सरकार के खिलाफ सक्षम फोरम में अपील की स्वतंत्रता
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में निचली अदालत से उम्रकैद की सजा पाए व्यक्ति को न केवल निर्दोष करार दिया, वरन उसे मुआवजा देने के निर्देश भी दिए। जस्टिस अतुल श्रीधरन व जस्टिस सुनीता यादव की खंडपीठ ने कहा कि द्वेषपूर्ण अभियोजन के कारण आवेदक का पूरा जीवन अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया। कोर्ट ने कहा कि निर्दोष होते हुए भी उसे 4 हजार 740 दिन जेल में काटने पड़े,
इसलिए सरकार उसे 42 लाख रुपए का मुआवजा दे। कोर्ट ने सरकार को 90 दिन के भीतर इस राशि का भुगतान करने को कहा है और ऐसा नहीं होने पर सालाना 9 फीसदी ब्याज भी देना होगा। कोर्ट ने कहा कि आवेदक चाहे तो द्वेषपूर्ण अभियोजन से उसे हुए नुकसान के लिए सरकार के खिलाफ सक्षम फोरम में अपील भी कर सकता है। प्रकरण के अनुसार, बालाघाट दी।
कोर्ट द्वेषपूर्ण अभियोजन के पूरा जीवन अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया
निवासी चंद्रेश मर्सकोले पर अपनी प्रेमिका की हत्या करने और उसके शव को नदी में फेंकने का आरोप था। घटना 19 अगस्त 2008 की है। भोपाल की अदालत ने 31 जुलाई 2009 में चंद्रेश को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। चंद्रेश एमबीबीएस के अंतिम वर्ष का छात्र था। घटना के दिन उसने सीनियर रेसिडेंट डॉक्टर हेमंत वर्मा से होशंगाबाद जाने के लिए गाड़ी मांगी। उस पर आरोप है कि पहले उसने लड़की की हत्या की और बाद में रास्ते में उसकी बॉडी पचमढ़ी स्थित रावी नदी में फेंक दी गई
निर्दोष होते हुए भी 4,740 दिन जेल में काटे, सरकार दे 42 लाख का मुआवजा-आंचलिक ख़बरें-मनीष गर्ग

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