विदिशा // प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मंशापूर्ण हनुमान मंदिर के पास स्थित सेवा केंद्र द्वारा होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया जिसमें होली का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए रेखा दीदी ने कहा कि होली शब्द का अर्थ – कई लोगों का कहना है कि होलका शब्द का अर्थ है भुना हुआ अन्न लोग अग्नि में अन्न डालते हैं और गेहूं और बालों को भूनते हैं योगियों के बोलचाल में ज्ञान अथवा योग को अग्नि से उपमा दी जाती है होली का शब्द भी हमें यह स्मृति दिलाता है कि परमपिता परमात्मा ने पुरानी सृष्टि के अंत में मनुष्यों को ज्ञान योग रूपी अग्नि द्वारा कर्म रूपी बीज को भूलने की जो स्मृति दी थी हम उस पर आचरण करें होली पर रंग डालने तथा छोटे-बड़े परिचित अपरिचित सभी से प्रेम भाव से मिलने की जो रीती है इसका शुरू में यही रूप था कि परमपिता परमात्मा शिव से ज्ञान प्राप्त करके मनुष्य ने ज्ञान पिचकारी से एक दूसरे की आत्मा रूपी चोली को रंगा था और एक दूसरे के प्रति मन मुटाव तथा मलिन भाव त्याग कर मंगलकारी परमात्मा शिव से मंगल मिलन बनाया था ज्ञान के बिना मनुष्य भला मंगल मिलन मना ही कैसे सकता है अज्ञानी और मायावी मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, आदि राक्षसी स्वभाओं से दूसरों का अमंगल करता है इसलिए होली का अर्थ हि है होली सो होली बुराइयों को छोड़कर परमात्मा मत पर चलना है होली अर्थात पवित्रता हमें मन, वचन, कर्म, से पवित्र रहना ही सच्ची होली मनाना है। राधे कृष्ण की सुंदर झांकी सजाई गई अधिक संख्या में माता बहने कार्यक्रम में उपस्थित रहीं।