सकल जैन समाज के चातुर्मास एवं पर्वाधिराज पयूर्षण महापर्व को लेकर बह रहीं धर्म की अनवरत गंगा
पयूर्षण महापर्व के पांचवे दिन श्री महावीर स्वामीजी का जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया गया
शहर के सभी जिनालयों मंें दिनभर रहीं श्रावक-श्राविकाओं की विशेष भीड़, दिनभर चला दर्शन-पूजन का क्रम
झाबुआ। शहर में सकल जैन समाज के चातुर्मास अंतर्गत धर्म की गंगा बह रहीं है। समाजजनों द्वारा आचार्य श्रीजी एवं साधु-साध्वी भगवंतों से प्रेरणा तथा आर्षीवाद स्वरूप निरंतर कठोर से कठोर जप-तप एवं आराधनाएं की जा रहीं है। विगत 24 अगस्त, बुधवार से पर्वाधिराज पर्यूषण महापर्व भी आरंभ हो गए है। जिसके पंाचवे दिन श्री महावीर स्वामीजी का जन्म कल्याण महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दिन जहां शहर के श्री ऋषभदेव बावन जिनालय स्थित पोषणशाला भवन में गच्छाधपति आचार्य श्रीमद् विजय नित्यसेन सूरीष्वरजी मसा द्वारा महाग्रंथ कल्पसूत्रजी के वाचन में भगवान के जन्म का वर्णन बाद दोपहर करीब 3 बजे मंदिर से भव्य वरघोड़ा भी निकाला गया। वहीं श्री महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव को लेकर शहर के सभी जिनालयों में भी भगवान की सुंदर अंगरचना के साथ श्रावक-श्राविकाओं के दिनभर दर्शन-पूजन का क्रम भी चलता रहा।
जानकारी देते हुए श्वेतांबर जैन श्री संघ के युवा रिकू रूनवाल ने बताया कि स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जिनालय में प्रातःकाल भक्तामर स्त्रोत पाठ, गुरू गुण इक्कीसा पाठ, स्नात्र पूजन एवं केसर पूजन बाद विशेष आयोजन हुए। मंदिर में भगवान श्री महावीर स्वामीजी एवं दादा गुरूदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीष्वरजी मसा की प्रतिमा की सुंदर अंगरचना की गई। चातुर्मास हेतु विराजित पुण्य सम्राट राष्ट्रसंत आचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेन सूरीष्वरजी मसा के आज्ञानुवर्ती शिष्य आचार्य श्री नित्यसेन सूरीश्वरजी मसा आदि ठाणा की निश्रा में दिनभर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम संपन्न हुए। आचार्य श्रीजी द्वारा महान ग्रंथ कल्प सूत्र के वाचन में भगवान के जन्म कल्याणक का वर्णन एवं महावीर स्वामीजी के जीवन और सिद्धांतों के बारे में समाजजनों को बताया गया तथा उनको अंगीकार करने की बात कहीं।
भगवान महावीर स्वामीजी के जयकारो के साथ निकला वरघोड़ा
तत्पष्चात् दोपहर करीब 3 बजे मंदिर से बैंड-बाजों के साथ भव्य वरघोड़ा निकाला गया। जिसमें बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हुए। वरघोड़़े में विशेष रथ पर भगवान महावीर स्वामीजी की प्रतिमा विराजमान की गई। जिन्हंे चंवर ढुलाया गया। समाज के युवाजन रथ को खंीचकर चले। जगह-जगह समाजजनों ने भगवान की प्रतिमा के सम्मुख गहूली भी की। युवाओं द्वारा उत्साहपूर्वक भगवान महावीर स्वामीजी के मूल सिद्धांत ‘‘जियो और जीने दो’’ के सामूहिक जयघोष लगाए गए। वहीं समाज के वरिष्ठजनों को केसरिया छापे भी लगाए गए। समाज की श्राविकाओं ने भी बड़ी संख्या में शोभायात्रा में सहभागिता की। पूरे उत्साह और उल्लास के साथ यह वरघोड़ा निकाला गया। जो शहर के रूनवाल बाजार, थांदला गेट, बाबेल चैराहा, आजाद चैक, नेहरू मार्ग, राजवाड़ा, लक्ष्मीबाई मार्ग होते हुए पुनः मंदिर पर पहुंचा। जहां भगवान की सामूहिक महाआरती हुई। अंत में सभी के लिए साधर्मी वात्सल्य का भी आयोजन रखा गया।
शहर के सभी जिनालयांे में रहीं विशेष भीड़
28 अगस्त, रविवार को पर्यूषण महापर्व के तहत प्रभु श्री महावीर स्वामीजी के जन्मकल्याण महोत्सव निमित्त शहर के श्री ऋषभदेव बावन जिनालय, श्री नाकोड़ा पाश्र्वनाथ मंदिर, श्री जिनदत्त एवं जिन कुशल सूरी, दादावाड़ी, गणधर मंदिर, दिलीप गेट स्थित महावीर बाग, कृषि उपज मंडी के सामने स्थित श्री गौड़ी पाष्र्वनाथ तीर्थ, रंगपुरा स्थित प्रचीन जैन मंदिर, देवझिरी स्थित श्री आदिनाथ माणिभ्रद जैन मंदिर, श्री राज हेमेन्द्र पुष्प आयंबिल खाता भवन में भी आज के विशेष दिवस पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम संपन्न हुए। मंदिरों में भगवान की सुंदर अंगरचना के साथ दिनभर समाजजनों का दर्शन-पूजन के लिए आना-जाना लगा रहा। समाजजनों में विशेष उत्साह बना रहा।
श्री गौड़ी पाश्र्वनाथ तीर्थ से 29 अगस्त को वरघोड़ा (पालकी) निकाली जाएगी
इसी प्रकार शहर के कृषि उपज मंडी के सामने श्री गौड़ीजी पाश्र्वनाथ तीर्थेंद्र धाम पर भगवान श्री महावीर स्वामीजी का जन्म कल्याणक महोत्सव परंपरागत रूप से मनाया जाएगा। जिसमें पर्यूषण महापर्व के छठवें दिन श्री तीर्थेन्द्र सूरी समिति झाबुआ द्वारा 29 अगस्त, सोमवार को पपू पुण्य सम्राट आचार्य देवेश श्रीमद विजय जयंतसेन सूरीश्वर मसा के पट्टधर आचार्य श्रीमद विजय नित्यसेन सूरीष्वरजी मसा एवं मुनि मंडल तथा साध्वी मंडल की पावन निश्रा में चतुर्विद् संघ की विशेष उपस्थिति में मनाते हुए विभिन्न आयोजन होंगे। जिसमें वरघोड़ ’दोपहर 1 बजे से श्री बावन जिनालय से श्री गौड़ीजी तीर्थ पर आचार्यश्री और चतुर्विद संघ के साथ आगमन होगा। दोपहर 2.30 बजे सपनाजी और आरती के चढ़ावे बोले जाएंगे। दोपहर 3.30 बजे आचार्य श्रीजी द्वारा भगवन का जन्म वाचन बाद शाम 4 बजे बैंड-बाजों के साथ वरघोड़ा (पालकी) निकाली जाएगी। शाम 4.30 बजे आरती बाद सभी के लिए साधर्मी वात्सल्य का आयोजन रखा गया है। आयोजक श्री तीर्थेन्द्र सूरी समिति ने समाज के सभीजनों से अधिक से अधिक संख्या में पधारकर लाभ लेने की अपील की है।