पटना: इनदिनों बिहार में चाचा-भतीजा जंग जारी है। भले ही चाचा पशुपतिनाथ पारस केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होकर पहला मुकाबला जीत लिए हों। लेकिन जनता के बीच आशीर्वाद यात्रा पर निकले चिराग पासवान के स्वागत में जुट रही भीड़ बता रही है कि चिराग ही जनता के दिलों में जल रहा है।
इधर दिल्ली हाइकोर्ट ने पारस को लोजपा से निष्कासित करने वाली याचिका खारिज कर चिराग को झटका दिया है। पर चिराग के तेवर देख ये तो नहीं लग रहा है कि वो यहीं रुक जाएंगे।
दरअसल भाजपा ने जदयू को दो कैबिनेट और एक राज्य मंत्री के पद का प्रस्ताव दिया था। भाजपा लोजपा को सरकार में शामिल करने के मामले में ऊहापोह में थी। जबकि नीतीश चाहते थे कि पशुपति पारस को मंत्री बना कर चिराग को अंतिम सियासी झटका दे दिया जाए। जब भाजपा इसके लिए तैयार नहीं हुई तो नीतीश ने अपनी पार्टी के कोटे से पारस को मंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा।
लंबी बातचीत के बाद भाजपा इसके लिए तैयार हो गई। विधानसभा चुनाव में चिराग की ओर से मिले झटके से नीतीश बेहद नाराज थे। लोजपा में बगावत की पटकथा उनके इशारे पर ही लिखी गई। उनके आश्वासन पर ही पशुपति ने चिराग के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन्हें लोकसभा में संसदीय दल का नेता और पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटा दिया।
छह में से पांच सांसद चिराग के खिलाफ हो गए। नीतीश चाहते थे कि दिवंगत रामविलास पासवान की जगह मंत्री बन कर पशुपति चिराग की अंतिम उम्मीद भी खत्म कर दें। हालांकि भाजपा इसके लिए इंतजार करना चाहती थी।