झुंझुनू। जिले के सरपंचों के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में राज्य व केंद्र सरकार द्वारा आवंटित राशि का पूरा उपयोग कर ग्राम पंचायत कोष का बकाया शून्य करने की हसरत इस बार पूरी नहीं हो पाई है।केंद्र व राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर जनसंख्या के आधार पर औसतन प्रति ग्राम पंचायत पर 30 से 40 लाख रुपए प्रति वर्ष दो से तीन किस्तों में सीधे ही ग्राम पंचायतों पंचायत समितियों व जिला परिषद के खातों में भेजे जाते हैं।इस साल के प्रथम 6 माह में केवल एक क़िस्त मिली थी दूसरी किस्त केंद्र व राज्य सरकार द्वारा विलंब से जारी करने तथा पूर्व में जारी राशि का समय पर ग्राम पंचायतों द्वारा समायोजन नहीं करवाने के कारण पंचायत चुनाव की आचार संहिता से पूर्व कार्यों की स्वीकृति जारी नहीं की जा सकी,ऐसी स्थिति में वित्त आयोग की अनुशंसा पर प्राप्त कुल 58 करोड का फंड प्रति पंचायत औसत 20-20 लाख रूपये ग्राम पंचायतों के खातों में वर्तमान में बकाया पड़ा है।सामान्य तौर पर निवर्तमान सरपंच अपने कार्यकाल में प्राप्त होने वाली राशि के काम पहले ही पूर्ण करवा देते हैं,जिसके कारण वित्तीय वर्ष की शेष अवधि में नवनिर्वाचित सरपंचों के पास अगले 6 माह तक कोई फंड नहीं रहता है इस बार जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट के द्वारा नियमों की पालना में की जा रही सख्ती के चलते निवर्तमान सरपंच अपनी इच्छा पूरी नहीं कर सके।
नवनिर्वाचित सरपंच ही कर पाएंगे इस साल के बचे हुए फंड का उपयोग-आँचलिक ख़बरें-संजय सोनी
