्ण जन्म, और मनाया गया जन्म उत्सव-आंचलिक ख़बरें-मोहित साहू
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