रेलवे जैसे बड़े सरकारी विभाग में इन दिनों किराए के वाहनों की आड़ में मनमानी की जा रही है। हालात यह हैं कि टैक्सी पास की जगह पर निजी वाहन अटैच हैं, जबकि नियमानुसार विभागों में लगने वाले चार पहिया वाहन टैक्सी पास होना अनिवार्य है। नियम की जानकारी सभी जिम्मेदार अधिकारियों को है। इसके बावजूद शासन के निर्देशों को ताक पर रखकर निजी वाहन कार्यालय के उपयोग के लिए लगा रखे हैं। ऐसा ही एक मामला सतना डिपों में एडीएमई कार्यालय में टैक्सी परमिट चार पहिया वाहन की जगह प्राइवेट नंबर की गाड़ी लगे होने का सामने आ रहा है। बताया गया कि यहां एमपी 19 सीसी 7682 नंबर की गाड़ी लगी हुई है। इस गाड़ी से फरवरी माह में एक महिला को दुर्घटना ग्रस्त करने का मामला भी सामने आया था। इस घटना के बाद से वाहन टेंडर में लागाने वाली एजेंसी व फर्म ने रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के नाम की प्लेट हटा कर संचालित करवाया जा रहा है।
इस लिए नहीं कराते टैक्सी परमिट जानकारों के अनुसार शासन ने 2014 से सभी विभागों में टैक्सी पास वाहन लगाने के लिए सख्त निर्देश दिए थे बावजूद इसके सरकारी विभागों में निजी वाहन लगा रखे हैं। जबकि निजी वाहन अपने उपयोग में ले सकते हैं न कि किसी कार्यालय में लगा सकते हैं। कार्यालय में लगाना है तो उसका टैक्सी में पास होना आवश्यक होता है। टैक्सी पास वाहन न होने से परिवहन विभाग को राजस्व की हानि होती है। टैक्सी पास कराने के लिए लोगों को अधिक टैक्स जमा करना होता है, वहीं रजिस्ट्रेशन एवं फिटनेस की अलग से फीस जमा करनी होती है। निजी में पास कराने पर कम टैक्स लगता है, और आजीवन के लिए कोई झंझट नहीं रहता है