इस खेल के असली मास्टर माइंड अभी भी ठप्पे से जिला विपणन कार्यालय में जमे बैठे है।
दरअसल dmo नरेन्द्र तिलहन संघ के थे। मार्कफेड के थे नही। लिहाजा ज्यादातर काम यहां वर्षो से जमा वीरेंद्र अहिरवार है। सामान्य समितियों से पूरी डीलिंग यही करता रहा है और dmo से साइन करवाता रहा है। अभी भी इसकी बैठके समितियों से जारी हैं और जांच को प्रभावित करने की सेटिंग में जुटा हुआ है। कार्यालय की हर जानकारी समितियों तक इन्ही के माध्यम से पहुंच रही है। वर्तमान dmo के नाम पर समझौते की कोशिशें जारी हैं।इस मामले में गोदाम प्रभारियों की भी भूमिका है। लेकिन उन्हें बचाने की जुगत में हालिया लोग जुटे हुए है।चुनाव के नाम पर अभी तक सभी दोषी समितियों को नोटिस तक नही दिया गया है। जबकि चुनाव कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार प्रशिक्षण के अलावा और कोई अलग से काम नही होता। सेक्टर अधिकारी का भी कुछ ज्यादा होता लेकिन इतना भी नही की नोटिस जारी न हो सके।
आंचलिक समाचार का असर डीएमओ नरेंद्र प्रताप सिंह को सस्पेंड किया गया-आंचलिक ख़बरें-मनीष गर्ग

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