अंगूर उत्पदान कर नीरु गुप्ता ने दी नजीर-आंचलिक ख़बरें-अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

News Desk
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दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश

चित्रकूट।कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं होता, बस कठिन परिश्रम करना चाहिए। ऐसा ही एक वाकया जिला मुख्यालय एसडीएम कालोनी निवासी नीरु गुप्ता एडवोकेट के आवास में देखने को मिला। जहां उन्होंने अंगूर जैसा दुर्लभ फल का पेड़ लगाकर यह साबित कर दिया कि बुंदेलखंड की धरती जम्मू कश्मीर और नासिक से कम नहीं है।
नीरु गुप्ता ने बताया कि उनके आंगन में अंगूर का बहुत बड़ा पेड़ है। जिसमें अंगूर के फल लगे हुए हैं, बंदरों व पक्षियों से पेड देखरेख के लिए वह व उनके परिवार के सदस्य लगे रहते है। उनका कहना है इन पशु-पक्षियों का फल फूल और अन्य प्रकृति प्रदत्त चीजों पर इसंसान से पहले हक है। मनुष्य को जीव जंतुओं का भी संरक्षण करना चाहिए। उनके इस नेक कार्य में त्यागी इंटर कालेज ऐंचवारा के पूर्व प्रधानाचार्य राजाराम गुप्ता का भी अतुलनीय सहयोग है। अभी हाल ही में सेवानिवृत्त होने के बाद उनका पूरा ध्यान प्रकृति संरक्षण पर है। उन्होंने अपने खाली पड़ी एक भूमि पर पीपल, बरगद, जामुन, नीम जैसे तमाम औषधीय पौधों के अलावा साग सब्जी गन्ना, गुलाब, अमरूद, पपीता आदि की खेती कर रहे हैं और उसमें जो भी फल उत्पादन होता है, उसे अपने पास पड़ोसियों को निःशुल्क बांटते रहते हैं, राजाराम गुप्त का कहना है कि उन्हें अपने परिश्रम से उत्पादन किए गए फल फूल जब दूसरे को निशुल्क बांटते हैं, तो उन्हें आत्मीय सुख शांति की अनुभूति होती है। नीरू गुप्ता का कहना है कि रासायनिक खाद बीज के प्रयोग से बाजार से लाई गई सब्जी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है इसलिए वह अपनी भूमि पर जैविक विधि से फल फूल का उत्पादन कर रहे हैं। कहा कि जिस प्रकार हम अपने बाल बच्चों को पालते हैं, उन्हें बड़ा करते हैं। उसी तरह हमें पेड़ पौधों को भी संरक्षित करके बड़ा करना चाहिए ताकि पर्यावरण संरक्षण हो सके। कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को संकल्प लेना चाहिए कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हर आदमी कम से कम पांच पौधे अवश्य रोपित करें और जिसके पास भूमि है उस पर साग भाजी उत्पादन करें, किचन गार्डन तैयार करें। इससे भावी पीढ़ी को भी पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरणा मिलेगी

 

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