झाबुआ जिले के कलेक्टर सोमेष मिश्रा के निर्देषन में जिले के उप संचालक कृषि नगीन रावत द्वारा जिले के किसानो को गेहूॅ फसल की कटाई के बाद शेष बचे फसल अवषेष (नरवाई) को ना जलाने की अपील की गई है, नरवाई जलाना पर्यावरण के लिए अत्यन्त हानिकारक है, अतः इसे कतई ना जलावें। गेहूॅ की फसल कटाई के लिए हार्वेस्टर आदि का बहुतायत में उपयोग किया जाने लगा है। फलस्वरूप कटाई के उपरान्त खेतों में नरवाई एवं भूसा शेष बचता है, जिन्हें किसान अनुपयोगी समझकर आग लगाकर नष्ट करते है, इससे भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है।
नरवाई जलाने से कई प्रकार के नुकसान होते हैं।नरवाई जलाने से आसपास के वातावरण का तापमान बढने लगता है, जो कि ग्लोबल वार्मिग के लिए उत्तरदायी है। नरवाई जलाने से भूमि की उर्वरक शक्ति एवं जैव अंष नष्ट हो जाते है, जिससे भूमि धीरे धीरे बंजर होने लगती है। पशुओं को प्राप्त होने वाला भूसा नष्ट हो जाता है, तथा कृषकों को कम्पोस्ट भी नहीं प्राप्त हो पाता है। फसल अवषेषों को जलाने से मिट्टी मे उत्पन्न होने वाले कार्बनिक पदार्थो मे कमी आती है, तथा भूमि मे उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते है, जिससे उपलब्ध जैव विविधता समाप्त होती है। फसल अवषेष जलाने से भूमि कठोर हो जाती है, जिसके कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम हो जाती है और फसले जल्दी सूखती है। खेतों की मेडों पर लगे पेड-पौधे, फल वृक्ष आदि जलकर नष्ट हो जाते है। नरवाई जलाने से जैव हानि तो होती ही है साथ ही साथ जन-धन हानि भी हो सकती है।
फसल अवषेषों के उचित प्रबंधन
उप संचालक कृषि नगीनसिंह रावत द्वारा समझाईष दी जाती है कि, फसल कटाई उपरान्त खेत में बचे अवषेषों का उचित तरीके से प्रबंधन किया जाना अत्यन्त आवष्यक है। किसान भाई नरवाई नष्ट करने हेतु रोटावेटर चलाकर नरवाई को बारीक कर मिट्टी मे मिलावें, जिससे जैविक खाद तैयार होती है। नरवाई से भूसा तैयारकर पषु आहार के रूप में उपयोग करें। जिन क्षैत्रों में कम्बाईन हार्वेस्टर से फसल कटाई की जाती है वहाॅ हार्वेस्टर के साथ स्ट्रारीपर एवं रीपर-कमबाईन्डर के उपयोग करने की सलाह है, जिससे फसल को काफी नीचे से काटा जा सकता है एवं नरवाई जलाने की आवष्यकता नहीं होती है। खेतों की गहरी जुताई, हैप्पी सीडर तथा जीरोटिलेज सीडड्रिल से बुआई को प्रोत्साहित किया जा रहा है, इन यन्त्रों के उपयोग से फसल अवषेषों को भूिम में ही मिलाया जा सकेगा, जिससे भूमि की उर्वरक शक्ति बढेगी तथा फसल उत्पादन भी बेहतर प्राप्त होगा।
भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल द्वारा धान-गेहूँ फसल अवषेषों का यथा-स्थान विघटन हेतु एक्सेल डिकम्पोजर तकनीक (एक्सेल डिकम्पोजर कैप्सूल) विकसित की है जो फसल अवषेषों को 25-30 दिनों के अन्दर ही सड़ाकर खाद बना देती है। एक्सेल डिकम्पोजर कैप्सूल की अधिक जानकारी के लिये भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल के दूरभाष नम्बर 0755-2730946 पर सम्पर्क कर सकते है।
दण्ड का प्रावधान:-खेतों मे नरवाई जलाने का कृत्य जिला कलेक्टर द्वारा धारा 144 के तहत प्रतिबंधित है। नरवाई में आग लगाने पर पुलिस द्वारा प्रकरण भी कायम किया जा सकता है।
नरवाई जलाने के कारण मानव स्वास्थ्य, पषुओं के स्वास्थ्य, भूमि के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण पर भी गंभीर संकट उपलब्ध हो सकता है। राष्ट्रीय हित में किसान भाई नरवाई जलाने से परहेज करें।