मैं शांति आर्य घर की पाठशाला की सदस्य आपको बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि हरीकृष्ण फाउंडेशन और सोनू जी की वजह से यह कैंप बहुत अच्छा रहा हम लोगों ने मिलकर एक छोटा सा प्रयास किया ईश्वर के बनाए हुए अंग तो हम इंसान नहीं बना सकते किंतु एक छोटे से प्रयास से हम उनको कृत्रिम अंग लगा कर थोड़ी सी खुशी दे सकते हैं और उनके जीवन में कुछ कठिनाइयों को कम कर सकते हैं आगरा से आए हुए भोला जी को जब देखा कि वह अपनी नौकरी में अपना खाना खुद से खा पा रहे थे यह देख कर बहुत खुशी हुई आज वह अपना काम स्वयं कर सकते हैं उनको जीवन में एक नई चीज मिल गई और खाली स्थान पूर्ण हो गया इस मनोबल को देखते हुए हम लोगों को बहुत ही खुशी मिली इसी तरह हम लोग आगे भी कैंप लगाते रहेंगे और आप सब के सहयोग से हम इसी तरह किसी के काम आते रहेंगे.