चित्रकूट। जिला के खंड विकास कर्वी के ग्राम पंचायत अकबरपुर में सचिव के द्वारा जारी किया गया मृत्यु प्रमाण पत्र चर्चा का विषय बना हुआ है। बताया जा रहा है कि अकबरपुर ग्राम पंचायत सचिव रामशरण राही ने पूर्व प्रधान गैबीशरण की सांठगांठ होने से जारी किया गया है जिस में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र के एवरेज में खुशियाना तौर पर मृतक के परिजनों के द्वारा अच्छी खासी राशि दी गई है जिनका पूर्व प्रधान एवं ग्राम पंचायत सचिव ने आपस में बंदरबांट किया है। जबकि जिस मृतक रामसनेही (राम गोपाल)पुत्र राम आधार का ग्राम पंचायत सचिव निमृत प्रमाण पत्र जारी किया है उसकी मृत्यु दतिया जिला के भांडेर तहसील के चंद्रोल में हुई है। जिस का दूसरा नाम रामस्वरूप दास महाराज था। बताया जा रहा है कि अकबरपुर निवासी रामसनेही उर्फ राम गोपाल पुत्र राम आधार जब सन्यास धारण किया और चंद्रोल गांव के एक प्रसिद्ध मंदिर में महंत की उपाधि धारण की तो बदल कर उनका नाम महंत रामस्वरूप दास हो गया जिनकी मृत्यु 10 अक्टूबर 2020 को बीमार होने की वजह से हो गई लेकिन जब महंत रामस्वरूप दास की मौत की खबर अकबरपुर निवासी महंत रामस्वरूप दास के परिजनों को लगी तो इनके द्वारा पूर्व ग्राम प्रधान से सांठगांठ करके खुशियांना की राशि देते हुए सचिव से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र गांव में मृत्यु दिखाकर जारी करा ली है और महंत रामस्वरूप दास उर्फ रामसनेही पुत्र रामगोपाल पुत्र रामाधार की चल अचल संपत्ति को हथियाने का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र लगाकर सिलसिला शुरू हुआ। वही जब इसकी भनक पत्रकार अश्विनी श्रीवास्तव को लगी तो इनके द्वारा खबर के माध्यम से अकबरपुर ग्राम पंचायत सचिव के द्वारा जारी फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र का खुलासा किया जाने लगा, वही मृतक के दो जगह से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं जो पहला वास्तविक मृत्यु प्रमाण पत्र दतिया जिला के भांडेर तहसील के चंद्रोल से जारी हुआ है तो दूसरा मृत्यु प्रमाण पत्र अकबरपुर सचिव के द्वारा जारी किया गया है फर्क यह है कि व्यक्ति एक है परंतु उसके सन्यास जीवन धारण करने के पहले के नाम पर रामसनेही उर्फ रामगोपाल पुत्र राम आधार के नाम से ग्राम पंचायत अकबरपुर के सचिव ने जारी किया है तो वही मंहत रामस्वरूप दास जी महाराज के नाम से चंद्रोल में जारी किया गया है जहां वास्तविक रूप से महंत की मृत्यु एवं अंतिम संस्कार हुआ है। वही करबी विकासखंड एडीओ के द्वारा फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाले सचिव की पक्षदारी करते हुए जांच के नाम पर लीपापोती की जा रही है।