Dire Wolf : 13,000 साल बाद दोबारा धरती पर लोटे Dire वुल्फ, बड़े जानवरो का करता था शिकार, क्या हैं दुबारा लौटने का मुख्य कारण

News Desk
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13,000 साल बाद दोबारा धरती पर लोटे Dire वुल्फ, क्या हैं दुबारा लौटने का मुख्य कारण

Game of Thrones जैसी सीरीज में आपने एक बार जरूर सुना होगा – Dire Wolf। यह कोई काल्पनिक प्राणी नहीं है, बल्कि एक समय पर धरती पर वास्तव में मौजूद रहा एक विशालकाय शिकारी भेड़िया था। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अब इतिहास रचते हुए इस विलुप्त प्रजाति को दोबारा जन्म दिया है।

डायर वुल्फ extinct हो चुकी एक प्रजाति थी जो हजारों साल पहले उत्तर अमेरिका के जंगलों की सबसे खतरनाक शिकारी मानी जाती थी। लेकिन अब 13,000 साल बाद इस प्रजाति के तीन शावकों ने फिर से इस धरती पर जन्म लिया है।

Dire Wolf | Dire Wolf Extinct

Colossal Biosciences का चमत्कार: डायनासोर नहीं, अब डायर वुल्फ की वापसी

अमेरिका के डलास की बायोटेक कंपनी Colossal Biosciences ने इस विज्ञान चमत्कार को अंजाम दिया है। कंपनी ने पुराने DNA, क्लोनिंग और gene editing तकनीकों की मदद से de extinction dire wolf का सपना साकार कर दिखाया है।

इन तकनीकों से तीन शावक पैदा किए गए हैं – दो नर और एक मादा। इनके नाम हैं – Romulus, Remus, और Khaleesi।

Dire Wolf : आकार, शक्ति और विशेषताएं

डायर वुल्फ (dire wolf) आकार में आज के gray wolf से कहीं बड़े और ताकतवर होते थे। उनके पास चौड़ा सिर, मजबूत जबड़ा और सफेद, घना फर होता था। यह प्रजाति हिमयुग के दौरान विशाल जानवरों का शिकार किया करती थी।

Dire wolves घोड़े जैसे बड़े जानवरों को भी शिकार बना लेते थे। ग्रे वुल्फ की तुलना में ये लगभग 25% बड़े और अधिक ताकतवर हुआ करते थे।

डायर वुल्फ Dire Wolf Extinct कैसे हुआ?

Dire wolf extinction का कारण माना जाता है पर्यावरण में अचानक आए बदलाव, जलवायु परिवर्तन और बड़े शिकारों की संख्या में गिरावट। जब हिमयुग समाप्त हुआ, तो इनके लिए भोजन और वातावरण दोनों ही प्रतिकूल हो गए।

धीरे-धीरे यह प्रजाति 13,000 साल पहले विलुप्त हो गई। इसके बाद gray wolves ने इनकी जगह ले ली।

विज्ञान का अनोखा चमत्कार! लौट आए 13 ...

DNA कैसे निकाला गया?

कोलोसल बायोसाइंसेज के वैज्ञानिकों ने Sheridan Cave (Ohio) से 13,000 साल पुराने दांत और Idaho से 72,000 साल पुरानी खोपड़ी से DNA निकाला। इससे dire wolf de extinction के लिए दो हाई-क्वालिटी जीनोम तैयार किए गए।

फिर इन जीनोम्स की तुलना ग्रे वुल्फ, लोमड़ी और जैकाल से की गई ताकि डायर वुल्फ की विशेषताओं को पहचाना जा सके।

CRISPR जीन एडिटिंग से बदला इतिहास

CRISPR gene editing तकनीक की मदद से ग्रे वुल्फ की कोशिकाओं में 20 जेनेटिक बदलाव किए गए ताकि वे डायर वुल्फ जैसे बन सकें।

इन एडिटेड कोशिकाओं से भ्रूण बनाए गए और फिर उन्हें मिक्स ब्रीड हाउंड नस्ल की मादा कुत्तियों के गर्भ में ट्रांसप्लांट किया गया।

नए जीवन की शुरुआत: Romulus, Remus और Khaleesi

1 अक्टूबर 2024 को दो नर शावकों Romulus और Remus का जन्म हुआ। फिर 30 जनवरी 2025 को मादा शावक Khaleesi ने जन्म लिया।

इन नामों को पॉप कल्चर से लिया गया है – Khaleesi का नाम मशहूर सीरीज Game of Thrones की नायिका के नाम पर रखा गया है।

सुरक्षित आश्रय: अब कहां हैं ये शावक?

तीनों शावकों को फिलहाल अमेरिका में 2,000 एकड़ के एक सीक्रेट इलाके में रखा गया है। इसे 10 फीट ऊंची बाड़ से घेरा गया है और इसमें ड्रोन, कैमरे और सुरक्षा गार्ड तैनात हैं। यह इलाका अमेरिकी कृषि विभाग के तहत रजिस्टर्ड है।

Colossal Biosciences ने बताया कि इन शावकों को प्रजनन की अनुमति नहीं दी जाएगी। वे केवल अध्ययन और प्रदर्शनी के लिए रखे जाएंगे।

प्यारा वीडियो वायरल: दूध पीते और खेलते दिखे वुल्फ

तीनों शावकों का एक प्यारा वीडियो सामने आया है जिसमें वे दूध पीते, खेलते, और चिल्लाते हुए नजर आते हैं। ये बेहद सक्रिय और चंचल लगते हैं। इनका रंग पूरी तरह सफेद है और शरीर पर घना फर है।

Colossal का D-Extinction मिशन

Colossal ने 2021 से ही विलुप्त जानवरों को दोबारा धरती पर लाने का अभियान शुरू किया है। इसके तहत वे mammoth, dodo, Tasmanian tiger, और अब dire wolves को दोबारा जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं।

Dire wolf de extinction इस मिशन का अब तक का सबसे चौंकाने वाला और सफल प्रयोग है।

क्या यह तकनीक सुरक्षित है?

विज्ञान की यह तरक्की जितनी हैरान करने वाली है, उतने ही इसके नैतिक और पारिस्थितिक पहलू भी हैं। वैज्ञानिक समुदाय में इसे लेकर बहस जारी है:

  1. क्या मानव जाति को विलुप्त प्रजातियों के साथ खिलवाड़ करना चाहिए?
  2. क्या ये दोबारा जन्मे जानवर पर्यावरण के लिए खतरा बन सकते हैं?
  3. क्या यह सिर्फ मनोरंजन और पैसा कमाने का जरिया बन रहा है?

इन सवालों के जवाब अभी बाकी हैं, लेकिन इतना तय है कि dire wolf extinct प्रजाति का दोबारा लौटना विज्ञान की एक अद्भुत छलांग है।

Dire wolves का जबड़ा इतना मजबूत होता था कि ये बड़ी हड्डियों को भी चबा सकते थे। वहीं ग्रे वुल्फ अपेक्षाकृत हल्के और तेज होते हैं।

इंसानी दखल और भविष्य का सवाल

यह तकनीक जहां इंसान की रचनात्मकता और वैज्ञानिक सोच का प्रमाण है, वहीं यह प्रकृति में अनावश्यक हस्तक्षेप का खतरा भी पैदा कर सकती है।

अगर dire wolf de extinction जैसी तकनीकों का सही इस्तेमाल हो तो यह विलुप्त प्रजातियों को बचाने का जरिया बन सकती हैं। लेकिन यदि यह सिर्फ मनोरंजन, टूरिज्म या पैसे कमाने का जरिया बन गई, तो पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान हो सकता है।

भविष्य की उम्मीद या खतरा?

Dire wolf extinction का अंत एक युग था, और अब उनका पुनर्जन्म एक नई शुरुआत है। यह विज्ञान और टेक्नोलॉजी का वह रूप है, जो कल्पनाओं से परे है। लेकिन इसे सही दिशा में इस्तेमाल करना ही सबसे बड़ी चुनौती है।

क्या हम भविष्य में mammoth और dodo को भी फिर से चलते-फिरते देख सकेंगे?

शायद हां। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या हमें ऐसा करना चाहिए?

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