पिता एक अनमोल रिश्ते का नाम -ब्रम्हाकुमारी रुकमणी दीदी-आंचलिक ख़बरें-भैयालाल धाकड़

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विदिशा // प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा फादर्स डे पर कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें वृद्ध जनों का सम्मान किया गया। ब्रम्हाकुमारी रुकमणी बहन ने अपने विचार रखते हुए कहा कि मां हमें प्यार दुलार करती है जैसे रुई का काम करती है। किसी प्रकार की चोट नहीं आने देती है। उसी प्रकार पिता हमारे जीवन में छत्रछाया का काम करता है। मां हमें रोटी बना कर खिलाती है तो पिता अन्न की व्यवस्था करता है। सही गलत की पहचान देता है वही बाहर की दुनिया दिखाता है। पिता एक अनमोल रिश्ते का नाम है जो अपनी खुशियां भी बच्चों पर बार देता है। पिता अनमोल मोती का नाम है जो एक उम्मीद है, आश है, परिवार की हिम्मत और विश्वास है, तो रोटी है, कपड़ा है, मकान है, पिता छोटे से परिंदे का बड़ा सा आसमान है। पिता के बगैर बच्चों का जीवन अधूरा संघर्षमय बन जाता है। लेकिन आज की विडंबना यह है कि बच्चों को पिता की जायदाद, मिल्कियत, पैसा चाहिए लेकिन पिता नहीं चाहिए। उन्हें घर से बाहर निकाल देते हैं वृद्ध आश्रम में छोड़ देते हैं। अगर माता-पिता साथ भी होते हैं तो 90% बच्चे यही कहते हैं कि माता-पिता हमारे साथ रहते हैं। बहुत कम ऐसे हैं जो कहें हम माता-पिता के साथ रहते हैं। हम किस की मिल्कियत पर राज करते हैं यह बच्चे भूल जाते हैं हमें मात पिता का सम्मान करना चाहिए। WhatsApp Image 2022 06 19 at 6.01.37 PMउनकि आज्ञा पर चलना चाहिए। आगे रेखा दीदी ने संबोधित करते हुए कहा कि हम मानते हैं फादर्स डे विदेशी पर्व है लेकिन हमें इससे सीख लेनी हैं हमें विदेशों की तरह एक दिन माता-पिता का सम्मान नहीं करना है। हमें आजीवन माता-पिता का सम्मान करना है उनकी आज्ञा माननी है वो हमारे भले के लिए ही करते हैं। माता-पिता बच्चों का कभी अहित नहीं करते सदा बच्चों को अपने से ऊंचा उठाना चाहते हैं। स्वयं दुख में रहे लेकिन अपने बच्चों को हर प्रकार का सुख दिलाने के लिए अपना सारा जीवन न्योछावर कर देते हैं। भारत ही एक ऐसा देश है जहां भगवान को मात पिता कहा जाता है। हम भी उस पतित पावन परमपिता परमात्मा शिव की संतान हैं जो सुख, शांति, आनंद, प्रेम, पवित्रता, ज्ञान और शक्ति का सागर है जब हम परमात्मा की श्रीमत पर चलते हैं तो हम सुख, शांति रूपी प्रॉपर्टी के हकदार बन जाते हैं। परमपिता परमात्मा भी हमें कभी दुख नहीं देता वह हमें सदा सुख देता है। दुख हम अपने कर्मों के अनुसार भोगते हैं। इसलिए हमें हर वक्त चलते फिरते खाते पीते परमपिता परमात्मा को याद करते रहना चाहिए। भोपाल से रूहानी बहन, नंदिनी बहन, राजेंद्र कुमार सेठ, अरुण गुप्ता, मनीष जैन, जगदीश द्विवेदी, राजेश शर्मा, प्रकाश चंद्र आदि अधिक संख्या में लोग मौजूद रहे।

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