फर्जी जीएसटी कंपनियों के खेल से सरकार सहित व्यापारी भी परेशान

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By News Desk
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इन दिनों जीएसटी और आयकर विभाग की टीम पूरे देश में फर्जी जीएसटी को लेकर महज कागजों में कार्यरत कंपनियों पर नकेल कसने के लिए अभियान चला रही है. विदित हो कि फर्जी जीएसटी लेकर स्थापित की गई कंपनियों द्वारा टैक्स की चोरी की जाती है. कुछ समय पूर्व हुई एक मीटिंग में फर्जी जीएसटी को रोकने व सक्रीय फर्जी कंपनियों को बंद करने का फैसला लिया गया. जिसके तहत वस्तु एवं सेवा कर (GST) और आयकर विभाग ने 16 मई से विशेष अभियान शुरू किया है. यह अभियान सभी केंद्रीय और राज्य कर प्रशासन चलाएंगे और यह 15 जुलाई तक जारी रहेगा. फ़िलहाल फर्जी जीएसटी कंपनियों से न केवल सरकार बल्कि व्यापारियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

कैसे होती है फर्जी कंपनियों के जरिये टैक्स चोरी

कई मामलों में आधार केंद्रों का इस्तेमाल कर पहले आधार कार्ड हासिल किया जाता है , फिर उस पते और नाम से फर्म बनाकर जीएसटी नंबर हासिल किया जाता है. जिस पर कंपनी की बिलिंग की जाती है. जिस फर्म के नाम पर बिलिंग होती है वह भी इसी तरह से फर्जी होती है , फर्जी बिलिंग के आधार जीएसटी क्रेडिट क्लेम किया जाता है।

क्या फर्जी जीएसटी कंपनी को स्वीकृति देने वाले स्थानीय अधिकारी भी हैं दोषी ?

यह एक बहस का मुद्दा है कि जब जीएसटी नंबर लेने के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज सम्बंधित विभाग में जमा किये जाते है तो उसी वक्त स्थानीय जीएसटी अधिकारी पूरी जाँच क्यों नहीं करते ? और आखिर क्यों एक संभावित फर्जी कंपनी को जीएसटी नंबर प्रदान कर दिया जाता है. क्या ऐसे अधिकारीयों पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए ? फ़िलहाल इस विषय पर कई पहलु हैं, लेकिन इस बात से गुरेज नहीं किया जा सकता है कि कहीं न कहीं जीएसटी विभाग के स्थानीय अधिकारी भी भृष्टाचार में लिप्त हैं, तभी ऐसी फर्जी जीएसटी वाली कंपनियों की संख्या लगातार बढ़ी है. सरकार द्वारा ऐसे भृष्ट अधिकारीयों को चिन्हित कर उन्हें दण्डित किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में फर्जी जीएसटी फर्म न बनें.

प्रारंभिक समय में भौतिक सत्यापन अनिवार्य न होना भी है एक वजह

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2017 में जब जीएसटी को लागू किया गया तब भौतिक सत्यापन नहीं किया जाता था , केवल आवेदन के आधार पर जीएसटी नंबर आवंटित हो जाता था. उस दौरान बड़े पैमाने पर दूसरों के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर इस तरह की टैक्स चोरी की गयी. आधार कार्ड ज्यातादर उन लोगों का इस्तेमाल करते है जो गरीब और कम पढ़े लिखे होते हैं. जिनका स्थायी पता नहीं होता. ऐसे लोगों को ढूढ़ने में विभाग को भी बड़ी दिक्कत होती है. भौतिक सत्यापन न होने की वजह से बहुत सी फर्जी जीएसटी कंपनियों का जन्म हुआ, जिनमे टैक्स चोरी की प्रवत्ति सर्वाधिक होती है.

फर्जी जीएसटी कंपनियों पर नकेल कसने के लिए नया नियम

प्राप्त जानकारी के अनुसार देश में बढ़ते फर्जी जीएसटी के रैकेट पर नकेल कसने के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन के नियमों में संसोधन किया गया है. जिसमे 27 दिसंबर, 2022 को जारी अधिसूचना संख्या 27/2022 के माध्यम से सीजीएसटी नियमों के नियम 8 (4ए) में संशोधन किया, जिसमें कहा गया कि एक पायलट प्रोजेक्ट के साथ जीएसटी पंजीकरण देने के लिए बायोमेट्रिक-आधारित आधार प्रमाणीकरण प्रदान किया जायेगा. सरल शब्दों में कहें तो दिसंबर 2022 से GST पंजीयन के लिए ई आधार वेरिफिकेशन अनिवार्य किया गया है ,साथ ही विभाग के अधिकारी वेरिफिकेशन भी जगह पर जाकर करते हैं , अब इस तरह का घोटाला तभी हो सकता है जब जिसका आधार कार्ड इस्तेमाल किया गया हो, व वह ई वेरिफिकेशन में सहभागी बना हो, सामान्य तौर पर नजदीकी रिश्तेदारों और कर्मचारियों का इसमें दुरुपयोग होता है ,लेकिन वह बिल्कुल अनजान हो ऐसा नहीं होता.

क्या जीएसटी विभाग समय-समय पर करती है निरीक्षण ?

बताते चलें कि जीएसटी विभाग द्वारा समय-समय पर जीएसटी वाली कंपनियों के निरिक्षण के सम्बन्ध में कोई जानकारी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध नहीं है, अतः ये कहना मुश्किल है कि, जीएसटी विभाग कंपनियों का रूटीन वेरिफिकेशन करती है या नहीं. फ़िलहाल कुछ मामलों में विभाग द्वारा कंपनियों की जाँच व निरिक्षण जरूर किया जाता है. लेकिन इस सन्दर्भ में पूर्वनियोजित कोई नियम है या नहीं, ये जानकारी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध नहीं है.

अब क्यों हो रही है जाँच ? क्या है दो महीने चलने वाले अभियान का औचित्य

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के डाटा विश्लेषण के साथ ही अन्य विभागों से मिली महत्वपूर्ण जानकारियों और डाटा के आधार पर संदिग्ध कंपनियों की सूची बनाई गई है. इसके अलावा आयकर विभाग और जीएसटी रजिस्ट्रेशन के आंकड़ों के साथ कारोबारियों द्वारा दाखिल कॉरपोरेट कर रिटर्न सहित अन्य जानकारियों का विश्लेषण किया गया है. इन मामलों में आवश्यक कार्रवाई करने के लिए संबंधित राज्यों और केंद्रीय कर प्रशासन के साथ सूची को साझा किया जा रहा है.

जीएसटी अ​धिकारियों ने एक हजार से अधिक संदिग्ध कंपनियों और उनके लाभार्थियों की सूची तैयार की है. जिनपर फर्जी कंपनी बनाकर फर्जी लेनदेन करने और आईटीसी का लाभ उठाने के आरोप हैं. एक अ​धिकारी ने मीडिया को बताया कि पहचानी गई कुछ फर्मों के कुल कारोबार में वित्त वर्ष 2021, 2022 और 2023 के दौरान भारी उछाल देखने को मिला, इसलिए उनकी व्यापक जांच आवश्यक है. अधिकारी ने यह भी कहा कि विभाग का उद्देश्य फर्जी अथवा जाली बिल बनाने वालों पर अंकुश लगाना है. इन कंपनियों के संदिग्ध होने पर विभाग ने निर्णय लिया कि बहुत सी अन्य फर्जी कंपनियों भी संभावित रूप से संचालित हो रही हैं, जिनके रोकथाम के लिए कार्यवाई जरुरी है. बताते चलें कि राज्य और केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों की बीते 24 अप्रैल को हुई राष्ट्रीय समन्वय बैठक में जीएसटी के नकली/ फर्जी रजिस्ट्रेशन के मुद्दे पर चर्चा हुई थी। अगर सत्यापन में यह पता चलता है कि फर्जी कंपनी बनाकर फर्जी लेनदेन हुए हैं तो अधिकारी तुरंत जीएसटी रजिस्ट्रेशन रद्द करने की कार्रवाई शुरू कर सकते हैं। साथ ही परिसंपत्तियों को वसूली प्रक्रिया के तहत जब्त किया जा सकता है।

कथित फर्जी कंपनियों के साथ व्यापार करने वाली अन्य फर्म पर भी कार्यवाई

जनचर्चा है कि जीएसटी विभाग जिन कंपनियों को फर्जी बता कर बंद कर रही हैं, तो उन कथित फर्जी कंपनियों से व्यापार करने वाली दूसरी कम्पनियाँ भी जाँच के दायरे में आ रही है. इस बाबत जीएसटी विभाग को गंभीरता से कार्य करते हुए जांच करनी चाहिए. जीएसटी कंपनियों के फर्जीवाड़े में जीएसटी विभाग व व्यापारी दोनों पर प्रश्न चिन्ह उठता है. व्यापारियों को चाहिए की जिन कंपनियों के साथ वो व्यापार कर रहें हैं उनकी जानकारी रखें, साथ ही जीएसटी विभाग को भी नियम बनाकर नियमित रूप से कंपनियों का ऑडिट समय समय पर करना चाहिए, ताकि फर्जी कंपनियों पर नकेल कसी जा सके.

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