देश की टॉप क्लास की सड़क निर्माण कंपनी एलएनटी की सड़क में, इतने दरारे व गढ्ढे की पंचर लगाते लगाते कर्मचारी भी हो रहे लूज मोशन के शिकार, सड़क पर चलने वाले रोज हो रहे बड़ी दुर्घटनाओं के शिकार, पुलिस मामले दर्ज करने में जुटी रहती है. अस्पताल टूटे फूटे लोगो को जोड़ने में व एमएलसी भरने में व्यस्त सड़क में, काम करने वाले मजदूर भी असुरक्षा में जिम्मेदार कौन?
देश के अंदर ऐसा लगता है, मानो सतना जिले की मैहर तहसील में भृष्टाचार एक परिवार का हिस्सा हो गया है. जो कोई भी काम भृष्टाचार के बगैर नही हो सकता, इसका उदाहरण एक छोटा सा नेशनल हाइवे 30 को जो निर्माण कम्पनी ने अभी दो साल ही, लगभग हुए होंगे. और यही नही जिस समय सड़क निर्माण का काम चल रहा था. उसी समय से सुरु हो गया था. दरारे व गढ्ढे होना लेकिन जिम्मेदारों ने आंखे मूंद रखी थी. जबकि सूत्रों की माने तो मैहर क्षेत्र की जो भी विरोध करने वाले लोग थे, जैसे रेता ,गिट्टी क्रेसर वाले इनको कम्पनी ने ऐसी लाभ की लालच की चॉकलेट दी थी कि, हाइवे सड़क निर्माण को मिट्टी में मिला दिया गया था. कारण की सड़क निर्माण की मटेरियल में क्षेत्र के सभी क्रेसरो के डस्ट को मंहगे रेट में लेकर, रेता के स्थान पर सबसे अधिक मात्रा में डस्ट का उपयोग किया गया. जिसके कारण आज घटिया निर्माण को छुपाने के लिए, एलएनटी सड़क निर्माण कम्पनी को अब जगह जगह डामरीकरण कर, पंचर चिपका रही है. जिससे अधिक तेज रफ्तार में चलने वाले वाहने, उबड़ खाबड़ के वजह से दुर्घटनाओं के शिकार हो रहे है. सवाल यह उठ रहा है कि, आये दिन दुर्घटनाओं पर जनता कभीं कभी आक्रोश भी दिखाती है, लेकिन आक्रोश सड़क जाम कर इस बात पर जोर दिया जाता है कि, मुआवजा ज्यादा से ज्यादा मिले, लेकिन उस बात पर हर कोई ध्यान या जोर कोई नही देता की, नई नवेली सड़को में पड़े बड़े बड़े दरारे व गढ्ढे है. इस पर सड़क निर्माण पर भी मामला दर्ज हो, ताकि सड़क निर्माण कम्पनी भी दुर्घटनाओं के सहभागी बने और मामले दर्ज हो, ताकी घटिया निर्माण पर ब्रेक लगे, और कम से कम घटना दुर्घटना कम हो, और लोगो के परिवार सुरक्षित हो और घर परिवार न उजड़े? और घटिया निर्माण एजेंसियों को ब्लैक लिस्टेड किया जाए, लेकिन मैहर क्षेत्रो के जो बोलने या कुछ करने लायक लोग है, तो वो पहले ही कम्पनी द्वारा रेता गिट्टी डस्ट बेचकर चुप्पी साधे है, भृष्टाचार की मलाई मारकर एलएनटी कंपनी निकल गई, और असुरक्षा में कम्पनी द्वारा लगे पंचर चिकने वाले मजदूर, बिना सुरक्षा कवच के काम कर रहे जो गर्म डामर के बीच है, उनको सेफ्टी किट भी मुहैया नही कराई गई. ऐसे में इन मजदूरों के साथ भी घटना दुर्घटना हो सकती है. कौन जिम्मेदार होगा। जबकि सड़क पूरी तरह नही बन पाई थी. तभी से टोलवे चालू कर दिया गया, अब जब सड़क खराब है, तो पंचर लगाकर कम्पनी पैसा वशूल कर रही है. ऐसे में चाहिए कि, टोलवे में रेट कम करना चाहिए, लेकिन नही कर रही, कंपनी बल्कि पहले से अधिक रेट वशूली सुरु है, इस पर कोई विरोध करने वाला कोई नही? जानकारों की माने तो परिवहन विभाग की जो गाइड लाइन सड़को पर होना चाहिए, वो रीवा कटनी मार्ग के बीच मे कही भी दिशा निर्देश की बोर्ड नही दिखती, कई स्थानों पर तो गांव कही है, बोर्ड कही और लगा है, जिससे लोग भृमित हो जाते है, हाइवे 30 सड़को पर लगी स्ट्रीट लाईट भी ज्यादातर बन्द या टेढ़े मेढ़े खड़े है, हाइवे सड़क के नियमो को मुंह चिढ़ाती नजर आती है।अब तो सरकार को चाहिए कि जब टोलवे पर वशूली हो ही रही है, तो नए वाहनों के खरीद पर रोड़ टेक्स माफ कर देना चाहिए, उन वाहनों पर टैक्स ले जो वाहन टोलवे पर फ्री है।