चित्रकूट।जिला में उत्तर प्रदेश की सरकार के द्वारा चलाए जा रहा भू एंटी रोमियो मजाक साबित होता नजर आ रहा है। वैसे तो कर्वी तहसील अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत अकबरपुर (ब) की राष्ट्रीय राजमार्ग से लगी शासकीय जमीन व आरक्षित जमीनों को जहां पूर्व ग्राम प्रधान गैबीशरण व पूर्व प्रधान के पुत्रों के द्वारा शासकीय जमीन को बेचने के सिलसिले में 420 का प्रकरण दर्ज किया गया था। लेकिन भू माफिया के ऊपर कार्रवाई होने के बाद भी ग्राम पंचायत की आरक्षित जमीन को पूर्व प्रधान के द्वारा मनचाही रकम लेकर लोगों को बेचने का कार्य किया गया है। लेकिन बेदखल की कार्रवाई न होना भू माफियाओं के हौसले को बुलंद कर दिया है। अब इन दिनों फिर एक बार ग्राम पंचायत की आरक्षित शासकीय जमीन पर भूमाफिया द्वारा राजस्व विभाग के जिम्मेदारों को सुविधा शुल्क देकर मन मुताबिक मकान का निर्माण कर कब्जा किया गया है। ग्रामीण अश्विनी कुमार का कहना है कि ग्राम पंचायत की नाली के रूप में कागजात में दर्ज आरक्षित भूमि गाटा संख्या 710खाता संख्या 669 ,0.218 रकबा संख्या भीटा, 711गाटा संख्या खाता खतौनी 647, 0.040 भूमि श्रेणी 6(1) नाली पर दर्ज है। उक्त भुमि nh 35 से लगी हुई है पर धर्मेंद्र कुमार व जितेंद्र कुमार के द्वारा अवैध रूप से पक्का मकान निर्माण कर राष्ट्रीय राजमार्ग से लगी हुई भूमि पर कब्जा कर लिया गया है। और मकान का निर्माण कार्य भी किया गया है। जिसको लेकर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 67 (1) के अंतर्गत कार्रवाई की गई है जो मामला विचाराधीन है। लेकिन राजस्व विभाग की कार्रवाई क्षेत्रीय लेखपाल से सांठगांठ होने की वजह से सिर्फ दफ्तरों के कागजों पर ही दम तोड़ती नजर आ रही है। शासकीय जमीन पर अतिक्रमण कर मकान बनाने वाले भू माफियाओं के द्वारा लगातार कार्रवाई होने के बाद भी निर्माण कार्य किया जा रहा है। लेकिन क्षेत्रीय लेखपाल को अपने क्षेत्र की शासकीय जमीन को सुरक्षित रखने के लिए किसी तरह की कोई चिंता व परवाह नजर नहीं आ रही है। और यही वजह है कि अकबरपुर ग्राम पंचायत की सरकारी जमीन राजस्व विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ करके धीरे-धीरे भू माफियाओं के कब्जे पर हो गई है।
लेखपाल माता बदन का कहना- संबंधित शासकीय भूमि पर अतिक्रमण की बात व निर्माण कार्य को लेकर जब क्षेत्रीय लेखपाल से बात की गई तो लेखपाल का कहना है कि हमारे द्वारा उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की 67(1) के तहत कार्रवाई की गई है और मामला कर्वी तहसील में विचाराधीन है। लेकिन लेखपाल को यह खबर नहीं है कि कार्रवाई होने के बाद भी संबंधित भू माफियाओं के द्वारा शासन के निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए लगातार संबंधित आरक्षित भूमि पर निर्माण कार्य किया जा रहा है। जिससे स्पष्ट होता है कि क्षेत्रीय लेखपाल को शायद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के भू एंटी रोमियो कानून का भय नहीं है और यही वजह है कि संबंधित लोगों से लेखपाल के द्वारा साठगांठ करके लगातार शासकीय भूमि पर भू माफियाओं द्वारा कब्जा कराने के लिए छूट दी गई है। और कार्रवाई सिर्फ शासकीय कागजों तक ही सीमित रह गई है।
क्षेत्रीय लेखपाल ने जनसुनवाई पोर्टल को बनाया मजाक
भले ही उत्तर प्रदेश की सरकार के द्वारा जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से लोगों को आसानी से शिकायत कर निस्तारण व समाधान करने के लिए सुविधा उपलब्ध कराई गई हो लेकिन जनसुनवाई पोर्टल को जिले में जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा मजाक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। अकबरपुर निवासी अश्वनी कुमार के द्वारा अकबरपुर ग्राम पंचायत की आरक्षित जमीन पर भूमाफिया द्वारा कब्जा किए जाने की शिकायत जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से की गई और राजस्व विभाग के अधिकारियों से गुहार लगाई गई कि ग्राम पंचायत की आरक्षित भूमि पर लगातार भू माफियाओं के द्वारा कब्जा किया जा रहा है। जिसमें क्षेत्रीय लेखपाल के द्वारा उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 67(1) की कार्रवाई का हवाला देकर शिकायत का निस्तारण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। और क्षेत्रीय लेखपाल माता बदल सिंह के द्वारा जमीनी स्तर की जांच ना करते हुए अपने दफ्तर में ही बिना जांच किए शिकायत का निस्तारण करते हुए जनसुनवाई पोर्टल को मजाक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा गया है लेखपाल का कहना है कि आरक्षित ग्राम पंचायत की जमीन पर लगातार निर्माण कार्य जारी है इसकी मुझे जानकारी नहीं है तो आखिर लेखपाल महोदय के द्वारा किस बेस पर शिकायत का निस्तारण कर दिया गया है। जिससे स्पष्ट होता है कि जनसुनवाई पोर्टल को अब जिम्मेदार अधिकारी मजाक बना रहे हैं जिसकी वजह से अब लोगों का जनसुनवाई पोर्टल से विश्वास उठता चला जा रहा है। वही देखना अब यह है कि चित्रकूट जिला अधिकारी महोदय ऐसे ग्राम पंचायत की आरक्षित जमीन पर कब्जा करने वाले लोगों पर बेदखल की कार्रवाई कराते हुए कब तक भूमि को खाली कराने के निर्देश जारी करते हैं और ऐसे लापरवाह लेखपाल पर कार्रवाई करते हैं जो जनसुनवाई पोर्टल को मजाक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।