सच्ची खुशी तभी होगी जब विकर्म करना बंद करोगे- ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी-आंचलिक ख़बरें-भैयालाल धाकड़

News Desk
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विदिशा // प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा पिताश्री प्रजापिता ब्रह्मा बाबा का 54 वा अव्यक्त आरोहण विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया गया। रेखा दीदी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि ब्रह्मा बाबा शिव परमात्मा के दिव्य अवतरण”के साकार माध्यम रहे, प्यारे ब्रह्मा बाबा ऐसी मिसाल थे जिन्होंने संपूर्ण मानव जाति को सर्व धर्मों के, सभी देशों के, सभी वर्गों के व हर आयु के मनुष्यों को प्रेरित किया सिर्फ अपने जीवन को ऊंचा उठाकर अनेकों के लिए प्रेरणा स्रोत तो अनेक मनुष्य बन जाते हैं लेकिन अपने जीवन को ऊंचा उठाकर अनेकों के जीवन को निरंतर ऊंचा उठाने के लिए प्रेरणा स्रोत रहे। ब्रह्मा बाबा हम सभी को खुशी में लाने और हल्का करने की सदा युक्तियां बताते रहते थे वह कहते आप मनोविकारों पर विजय पाने का पुरुषार्थ करने वाले विजयी रत्न हो विजय का तिलक तो आपके माथे पर मानो लगा ही हुआ है। बस, आप इतना करना कि घबराना नहीं, थकना नहीं और रुकना नहीं गफलत मत करना और आलस मत करना बल्कि जो राह अब शिव बाबा दिखा रहे हैं उस पर चलते रहना इस प्रकार बाबा विघ्नों को ऊंचे पद की निशानी, परीक्षाओं को उच्च पुरुषार्थ की प्रतिक्रिया, बड़े तूफानों को ऊंची मंजिल के नजदीक पहुंचने का चिन्ह बताकर सदा यही कहते बच्चे यह सब अंतिम सलाम करने आए हैं। बस ईश्वर की याद में इनको पार करो तो आपके कदम कदम में पदमापदम की कमाई होगी। बाबा कहते सच्ची खुशी तभी होगी जब विकर्म करना बंद करोगे और आत्मिक स्मृति तथा ईश्वरीय स्मृति में होगे। उस अवस्था में खुशी का पारावार नहीं रहेगा इन युक्तियों से बाबा नित्य प्रति सबको खुशी का प्याला पिलाते हुए उनमें नया दम, नया जोश भरते हुए उन्हें ऐसे ले चलते रहते कि मनुष्य को सब अशुद्ध संकल्प भूल जाते समस्याएं हल्की मालूम होती और मनोविकार उनसे सहज ही छूट जाते। ब्रह्माकुमारी रुकमणी दीदी ने बताया कि ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा ने 18 जनवरी 1969 को कर्मातीत स्थिति को प्राप्त किया और अपने साकार शरीर का त्याग किया। अव्यक्त होकर वे सूक्ष्म वतन की ओर उड़ चलें, जहां उन्होंने अपने फरिश्ता स्वरूप से सेवा का और अधिक विस्तार किया। 18 जनवरी के महान दिवस में बाबा ने जो अंतिम महावाक्य उच्चारण किए,वे थे- बच्चे, निराकारी, निर्विकारी, निरंहकारी इन तीनों शब्दों के दिव्य वरदान द्वारा उन्होंने ब्रह्मावत्सों में रूहानी शक्ति भर दी। विश्व परिवर्तन के कार्य में प्रजापिता ब्रह्मा बाबा आज भी परमपिता परमात्मा शिव के सहयोगी हैं वे आज भी अव्यक्त रूप में बच्चों की पालना कर रहे हैं। ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी, ज्ञानियों के भी ज्ञानी, सर्व के अलौकिक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा को उनकी स्मृति दिवस पर 140 देशों में फैले अनेकानेक ब्रह्मावत्स कोटि-कोटि नमन श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। कार्यक्रम में अधिक संख्या में भाई-बहन उपस्थित रहे।

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