विशेष संवादाता (आंख)
*करनाल की घटनाओं के बचाव हेतु सामने आई हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार की चौतरफा निंदा हो रही है, वहीं पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच सार्वजनिक विवाद सामने आया – इस बीच शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हरियाणा पुलिस की बर्बर कार्यवाही के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया
राज्यों के किसान भी 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत में शामिल होने को पहुंच रहे हैं*
करनाल – हरियाणा सरकार के किसान विरोधी और बर्बर व्यवहार की हर तरफ से कड़ी निंदा हो रही है। करनाल बार एसोसिएशन के सदस्यों ने 28 अगस्त 2021 को लघु सचिवालय में, जब सीएम खट्टर एक कार्यक्रम के लिए करनाल में थे, विरोध प्रदर्शन किया और एसडीएम आयुष सिन्हा और लाठीचार्ज की घटनाओं में शामिल अन्य दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की। इसके लिए उन्होंने सरकार को दो दिन का अल्टीमेटम दिया है। इस बीच, ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन (ए आई एल यू) ने भी घोषणा की कि वे कल, 2 सितंबर को एक विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगे। (ए आई एल यू) ने कहा कि वे कल सुप्रीम कोर्ट से हरियाणा भवन तक विरोध मार्च निकालेंगे। विभिन्न दलों के कई नेताओं ने हरियाणा सरकार की निंदा की है। बिहार के गया में, 25 सितंबर को भारत बंद की तैयारी के लिए एक संयुक्त किसान सम्मेलन ने, किसानों के खिलाफ पुलिस द्वारा की गई करनाल हिंसा की कड़ी निंदा की। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति गहरी एकजुटता और करनाल की घटनाओं के खिलाफ आक्रोश जताने के लिए किसानों ने अनशन शुरू कर दिया है।
पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच जारी सार्वजनिक विवाद के बावजूद, तथ्य यह है कि हरियाणा के लाखों किसान वर्तमान किसान आंदोलन का हिस्सा हैं, और इस आंदोलन में हरियाणा राज्य से अब तक कई बहादुर किसान शहीद भी हुए हैं। हरियाणा के किसान, केंद्रीय कृषि कानूनों के प्रतिकूल प्रभावों और एमएसपी कानूनी गारंटी के महत्व को पूरी तरह से समझते हैं। वे अपने अधिकारों के लिए सँघर्ष में बढ़ चढ़ कर भागीदारी कर रहे हैं। हरियाणा की भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री का यह बयान कि हरियाणा के किसान इस आंदोलन में शामिल नहीं हैं या कि उन्हें अन्य राज्य के किसानों या सरकारों द्वारा उकसाया जा रहा है, मूर्खतापूर्ण है। “वहीं, यह स्पष्ट है कि हरियाणा के खट्टर-चौटाला सरकार को अपने ही नागरिकों के खिलाफ जंग छेड़ने के लिए कौन उकसा रहा है। घरौंदा किसान पंचायत की ओर से पहले ही अल्टीमेटम दिया जा चुका है, जिसने 6 सितंबर तक पूरा करने के लिए 4 मांगों को रखा है, समय सीमा पूरी होने के बाद किसान करनाल में लघु सचिवालय की घेराबंदी करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा इसका पूरा समर्थन कर रहा है। एसकेएम ने कहा कि “अगर हरियाणा सरकार एसडीएम आयुष सिन्हा और अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है, तो बहुत जल्द स्पष्ट हो जाएगा कि वे किसके इशारे पर काम कर रहे थे”I
एसकेएम ने हरियाणा सरकार द्वारा अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, झज्जर, सिरसा, सोनीपत, कैथल और अन्य स्थानों के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में 2500 से अधिक आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों को तत्काल और बिना शर्त वापस लेने की भी मांग की। करनाल में 120 नामजद किसानों और 300 अज्ञात लोगों पर 12 से ज्यादा मामले दर्ज होने की भी खबर है। बसताडा टोल प्लाजा के संबंध में 700 अज्ञात व्यक्तियों एवं 91 किसानों के विरुद्ध 6 मामले दर्ज किए गए हैं। सिरसा में 100 से शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर अलग-अलग थानों में फर्जी मुकदमा दर्ज किए गए हैं । सोनीपत में राय थाने में करीब 400 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। बहादुरगढ़ में 150 से ज्यादा लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। अंबाला में 450 और पंचकूला में करीब 260 किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।शर्मनाक तरीके से पंचकूला में 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला किसान राजविंदर कौर को भी नामजद किया गया है। प्रदेश के किसानों के खिलाफ हरियाणा सरकार की यह शर्मनाक करतूत है। सीएम ने कहा कि वह विरोध के नाम पर हिंसा नहीं होने देंगे, जबकि सरकार कानून-व्यवस्था के नाम पर बेरहमी से हिंसक कार्रवाई कर रही है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि यह चुनी हुई सरकार के लिए शर्मनाक है। संयुक्त किसान मोर्चा ने भाजपा-जजपा सरकार से अपने ही नागरिकों के खिलाफ युद्ध को रोकने और सभी मामलों को तत्काल बिना शर्त वापस लेने की मांग की है।
कल अखिल भारतीय किसान सभा के प्रतिनिधिमंडल ने शहीद किसान सुशील काजल के परिवार से मुलाकात की और तत्काल राहत स्वरूप उनकी पत्नी श्रीमती सुदेश देवी को एक लाख का चैक सौंपा ।