“इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल: भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और हरित भविष्य की दिशा में एक मजबूत कदम”

Aanchalik Khabre
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पेट्रोल

इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल, जिसे गैसोहोल भी कहते हैं, पारंपरिक पेट्रोल और इथेनॉल का मिश्रण है। इथेनॉल एक नवीकरणीय, अल्कोहल-आधारित जैव-ईंधन है जो गन्ने, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों से बनाया जाता है। भारत में, आमतौर पर इस्तेमाल होने वाला मिश्रण E10 है (10% इथेनॉल, 90% पेट्रोल), लेकिन सरकार अब E20 (20% इथेनॉल) का उपयोग बढ़ा रही है। कुछ देशों में E85 (85% इथेनॉल) भी इस्तेमाल होता है, लेकिन उसके लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए फ्लेक्स-फ्यूल वाहन की ज़रूरत होती है।

इथेनॉल ब्लेंडिंग के फायदे क्या हैं?

इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल के कई फायदे हैं, यही वजह है कि सरकारें इसे बढ़ावा दे रही हैं:

1. आर्थिक लाभ
आयात पर निर्भरता कम: भारत जैसे देश जो अपनी ज़रूरत का अधिकांश कच्चा तेल आयात करते हैं, उनके लिए इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल का उपयोग कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करता है। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार की बचत होती है और ऊर्जा सुरक्षा बढ़ती है।

किसानों को लाभ: इथेनॉल गन्ने और मक्का जैसी फसलों से बनता है, जिससे किसानों को अपनी उपज के लिए एक अतिरिक्त बाज़ार मिलता है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करता है।

2. पर्यावरणीय लाभ
कम प्रदूषण: इथेनॉल में ऑक्सीजन होता है, जो ईंधन को और भी बेहतर तरीके से जलाने में मदद करता है। इससे कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोकार्बन (HC) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) जैसे हानिकारक उत्सर्जन कम होते हैं।

ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम: इथेनॉल के उत्पादन में जितनी कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जित होती है, पौधे उसे अपने विकास के दौरान अवशोषित कर लेते हैं। इसलिए, इथेनॉल को एक कार्बन-न्यूट्रल ईंधन माना जाता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का कुल उत्सर्जन कम होता है।

क्या हमें इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल के बारे में चिंता करनी चाहिए?

सरकार के स्पष्टीकरण के बावजूद, E20 और उच्च मिश्रणों को लेकर कुछ चिंताएं हैं, जिन पर ध्यान देना ज़रूरी है।

1. इंजन पर प्रभाव
जंग और क्षति: इथेनॉल में संक्षारक (corrosive) गुण होते हैं। पुराने वाहनों में इस्तेमाल होने वाले कुछ रबर, प्लास्टिक और धातु के पुर्ज़ों पर इथेनॉल से जंग लग सकती है या वे खराब हो सकते हैं।

ईंधन दक्षता (fuel efficiency): इथेनॉल की ऊर्जा सामग्री (energy content) पेट्रोल की तुलना में थोड़ी कम होती है। इसलिए, ज़्यादा इथेनॉल वाले ईंधन (जैसे E20) के इस्तेमाल से गाड़ी की माइलेज में 1-2% की मामूली कमी आ सकती है। हालांकि, आधुनिक इंजन और विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए E20-अनुकूल इंजन इस प्रभाव को कम करते हैं।

2. समाधान और सरकारी उपाय
E20-अनुकूल वाहन: सरकार ने वाहन निर्माताओं को 2025 तक E20-अनुकूल इंजन बनाने के लिए प्रोत्साहित किया है। ये इंजन विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए हैं जो इथेनॉल के संक्षारक प्रभाव को झेल सकते हैं।

जागरूकता: पेट्रोलियम मंत्रालय ने जनता की चिंताओं को दूर करने के लिए स्पष्टीकरण जारी किया है। E10 का उपयोग वर्षों से सुरक्षित रूप से हो रहा है, और आधुनिक वाहन E20 के लिए भी उपयुक्त हैं। हालाँकि, पुराने वाहनों के मालिकों को सतर्क रहना चाहिए और निर्माता से सलाह लेनी चाहिए।

आगे क्या है?

भारत सरकार का 2030 तक 30% इथेनॉल मिश्रण (E30) का लक्ष्य है। यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है जो देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और पर्यावरणीय लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा। हालाँकि, E30 के लिए वाहनों में महत्वपूर्ण बदलावों की आवश्यकता होगी, और यह फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों के व्यापक उपयोग पर निर्भर करेगा।

संक्षेप में कहें तो, इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल एक सकारात्मक कदम है जो अर्थव्यवस्था और पर्यावरण दोनों के लिए फायदेमंद है। जबकि E20 के मामूली प्रभावों के बारे में कुछ चिंताएं हो सकती हैं, आधुनिक तकनीक और सरकारी प्रयास इन चिंताओं को दूर करने में मदद कर रहे हैं।

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