विकसित नहीं हो सकते हो तो विकासोन्मुखी बनो~आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज। दमोह। विश्व प्रसिद्ध जैन धर्म के तीर्थ बड़े बाबा और छोटे बाबाबस की स्थली कुंडलगिरी कुण्डलपुर में 12 फरवरी 2022 से इस सदी के विशाल कुण्डलपुर महामहोत्सव का शुभारम्भ बड़े बाबा की जाप, नमोकर मंत्र, पूजन अभिषेक से होगा। आज आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने भक्तों को संदेश देते हुए कहा कि पौधों में ऐसी कौन सी बुद्धि होती है जिससे प्रतिकूलता और अनुकूलता की समझ होती है। जब हम पौधे को गमले में रखकर खाद्य पानी मिट्टी अनुपात में मिश्रण करते हुए उसमें समय समय पर पानी देते है अन्य कोई घास को निकालते हैं, पौधे की जड़े बढ़ जाती है तो गमले से नीचे निकलकर राशन की खोज कर लेती है और उसी तरफ जाती है जिस ओर अनुकूलता है, पर दुखी प्राणी हैं जो दुखों से मुक्ति की खोज में निकलता है पर गमले रूपी स्वरूप को छोड़कर निकल नहीं पाता। जिनबिम्ब को सामने रखकर देखते हैं उसकी बंदना करते हैं, पूजा करने से जड़े पौधे की तरह नीचे पहुंचने लगती हैं, वहा जाए कहा जाए को छोड़कर बड़े बाबा की तरफ जाओ हर क्षण को बहुमूल्य मानते हुए कल से प्रारंभ होने वाले महामहोत्सव में जुट जाएं, भले ही इस जीवन में मुक्ति नहीं पर गमले रूपी स्वरूप को सींचते रहो बाधक तत्वों को हटाते हुए और आगे बढ़ते रहो अब कोई बाधा नहीं है क्योंकि सूर्य प्रकाश ने भी कह दिया है अपनी विशुद्धि को बढ़ाते हुए विकसित नहीं पर विकासोन्मुखी बनने वाले बन जाओ। आज आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को नवधा भक्ति भाव से आहार देने का सौभाग्य ब्रा कल्पना दीदी, सन्तोषरानी, निखिल जैन, सौरभ केरबना पथरिया निवासी परिवार को प्राप्त हुआ।
जाप और अनुष्ठान से वातावरण अनुकूल होगा *
भारतीय और जैन संस्कृति की साक्षात प्रतिमा है कुण्डलपुर के बड़े बाबा, जिनके स्मरण करने से हमारा जीवन आर्दशमय बन जाता है। शुद्ध आत्माओं का आर्दश सामने रखने से तथा शुद्धात्माओं के आर्दश का स्मरण, चिंतन और मनन करने से शुद्धत्व की प्राप्ति होती है, जीवन पूर्ण अहिंसक बनता है। अरिहंत, सिद्ध पूर्ण अहिंसक व परमात्मा बन गए है, आचार्य, उपाध्याय, साधु अहिंसक व परमात्मा बनने की प्रकिया है। ये पाँचो ही प्राणीमात्र के लिए उपकारी है। अपने जीवन में संयम, तपश्चरण द्वारा समस्त प्रणाओं का हित करते हैं। जाप और मंत्र के माध्यम से तप और त्याग के मार्ग में आगे बढने की प्रेरणा मिलती है तथा अहिंसा, अपरिग्रह को आचरण में उतारने की शिक्षा, विश्वबन्धुत्व और आत्मकल्याण की कामना उत्पन्न होती है। आज होगा सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर में जाप और अनुष्ठान जिससे बिशुद्धि का वातावरण निर्मित होगा।
सिद्ध क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष संतोष सिंघई का कहना है कि मंत्रों में सबसे बड़ा महामंत्र है नवकार महामंत्र। नवकार महामंत्र का जाप करने से मन स्थित होता है। बुद्धि बढ़ती है और आत्मा पवित्र होती है, हमारे विचारों में शुद्धता आती है। परमात्मा से मिलने की इच्छा जागृत होती है। महामंत्र में सभी अरिहंतों, गुरुदेवों, सिद्ध देवों को प्रणाम करते हुए आराधना की जाती है। जो कोई नवकार महामंत्र का जाप करता है उसे कोई और मंत्र जप करने की जरूरत नहीं है।
कुण्डलपुर में पंचकल्याणक 16 से
कुण्डलपुर महामहोत्सव आज जाप से आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की दिव्य देशना से प्रारंभ होगा
दमोह। संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद और उनके विशाल समोशरण के सान्निध्य में यह पंचकल्याणक होने जा रहा है।जिसके लिए 6 महीनों से तैयारियां चल रही है।
लगभग 400 एकड़ में होगा पंचकल्याणक कुंडलपुर महामहोत्सव लगभग 400 एकड़ में श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए जैन धर्म के इस महामहोत्सव के लिए किसानों ने कृषि कार्य की जमीन समर्पित करने का पुण्य कार्य किया है,जहां श्रद्धालुओं को आवास, भोजन, आवागमन, शुद्ध पेयजल, आवागमन, चिकित्सा संबंधी व्यवस्थाएं प्रदान की जायेगी।जिसकी तैयारी कमेटी द्वारा विगत कई महीनों से युध्द स्तर पर चल रही है।
* संत शिरोमणि आचार्य श्री के 250 से अधिक मुनि महराज और आर्यिका माताजी के सान्निध्य में आयोजित किया जाएगा *
कुंडलपुर में महोत्सव में इस युग के सर्वश्रेष्ठ संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज एवं लगभग उनके 250 से शिष्यों के सान्निध्य में पंचकल्याण्क प्रतिष्ठा महोत्सव के साक्षी बनेंगे , जिसमें निर्यापक श्रमण मुनि श्री समयसागर जी , निर्यापक मुनि श्री योगसागर जी , निर्यापक मुनि श्री पुंगव सुधासागर जी महाराज के आशीर्वाद से और ब्रा विनय भैया के निर्देशन में किया जा रहा हैं।
त्रिकाल चौबीसी एवं 1008 प्रतिमाओं की होगी प्राण प्रतिष्ठा
कुण्डलपुर में निर्माणाधीन सहस्त्र कूट जिनालय में विराजमान होनी वाली 1008 प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। यह प्रतिमाएं विभिन्न धातु से निर्मित है एवं विदेशों से निर्माण होकर आई है।
सिद्ध क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष संतोष सिंघई का कहना है कि मंत्रों में सबसे बड़ा महामंत्र है नवकार महामंत्र। नवकार महामंत्र का जाप करने से मन स्थित होता है। बुद्धि बढ़ती है और आत्मा पवित्र होती है, हमारे विचारों में शुद्धता आती है। परमात्मा से मिलने की इच्छा जागृत होती है। महामंत्र में सभी अरिहंतों, गुरुदेवों, सिद्ध देवों को प्रणाम करते हुए आराधना की जाती है। जो कोई नवकार महामंत्र का जाप करता है उसे कोई और मंत्र जप करने की जरूरत नहीं है।
16 फरवरी से 23 फरवरी तक मुख्य कार्यक्रम
वैसे कुण्डलपुर महोत्सव 12 फरवरी से ही प्रारम्भ हो रहा है जिसमें 12 को जाप अनुष्ठान से विश्वशांत्रि और कोरोना से मुक्ति हेतु समस्त भक्त जन नमोकार मंत्र का जाप करेगे और बड़े बाबा की स्तुति करके वातावरण को अनुकूल बनायेगे।
वैसे कुण्डलपुर महोत्सव 12 फरवरी से ही प्रारम्भ हो रहा है जिसमें 12 को जाप अनुष्ठान से विश्वशांत्रि और कोरोना से मुक्ति हेतु समस्त भक्त जन नमोकार मंत्र का जाप करेगे और बड़े बाबा की स्तुति करके वातावरण को अनुकूल बनायेगे। कुण्डलपुर महामहोत्सव के प्रिन्ट मीडिया प्रभारी महेन्द्र जैन सोमखेड़ा का कहना है कि णमोकार मंत्र एक विलक्षण मंत्र है जिसमें तंत्र-मंत्र, अध्यात्म, चिकित्सा, मनोविज्ञान, दर्शन, तर्क, ध्वनि विज्ञान, भाषा शास्त्र, लिपि विज्ञान, ज्योतिष इत्यादि गर्भित हैं। यह श्रुत ज्ञान का सार है,णमोकार शक्ति जाग्रति का महामंत्र है। णमोकार मंत्र हमें पारदृष्टि प्रदान करता है। यह अंतर्मुख होने की सूक्ष्म प्रक्रिया है। णमोकार मंत्र के जाप से हम प्रकृति से जुड़ेंगे, उन कोटि-कोटि आत्माओं से जुड़ेंगे जिन्होंने शताब्दी पूर्व इसका जाप किया।