अखंड मण्डलाकार’ के विचारों से शरीर, प्राण एवं मन की बुद्धि स्थिर रहती है-आंचलिक ख़बरें-राजेंद्र राठौर

Aanchalik Khabre
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झाबुआ , शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं शारदा समूह के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के द्वितीय दिन सत्र का प्रारम्भ अनिता के द्वारा माता सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। केशव विद्यापीठ की छात्राओं के द्वारा प्रभावी एवं मधुर सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की गई। बोद्धिक चर्चा के पूर्व कार्यक्रम का अनौपचारिक उद्घाटन दीप मंत्र की मधुर ध्वनि के साथ किया गया। केशव विद्यापीठ की कक्षा 5वी की छात्रा सिद्धीक्षा आचार्य द्वारा पंचाग एवं सुवाक्य वाचन किया गया।
प्रारंभिक सत्र का संचालन केशव इंटरनेशनल स्कूल की उप प्राचार्या श्रीमती शालु जैन के द्वारा किया गया। इसके पश्चात् सत्र को दो हिस्सों में बांटा गया। प्रथम पाली मे नवीन प्रतिभागियों को सम्मिलित किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन समीर कौशिक न्यास की केन्द्रिय प्रचार टोली सदस्य मेरठ प्रांत के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता देशराज शर्मा के द्वारा की गई। मुख्य वक्ता डाॅ. जयेन्द्र सिंह जाधव गुजरात साहित्य अकादमी के महासचिव, न्यास के प्रबन्धन शिक्षा के राष्ट्रीय सचिव, शासकीय महाविद्यालय वाणिज्य में प्राध्यापक द्वारा विज्ञानमय कोश को सरल शब्दों में बहुत ही प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया गया इस सत्र को संवाद सत्र की परिभाषा दी। ‘अखंड मण्डलाकार’ के विचारों से शरीर, प्राण एवं मन की बुद्धि स्थिर रहती है। बुद्धि के विकास के लिए मन का स्थिर एवं एकाग्र होना आवश्यक है। कक्षा कक्ष में छात्र की बुद्धि को स्थिर रखने के लिए ॐकार का तीन बार उच्चारण करना, विद्यार्थियों में संतुलित बुद्धि के विकास के लिए आवश्यक है अभिमन्यु का जीवन इसका उदाहरण है जो व्यक्ति अपने अर्जित ज्ञान का उपयोग समाज के लिए करता है वह बुद्धिमान होता है। ‘‘श्रृद्धावान लभते ज्ञानं’’ श्रृद्धावान व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करता है। पारिवारिक वातावरण, विद्यालय का परीवेश एवं विद्यालयीन गतिविधियां, विद्यार्थी के व्यक्तित्व को सही दिशा देते है। वक्तव्य के अंत में पश्चिम महाराष्ट्र से आए पवन शिरोड़े द्वारा डाॅ. जयेन्द्र सिंह जाधव को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।WhatsApp Image 2022 12 31 at 6.04.29 PM 1
द्वितीय पाली में विज्ञानमय कोश का विषय प्रतिपादन डाॅ. भरत व्यास शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास के प्रांत संयोजक, शासकीय विद्यालय में भौतिक शास्त्र के प्राध्यापक, लोक शिक्षण संचालनालय में सहायक संचालक तथा उज्जैन में लोक मान्य तिलक सांस्कृतिक न्यास के सचिव द्वारा किया गया।
सभी वक्ताओं का सम्मान श्रीफल एवं शाॅल के द्वारा शारदा समूह की संचालिका श्रीमती किरण शर्मा द्वारा किया गया। शारदा विद्या मंदिर सी.बी.एस.ई. स्कूल की प्राचार्या श्रीमती दीपशिखा तिवारी द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। वक्तव्य के मुख्य बिन्दु इस प्रकार है – व्यक्तित्व के सम्पूर्ण विकास के लिए विद्यार्थी को कल्पना शक्ति का मुखोटा पहनना आवश्यक है। आत्मा को व्यक्त करने का साधन शरीर होता है। हमारी भारतीय परंपरा में अवैज्ञानिकता को कोई स्थान नही है। विज्ञानमय कोश का अर्थ विज्ञान से नही अपितु बुद्धि से होता है। मन द्वंदात्मक होता है एवं बुद्धि निश्चयात्मक होती है। हमें न तो बुद्धिजीवी होना चाहिए और न ही बुद्धिमानी, हमें हमेशा बुद्धिधर्मी होना चाहिए क्योंकि धर्म ही हमें आगे बढ़ाता है और बुद्धि हमेशा विवेकपूर्ण होना चाहिए। विज्ञानमय कोश स्थुल से सुक्ष्म की यात्रा द्वारा व्यक्ति का व्यक्तित्व विकास करता है।WhatsApp Image 2022 12 31 at 6.04.29 PM
अन्न के आनन्द से, इन्द्रिय सुख के आनन्द से ज्ञान के आनन्द की ओर बढ़ना, विज्ञानमय कोश के विकसित होने की दिशा है। आचार्य के आचरण से छात्र सीखता है। अगर हमें छात्र की आत्मा तक पहुंचना है तो हमें शिक्षक से गुरू बनना ही होगा तभी विद्यार्थी का सम्पूर्ण विकास होगा। सत्र के दौरान मध्यप्रदेश लोक सेवा आयुक्त की पूर्व सदस्य एवं न्यास में महिला कार्य प्रमुख शोभा ताई पैठणकर तथा जगराम जी शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के उत्तर क्षेत्र, पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयोजक उपस्थित रहे।
राष्ट्रीय कार्यशाला में नवाचार को लेकर लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन बडवानी जिले से आए श्रीराम यादव के द्वारा किया गया।

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