प्रस्तावना: बदलते रिश्तों का बदलता स्वरूप:-
भारत जैसे पारंपरिक देश में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है। किंतु बीते कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि External marital affair की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। लोग भावनात्मक, मानसिक या कभी-कभी केवल शारीरिक आकर्षण के कारण वैवाहिक जीवन से बाहर भी प्रेम संबंध बनाने लगे हैं।
यह एक गंभीर सामाजिक विषय है, जो रिश्तों की नींव, नैतिकता और आधुनिक जीवनशैली को सीधे चुनौती देता है।
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External marital affair: क्या है यह रिश्ता?
External marital affair का अर्थ है—विवाह के बाद किसी तीसरे व्यक्ति से संबंध बनाना, जो आपके वैवाहिक जीवन का हिस्सा नहीं है। यह एक ऐसा रिश्ता है जो आमतौर पर छुपाया जाता है और यदि सामने आ जाए, तो यह परिवार, समाज और रिश्तों में भारी दरार डाल सकता है।
कई मामलों में यह केवल भावनात्मक जुड़ाव होता है, जबकि कुछ में शारीरिक संबंध भी शामिल होते हैं।
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शादी के बाद अफेयर: क्या यह बढ़ रही प्रवृत्ति है?
आजकल शादी के बाद अफेयर होना एक आम चर्चा का विषय बन गया है। सोशल मीडिया, ऑफिस कल्चर और भावनात्मक दूरी ने इस प्रवृत्ति को और बढ़ावा दिया है।
कामकाजी जीवन में व्यस्तता और पार्टनर के बीच कम संवाद, तनाव और आकर्षण की कमी के कारण लोग बाहर संबंध तलाशने लगते हैं।
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पति, पत्नी और वो: रिश्तों का त्रिकोण:-
“पति पत्नी और वो” की कहानी अब केवल फिल्मों तक सीमित नहीं रही। आज के समाज में इस तरह के त्रिकोण असल ज़िंदगी में भी देखे जा रहे हैं।
ऐसे रिश्ते अक्सर झूठ, धोखे और अपराधबोध से भरे होते हैं। जब यह राज़ खुलता है, तो परिवारों में टूटन आ जाती है, बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होता है और समाज में व्यक्ति की साख भी गिरती है।
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भारत में विवाहेतर संबंध: आंकड़े और चिंताएँ:-
भारत में विवाहेतर संबंध अब छुपे नहीं हैं। Matrimonial वेबसाइटों, काउंसलिंग डेटा और साइबर क्राइम रिपोर्ट्स के अनुसार, शहरी इलाकों में हर 10 में से 3 विवाह किसी न किसी विवाहेतर रिश्ते से प्रभावित हो चुके हैं।
समाजशास्त्री मानते हैं कि भारत में अब रिश्तों को लेकर सोच अधिक व्यक्तिगत और कम सामाजिक होती जा रही है। ऐसे में पारंपरिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है।
5.मियां बीबी राजी तो भाड़ में जाए दाजी
(मुकेश “कबीर”)
आज एक जबरजस्त न्यूज देखी जिसमें कहा गया है कि 53 प्रतिशत हिंदुस्तानी लोग एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर में हैं। हिंदी भाषा में इसका मतलब है कि शादी होने के बाद भी किसी और के साथ गठबंधन और शुद्ध देसी भाषा में कहें तो “पति पत्नी और वो”। और आगे खबर यह भी है कि इस प्रेम यज्ञ में तमिलनाडु देश में नंबर वन है, मतलब देश के नक्शे के हिसाब से शुरुआत नीचे से हुई है ,दिल्ली दूसरे नंबर पर है मतलब वहां दो नंबर के काम वाले ज्यादा हैं और मुंबई फिसलकर तीसरे नंबर पर आ गया मतलब बड़ा पाव अब घटा पाव हो गया। खैर हमें इससे क्या हम तो कुंवारे हैं,यह खबर तो शादीशुदा लोगों की है। कुंवारे मतलब जो दुकान में डेरीमिल्क लेने जाते हैं और शादी शुदा मतलब जो डेली मिल्क लेने जाते हैं। यह जो डेरी मिल्क से डेली मिल्क तक का सफर है न ये भी एक बड़ा लोचा है जिंदगी का। क्योंकि जिसके लिए डेयरीमिल्क लाई जाती है वो किसी कारण से मिल नहीं पाए तो कहीं और ट्राय अगेन वाली पोयम गाई जाती है फिर शुरू हो जाता है डेली मिल्क लाने का सिलसिला। और सिलसिला मतलब रंग बरसे मतलब बलम तरसे लेकिन कहीं कहीं गोरी भी तरसती है। अब मामला बराबरी का है एकदम सेक्युलर। वैसे भी देश में सब समान हैं इसलिए सबको इसमें योगदान देना चाहिए तभी समान नागरिक संहिता लागू हो सकेगी। अभी सिर्फ तिरपन परसेंट लोग हैं ,सैंतालीस परसेंट का रवैया अभी भी सहयोगात्मक नहीं है इसलिए इस मामले में भी भारत पीछे है,अमेरिका अभी भी नंबर वन है। इस मामले में अमेरिका को नंबर वन होना भी चाहिए क्योंकि वहां वाले भूरा भाई मेलजोल के पक्षधर हैं,उनको खुद भी दो के बीच में घुसने का शौक है, इसलिए उनके नागरिक भी दो के बीच में तीसरा बनें तो क्या दिक्कत है? और जिनको दिक्कत होती है वो नंबर वन कभी बन भी नहीं पाते किसी भी मामले में। अब हमारे यहां मामला थोड़ा अलग है , हमारे यहां पति पत्नी के बीच में तीसरे को अच्छा नहीं माना जाता इस कारण कभी कभी तो तीसरे का तीसरा भी हो जाता है। हम अहिंसावादी होते हुए भी इस मामले में हिंसावादी हैं,कोई रियायत नहीं है ।
एक दिन अखंड कुंवारे बेधड़क भोपाली जी बोल रहे थे “अरे खां बड़ा बड़ा टंटा है आजकल ,मेरे घर में चोरी होती है तो सारे पड़ोसी चुप रेते हैं लेकिन मेरे घर में कोई छोरी हो तो पूरे मुहल्ले का खून खौल उठता है फिर आ जाते हैंगे लट्ठ लेके” ।
मुझे लगता है इसी दोगलेपन के कारण हम नंबर वन नहीं बन सके , जब हम हर मामले में गांधीबापू की दुहाई देते हैं तो इस मामले में उनकी लाठी तक क्यों पहुंच जाते हैं? बापू तो कहते थे कोई एक गाल पर मारे तो दूसरा आगे कर दो इसका मतलब जब कोई एक लड़की से प्रेम करे तो उसको दूसरी भी लाकर दे दो, लेकिन हमारे सिस्टम ही अलग हैं जहां लाठी चलाना चाहिए वहां बापू रोक लेते है और जहां बापू से काम चलाना हो वहां लाठी चला देते हैं। लेकिन फिर भी लाठी हमारे प्रेमयज्ञ को रोक कहां पाती है। खैर,यह सिलसिला तो चलता रहेगा क्योंकि यह दुनिया ही चलाचली का मेला है इसलिए चलते रहो चलाते रहो चरैवेति चरैवेति…जब तक है जान,लूट लो पाकिस्तान। अब आप भी इस मिशन में शरीक होइए कब तब दूसरों से ही करवाएंगे ? आखिर देश को नंबर वन बनाने के लिए हम कुछ प्रयास नहीं कर सकते क्या ? और वैसे इस पराक्रम में कठिनाई भी क्या है,आप भी इसको आसानी से कर सकते हैं क्योंकि यह काम ऐसा है जिसके लिए आपको कोई ऑफिस खोलने की जरूरत नहीं है और न ही बैंक से लोन लेने की और न ही भारत सरकार की स्टार्ट अप योजना की जरूरत है,आप इसे कभी भी कहीं भी शुरू कर सकते हैं,स्कूल कॉलेज में करें ,स्टूडेंट नहीं तो फैकल्टी करे और कोई ऑफिस नहीं हैं तो वर्क फ्रॉम होम करें । किसी से डरने की जरूरत भी नहीं है क्योंकि अंग्रेजी में कहावत है ” मियां बीबी राजी तो भाड़ में जाए दाजी”। वैसे भी आपको तो तीसरा बनना है,तीसरे से डरना नहीं है। यह काम आपसी सहमति का है,बस म्युचल अंडरस्टेंडिंग जरूरी है इसलिए म्युचल अंडरस्टेंडिंग डेवलप कीजिए बस, लेकिन लाल बुझक्कड़ चच्चा की एक बात जरूर ध्यान रखियो भैया “म्युचल फंड इन्वेस्टमेंट इज द सब्जेक्ट ऑफ मार्केट रिस्क” अर्थात बाबूजी जरा धीरे चलना… ( लेखक कवि एवं व्यंग्यकार हैं।)
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शादीशुदा लोगों की प्रेम कहानियाँ: सच या भ्रम?
शादीशुदा लोगों की प्रेम कहानियाँ कई बार बेहद रोमांचक, भावुक और प्रेरणादायक लगती हैं, लेकिन जब वे विवाहेतर होती हैं, तो उनका असर केवल दो व्यक्तियों पर नहीं बल्कि पूरे परिवार पर पड़ता है।
कुछ लोग इसे सच्चा प्यार मानते हैं, तो कुछ इसे केवल एक मोह का भ्रम कहते हैं। समाज के लिए यह एक द्विध्रुवीय प्रश्न बन गया है।
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क्यों बढ़ रहे हैं External marital affair?
External marital affair की वृद्धि के पीछे कई कारण माने जाते हैं:
भावनात्मक खालीपन: वैवाहिक जीवन में संवादहीनता या समझ की कमी।
भ्रम और आकर्षण: सोशल मीडिया और ग्लैमर की दुनिया से प्रभावित होकर।
उपलब्धता और अवसर: ऑफिस, सोशल इवेंट्स और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर मेलजोल।
संतुष्टि की कमी: शारीरिक या मानसिक संतुष्टि की तलाश।
इन कारणों ने विवाह की परिभाषा को चुनौती देनी शुरू कर दी है।
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कुंवारे बनाम शादीशुदा जीवन: तुलना का जाल:-
कुंवारे बनाम शादीशुदा जीवन की तुलना अक्सर इंटरनेट मीम्स और सोशल मीडिया पर होती रहती है। कुछ लोग मानते हैं कि शादी के बाद जीवन सीमित हो जाता है और इसलिए लोग बाहर विकल्प तलाशने लगते हैं।
हालांकि यह सोच पूरी तरह से सही नहीं है, लेकिन यह मानसिकता External marital affair को एक सहज विकल्प के रूप में प्रस्तुत करती है।
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क्या विवाह अब एक समझौता मात्र है?
एक समय था जब विवाह आजीवन साथ निभाने की प्रतिज्ञा होता था। अब यह केवल एक सामाजिक समझौता बनता जा रहा है, जहाँ External marital affair जैसी स्थितियाँ इस समझौते को तोड़ रही हैं।
संविधान या कानून इस प्रकार के रिश्तों को अवैध मानते हैं, लेकिन समाज की स्वीकृति और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बहस अब इन पर भारी पड़ रही है।
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रिश्तों को कैसे बचाएँ?
अगर हम External marital affair की प्रवृत्ति को रोकना चाहते हैं, तो हमें निम्न बिंदुओं पर काम करना होगा:
दंपतियों के बीच बेहतर संवाद
काउंसलिंग और थैरेपी को सामाजिक स्वीकृति देना
विवाह पूर्व और विवाहोपरांत शिक्षण (Premarital & Marital Education)
भावनात्मक आवश्यकता की समझ
जब रिश्ते मजबूत होंगे, तो बाहरी आकर्षण का प्रभाव अपने आप कम हो जाएगा।
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निष्कर्ष: रिश्तों की मर्यादा ही समाज की नींव:-
External marital affair न केवल दो लोगों के बीच की बात है, यह पूरे सामाजिक ढांचे को प्रभावित करता है।
हमें यह समझने की ज़रूरत है कि रिश्ते केवल अधिकार नहीं, बल्कि ज़िम्मेदारी भी हैं। यदि हम विवाह को स्थायित्व और समझदारी से निभाएँ, तो समाज में संतुलन बना रहेगा।
लेखक टिप्पणी:
इस लेख का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या वर्ग का निर्णय नहीं, बल्कि समाज में बदलते रिश्तों की तस्वीर और उसके नतीजों को सामने लाना है।
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