‘‘वर्तमान खरीफ 2022 मे उर्वरक उपलब्धता एवं वर्षा की स्थिति को देखते हुए दी जाने वाली समसामयिक सलाह‘‘-आंचलिक ख़बरें-राजेंद्र राठौर

News Desk
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झाबुआ 20 जून , 2022। जिले में कहीं-कहीं हल्की वर्षा का दौर चालू हो गया है। कृषक भाईयों के द्वारा खरीफ 2022 हेतु बुआई कार्य हेतु बीजों की व्यवस्था की जा रही है। कृषक भाईयों के स्वयं के द्वारा गत वर्ष सोयाबीन की नवीनतम किस्मों के बीजो से उत्पादित फसल से प्राप्त उपज से बीज हेतु प्राप्त करें।
उक्त बीज स्वयं द्वारा उत्पादित नवीन किस्मो का जिसकी अंकुरण क्षमता, उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता से हम भलिभांति वाकिफ होगें। उक्त बीज की अच्छी तरह से साफ सफाई, ग्रेडिंग किया जावे। तत्पष्चात बीज अंकुरण परिक्षण किया जावे इस हेतु 100 बीज को अंकरण हेतु लगावें जितने बीज अंकुरित हा जावेगें वह अंकुरण प्रतिशत होगा। बीज को बीजोपचार दवाई फफुंदनाषक से अच्छी प्रकार उपचारित किया जाना है। बीजोपचार के तौर पर थायरम ़ कार्बोक्सीन (3 ग्राम) अथवा ट्रायकोडर्मा (10 ग्राम) प्रति किलो से बीज को उपचारित किया जावे।
गत वर्षो मे जिले मे सोयाबीन फसल पीला मोजेक रोग से प्रकोपित हुई है अतः इसकी रोकथाम हेतु थायोमिथेक्साम (10 मि.ली.) या इमिडाक्लोप्रीड (1.2 मि.ली.) प्रति किलो से बीज को उपचारित किया जावे।
बीजोपचार हेतु परम्परागत मिट्टी के घडे मे बीज, बीजोचार औषधि एवं अल्प मात्रा मे गुड का पानी मिला कर घडे को अच्छी तरह से हिला डुला कर बीज को उपचारित किया जा सकता है, अथवा बीजोपचार यंत्र की मदद् से भी बीजो को उपचारित किया जा सकता है।
बीज की बुआई हेतु उचित समय का चुनाव 2.5‘‘-3‘‘ इंच वर्षा होकर भूमि में पर्याप्त नमी नही हो तब तक बुआई कार्य प्रारंभ नहीं किया जावें। बीज की कमी को दृष्टिगत रखते हुए रेज्ड-बेड एवं रिज फरो विधि से बुआई कार्य करें। सोयाबीन फसल को खरीफ की अन्य फसलो के साथ अन्तरवर्ती फसल के रूप मे जैसे सोयाबीऩअरहर, सोयाबीऩज्वार, सोयाबीऩ मक्का, आदि लिये जाने की अनुशंसा की जाती है। जिन किसान भाईयो ने बुआई कर दी है वे सिंचाई के उपलब्ध साधनो से स्प्रींकलर, ड्रिप चला कर सिंचाई करें, खेतो मे डोरा, कोल्पा चला कर खेत की नमी को संरक्षित करें।
सोयाबीन एक फसल पद्धति के स्थान पर सोयाबीन बहूफसली पद्धति से बुआई की अनुशंसा की जाती है। सोयाबीन फसल को यथा स्थान मक्का, उडद, मुंगफली से प्रतिस्थापित करने की अनुशंसा की जाती है।
कृषक भाईयो को सलाह दी जाती है कि बीज विक्रेताओ से बीज क्रय करते समय बिल आवश्यक रूप से प्राप्त करे ताकि यदि गुणवत्ता के सम्बन्ध मे कोंई शिकायत आती है तो विक्रेता के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जा सके।
कलेक्टर सोमेश मिश्रा के मार्गदर्शन मे नगीन रावत, उप संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास जिला झाबुआ ने इन सब अनुशंसाओं के अतिरिक्त किसान भाईयो को सुझाव दिया है कि क्षैत्रिय अनुसंघान केन्द्रों/कृषि विज्ञान केन्द्रो /किसान कल्याण तथा कृषि विकास के जिले मे कार्यरत क्षैत्रीय अधिकारियों से समय समय पर सम्पर्क करें। जिले में उर्वरको की सहज उलब्धता बनाए रखने के लिये 01 विपणन सहकारी समिति एवं 02 डबल लॉक के विक्रय केन्द्र प्रातः 9.00 बजे से सायं 5.00 बजे तक कृषकों को नगद् में उनकी आवश्यकता के अनुसार उर्वरक उपलब्ध करवाएें, उवर्रको की उपलब्धता के स्तर की निरंतर समीक्षा की जावे उपलब्धता स्तर मे कमी होने पर तत्काल अवगत करवाऐं ताकि तद्नुसार आवश्यक कार्यवाही की जा कर उपलब्धता का स्तर बनाए रखा जा सके।
संदेशः- हर वोट कीमती, हर निकाय महत्वपूर्ण।

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