जबलपुर. हाईकोर्ट ने
फ्लाईओवर के लिए मदन महल और राइट टाउन क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण की जद में आने वालों को हटाने पर लगाई रोक हटा दी हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार नपाई कराने के बाद फ्लाईओवर व सड़क निर्माण का काम शुरू करे। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नपाई का काम पूरा होने से पहले किसी भी याची करता का निर्माण नहीं तोड़े। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को एक सप्ताह के भीतर रजिस्टार के पास 10 करोड़ रुपए जमा कराने के निर्देश दिए।
हाईकोर्ट ने कहा कि सभी याचिकाकर्ता नापजोख की कार्रवाई का वीडियो बनाने के लिए अधिकृत हैं। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायाधीश विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने नापजोख की रिपोर्ट जनवरी के पहले सप्ताह में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
मामले पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि सरकार तोड़े गए निर्माण के बदले मुआवजा देने को तैयार है, लेकिन यह बड़ा विवाद है कि याचिकाकर्ता जमीन के मालिक है या लीजधारक हैं और क्या वे
मुआवजा पाने के लिए पात्र है? उन्होंने कहा कि कोर्ट के स्टे के कारण फ्लाईओवर का निर्माण कार्य रुक गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार 10 करोड़ जमा करने के लिए तैयार है।
इस मामले में हाईकोर्ट के पूर्व जज एसएस झा, पीपी नावलेकर व अन्य याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं, जिन्होंने याचिकाएं दायर कर उचित मुआवजे की मांग की है। अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने बताया कि राइट टाउन क्षेत्र में नगर निगम ने कुछ लोगों को नोटिस जारी किए थे और मुआवजे के लिए दस्तावेज पेश करने के लिए कहा था। लेकिन, बाद में अतिक्रमण का हवाला देकर मुआवजा देने से मना कर दिया गया। मुआवजा निर्धारित करने के लिए हाईकोर्ट ने रिटायर्ड हाईकोर्ट जज को आरब्रिट्रेटर नियुक्त किया था। आरबिट्रेटर की रिपोर्ट में मदन महल क्षेत्र की जमीन का 100 प्रतिशत व अन्य क्षेत्रों का 80 फीसदी मुआवजा अनुमोदित किया गया था।