मासूम अरहान की दर्दनाक दास्ताँ
6 महीने का अरहान, अमरोहा जिले के हसनपुर कस्बे में मोहल्ला मनापुर में रहने वाला एक नन्हा जीवन, जिसने अभी सांस लेना भी ठीक से सीखना था, अचानक तेज बुखार से पीड़ित हो गया। परिजन उसे “शुभम बाल क्लीनिक” ले गए, जहाँ डॉक्टर ने बिना उचित जांच—न कोई ब्लड टेस्ट, न एक्स-रे, न प्राथमिक मूल्यांकन—के सिरप और एक इंजेक्शन दे दिया। कुछ ही देर बाद अरहान की हालत बिगड़ गई।
डॉक्टर ने उसे गजरौला रेफर किया। लेकिन वहां पहुँचते ही उसे मृत घोषित कर दिया गया। परिजनों को भरोसा था कि सही इलाज मिलता तो मासूम बच सकता था।
दोषी डॉक्टर की फरारगी और पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
बच्चे की मौत से गुस्साए परिजन शव लेकर क्लीनिक लौटे और डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। आरोप है कि पुलिस ने उन्हें शांत कराया, बजाय एफआईआर दर्ज किए। कोतवाली प्रभारी दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि “हमें कोई तहरीर नहीं मिली है”—लेकिन तनावपूर्ण माहौल में बयान ने विवाद और बढ़ा दिया। परिजनों ने कहा यह पहली घटना नहीं है, बल्कि प्रशासन की लापरवाही और पुलिस की उदासीनता के चलते ऐसे फर्जी डॉक्टर खुलेआम क्लीनिक चला रहे हैं।
इस तरह की घटनाएँ भारत में कितनी आम हैं?
दिल्ली का ‘फेक डॉक्टर’ नेटवर्क
दक्षिण दिल्ली के Greater Kailash‑I में Agarwal Medical Centre के मामले में, मालिक डॉ. नीरज अग्रवाल, उनकी पत्नी पूजा और अन्य स्टाफ पर संगीन आरोप लगे। वे बिना योग्यता के सालाना 3,000 से अधिक सर्जरी कर रहे थे, जबकि डॉक्टर की लाइसेंस कई बार निलंबित हो चुकी थी
जांच में पता चला कि एक लैब टेक्नीशियन महेंद्र, जो ग्रेजुएट भी नहीं था, उसने कई सर्जरी की, और कई मरीज ऑपरेशन के बाद मारे गए
अदालतों और दिल्ली मेडिकल काउंसिल (DMC) को 2011 से 13 से अधिक शिकायतें मिलीं और चार मामले में डॉक्टर को निलंबित भी किया गया, पर सरकारी संस्थानों की सुस्त कार्रवाई के चलते यह क्लीनिक लंबे समय तक चलता रहा
इस क्लीनिक में “बैंगनी लिफाफ़ा” प्रदान करने वाली सेक्स चयन और गैरकानूनी गर्भपात की भी शिकायतें सामने आईं
गुजरात में फर्जी डिग्री रैकेट
सूरत में लंबी अवधि से चल रहे एक स्कैम में इलेक्ट्रो‑होमियोपैथी (BEMS) नामक काल्पनिक डिग्री देकर करीब 10 करोड़ रुपये कमाए गए। ऐसे प्रशिक्षित “डॉक्टर” गांवों में इलाज कर रहे थे, जबकि असल में उनकी योग्यता संदिग्ध थी
गुजरात में बिना योग्यता वाले क्लीनिक संचालक की गिरफ्तारियाँ
2025 की जुलाई में अहमदाबाद जिला में ऐसे कई इंसानों को गिरफ्तार किया गया जिनकी शिक्षा सिर्फ कक्षा 10 या 12 तक थी, फिर भी वे क्लीनिक चला रहे थे और मरीजों को ऑलोपैथिक इंजेक्शन दे रहे थे। एक व्यक्ति से मेडिकल सामग्री लगभग ₹40,000 जब्त की गई
असम में फर्जी MBBS डॉक्टर्स का मामला
सिलचर, असम में एक व्यक्ति जिसकी MBBS डिग्री फर्जी पाई गयी थी, उसने पिछले 10 वर्षों में कम से कम 50 C‑section जैसी सर्जरी कीं। उसे गिरफ्तार किया गया और राज्य सरकार ने प्रभावित मरीजों के स्वास्थ्य की पड़ताल शुरू की
उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में जुड़े मामलों के स्तर
एक दिल दहला देने वाली घटना में एक व्यक्ति ने YouTube वीडियो देखकर surgery की – परिणामस्वरूप एक 15‑साल का किशोर मारा गया। यह घटना बिहार की है, लेकिन यह दिखाता है कि इंडिया के ग्रामीण/कम विकास क्षेत्र में इस तरह की अनैतिक गतिविधियाँ कितनी आम हैं
सरकारी उपाय: QR‑कोड सत्यापन, नीतियाँ और कानून
महाराष्ट्र में ‘Know Your Doctor’ (KYD) QR‑कोड पहल शुरू की गई थी, पर 1.4 लाख पंजीकृत डॉक्टरों में से मात्र ~10,000 ही इसमें शामिल हुए। इसका उद्देश्य मरीजों को डॉक्टर की असली पंजीकरण की ऑनलाइन जांच करना है, लेकिन जब इसे व्यापक नहीं अपनाया गया, तो प्रभाव सीमित रहा
भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) और सुप्रीम कोर्ट लंबे समय से एंटी‑क्वैकरसी कानून की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई मजबूत केन्द्रीय कानून नहीं बना है
अमरोहा की घटना — इसके मायने और क्या हो सकता था बचाव
मूल कारण: अरहान को बिना उचित निदान (जैसे CBC, CRP, किसी संक्रमण की पहचान) सिर्फ एक इंजेक्शन और सिरप दिया गया। ये तरीका पूरी तरह मेडिकल प्रोटोकॉल के विरूद्ध था।
यदि सही इलाज मिलता: बच्चों में बुखार का इलाज सामान्यतः स्टूल/प्यू सिरप, तापमान मॉनिटरिंग, आवश्यकता अनुसार पल्स ऑक्सीमीटर, और जैविक परीक्षण के आधार पर किया जाता है। एक गंभीर संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक थेरेपी शुरू की जाती है। यदि समय रहते डॉक्टर ने खून की जांच और सांस नली की स्थिति जाँची होती, तो जीवन बचने की संभावना रहती।
प्रशासन और पुलिस की जिम्मेदारी: पुलिस को तत्काल एफआईआर दर्ज करने, अस्पताल बोर्ड से निष्कर्ष पाए जाने तक डॉक्टर को गिरफ्तार करने और जांच तेज करने की आवश्यकता थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
स्थानीय स्तर पर क्वैक क्लीनिक: यह कि अमरोहा जैसे कस्बों में अनुभवहीन, असल दस्तावेज़‑रहित व्यक्ति क्लीनिक चला सकते हैं, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की निगरानी का अभाव दर्शाता है।
संक्षिप्त निष्कर्ष और सुझाव
प्रवृत्ति कैसी है?
देश भर में ख़राब स्वास्थ्य देखभाल के मामले—फर्जी डॉक्टर्स, अवैध सर्जरी, और बिना लाइसेंस क्लिनिक—न सिर्फ दुर्लभ घटनाएं नहीं, बल्कि लंबे समय से चल रहे खतरनाक रुझान हैं।
क्या प्रशासन कार्रवाई करेगा?
चूंकि ऊपर Delhi, Gujarat, Assam जैसे राज्यों में सरकार और पुलिस ने कार्रवाई की है—जैसे Arrest, FIR, क्लिनिक बंद करना—पर गंभीर सुधार तभी हो सकता है जब:
स्थानीय प्रशासन सक्रिय हो;
स्वास्थ्य विभाग नियमित निरीक्षण करे;
पुलिस तहरीर मिलने पर तुरंत कार्रवाई करे;
और मरीजों को जागरूक किया जाए कि वे डॉक्टर की पंजीकरण की जांच करें (जैसे QR‑कोड, MMC/NMC रजिस्टर)।
क्या सुधार की दिशा में कार्य हो रहा है?
अभी तक कोई राष्ट्रीय Anti‑Quackery Act नहीं बना है, लेकिन IMA और सुप्रीम कोर्ट इस दिशा में आवाज उठा चुके हैं
राज्यों द्वारा QR‑प्रक्रिया और रेगुलर ऑडिट जैसे उपाय लाई जा रही हैं, लेकिन उनकी सफलता तभी होगी जब वे सख्ती से लागू हों।
जवाब: सवाल—“क्या अरहान बच सकता था? क्या कार्रवाई होती?”
यदि उसे सही इलाज मिलता तो बच सकता था?
हाँ। शुरुआती संक्रमण या डिहाइड्रेशन को सही मेडिकल जांच, समय पर एंटीबायोटिक और सही निगरानी से संभवतः बचाया जा सकता था।
क्या दोषी डॉक्टर पर कार्रवाई होगी?
यह घटना एक चेतावनी है—लेकिन कार्रवाई की संभावनाएँ निम्न पर निर्भर करती हैं:
परिजनों द्वारा तहरीर, FIR और मेडिकल बोर्ड की जांच;
पुलिस का सक्रिय रवैया;
स्वास्थ्य विभाग की त्वरित जांच;
यदि ये सभी सही ढंग से हों, तो डॉक्टर सहित क्लीनिक संचालक पर कार्रवाई संभव है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की दिशा क्या हो?
QR‑कोड जैसे पहचान के उपाय लोगों को डॉक्टर की पंजीकरण की जानकारी देने में सहायक हो सकते हैं (लेकिन देश‑व्यापी रूप से अपनाने होंगे)
Anti‑Quackery कानून और अधिक सख्ती से लागू होना चाहिए;
ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में स्वास्थ्य बुनियादी तंत्र को मजबूत करना बेहद जरूरी है।
समापन
अरहान की मासूम जान हमें बताती है कि चाइल्ड सोशल दूरी से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है—विश्वसनीय डॉक्टर और सत्यापित स्वास्थ्य सेवाएं। जब अनुभवहीन या असपष्ट तरीके से इलाज किया जाता है, तो परिणाम जानलेवा भी हो सकते हैं। सिर्फ अफसोस और सवाल ही पर्याप्त नहीं—परिवार, प्रशासन और चिकित्सा समुदाय को मिलकर इस संकट का समाधान करना होगा।
नीचे एक सारांश देखें:
पहलू घटनास्थल / स्थिति
अरहान की मौत अमरोहा, हसनपुर—बिना जांच एक इंजेक्शन और सिरप के बाद हिंसा
प्रमुख आरोप डॉक्टर फरार, पुलिस ने एफआईआर से इनकार, प्रशासन की उदासीनता
देश में समान मामले दिल्ली, गुजरात, असम, बिहार जैसे राज्यों में फर्जी डॉक्टर, रैकेट, बगैर योग्यता क्लीनिक
मामलों पर कार्रवाई गिरफ्तारियाँ, FIR, क्लिनिक बंद, DMC‑निलंबन ‑ पर प्रणालीगत सुधार बहुधा धीमा
आगे क्या करें Anti‑Quackery कानून लागू करना, QR‑सत्यापन, नियमित ऑडिट, जागरूक जनता
Also Read This – दिव्यांग सहायता उपकरण पाकर दिव्यांगजन और वरिष्ठ नागरिकों के चेहरे खिले