कटनी। जिले में समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन का कार्य तेजी से जारी है। जिले में अब तक 24हजार413 किसानों ने धान बेचने के लिए स्लाट बुकिंग की है। जिसमें से 3हजार 877 किसानों से अब तक 36हजार 851 मेट्रिक टन धान उपार्जित की जा चुकी है।
कलेक्टर अवि प्रसाद द्वारा धान उपार्जन कार्य की नियमित निगरानी और समीक्षा किए जाने की वजह से उपार्जन केंद्रों में किसानों की सुविधा और हित को देखते हुए सभी जरूरी संसाधन मुहैया कराए गए हैं। इसके अलावा समय-समय पर कलेक्टर श्री प्रसाद द्वारा उपार्जन केंद्रों का औचक निरीक्षण भी किया जाता है। कलेक्टर ने खरीदी केंद्र प्रभारियों और इस कार्य से संबंधित सभी अधिकारियों को दो टूक लहजे में निर्देशित किया है कि किसानों के हित से जुड़े किसी भी मामले में किसी भी स्तर की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
धान खरीदी में बरही तहसील अव्वल
धान उपार्जन के मामले में जिले की बरही तहसील अग्रणी है। यहां अब तक 890 किसानों से 8हजार 205 मेट्रिक टन धान उपार्जन उपार्जित की जा चुकी है। इसमें से 1355 मेट्रिक टन धान का परिवहन कर सुरक्षित भंडारण भी किया जा चुका है।
किसानों की संख्या में ढीमरखेड़ा अग्रणी
धान उपार्जन केंद्र में धान बेचने वाले किसानों की संख्या की दृष्टि से जिले की ढीमरखेड़ा तहसील पहले स्थान पर है। यहां की सर्वाधिक 906 किसानों ने अब तक अपनी धान समर्थन मूल्य पर बेची है। ढीमरखेड़ा तहसील के खरीदी केंद्रों में अब तक 7हजार 762 मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है।
जिला आपूर्ति अधिकारी बालेंद्र शुक्ला के मुताबिक कटनी तहसील में अब तक 412 किसानों से 4हजार646 मैट्रिक और बड़वारा तहसील में 621 किसानों से 5 हजार 668 मेट्रिक टन तथा बहोरीबंद तहसील में 404 किसानों से 4हजार174 मेट्रिक टन एवं रीठी तहसील में 175 किसानों से 1हजार 730 मेट्रिक टन तथा विजयराघवगढ तहसील में 431 किसानों से 4हजार247 मेट्रिक टन और स्लीमनाबाद तहसील में 38 किसानों से 419 मेट्रिक टन धान उपार्जन अब तक की जा चुकी है।
उल्लेखनीय है कि किसानों की सुविधा को देखते हुए कलेक्टर अवि प्रसाद के निर्देश पर जिले में इस साल 81 खरीदी केंद्रों के माध्यम से धान उपार्जन किया जा रहा है। किसानों से 2040 रूपए प्रति क्विंटल के मान से इस साल धान खरीदी की जा रही है। जबकि पिछले साल समर्थन मूल्य पर 1940 रूपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों से धान की खरीदी की गई थी।
राज्य सरकार द्वारा किसान हित में निर्णय लेते हुए इस साल के धान के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की गई है ताकि किसानों को उनकी फसल की वाजिब कीमत मिल सके।