मनीष गर्ग खबर भोपाल
भोपाल। मप्र वन संघ के बेले मात्र कर्मचारी से 6 मई से हड़ताल करेंगे, 32 करोड़ वन कर्मियों ने शनिवार को सेकंड स्टॉप का तेंदूपत्ता इकट्ठा नहीं हो पाएगा स्थित आंबेडकर मैदान में धरना दिया गया। इसमें प्रदेश के कई जिलों से आए मैदानी कर्मचारी और अधिकारी शामिल हुए। इस दौरान हुई सभा में पदाधिकारियों ने कहा कि हमें बंदूकें तो थमा दी गईं लेकिन चलाने की इजाजत ही नहीं दी है। मैदानी वन कर्मचारियों को अभी तक पुलिस की तरह बल (फोर्स) का दर्जा ही नहीं मिला। जंगलों में तैनात कर्मचारी अपनी हिफाजत नहीं कर पा रहे हैं। सभा को संघ के प्रदेश अध्यक्ष निर्मल कुमार तिवारी, प्रांतीय महामंत्री आमोद तिवारी सहित कई पदाधिकारियों ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि पिछले 15 साल में किए गए आंदोलन के दौरान विभिन्न वन मंत्रियों और अधिकारियों ने बुलाकर बातचीत की। इस दौरान समझौता भी किया गया। इन समझौतों पर सरकार ने अब तक अमल नहीं किया।
तिवारी ने बताया कि 1 से 5 मई तक सभी मैदानी 1 कर्मचारी आवंटित सरकारी वाहन, बंदूकें और बस्ते जमा करेंगे। 6 मई से हड़ताल की जाएगी। इस दौरान मई में शुरू होने वाला 32 करोड़ तेंदूपत्ता संग्रहण का काम नहीं हो सकेगा। हड़ताल में 5600 स्थाई कर्मी, 12000 वनरक्षक, 550 वनपाल, 700 उपवन क्षेत्रपाल और 1192 वन क्षेत्रपाल शामिल होंगे। यह है इनकी प्रमुख मांगे
• मप्र में वन कर्मचारियों को राजस्व और पुलिस के समान वेतनमान एवं 13 महीने का वेतन मिले वन कर्मचारियों को सशस्त्र बल घोषित करने के लिए आईपीसी और सीआरपीसी में संशोधन कर न्यायिक मजिस्ट्रेट के अधिकार दिए जाएं • वन रक्षकों को नियुक्ति दिनांक से 1900, 5680 का ग्रेड पे दिया जाए स्थाई कर्मियों, वनरक्षक एवं वन क्षेत्रपालों के संशोधित भर्ती नियम को मंजूरी देकर लागू किया जाए • महाराष्ट्र सरकार की तरह 5000 वर्दी भत्ता दिया जाए राष्ट्रीय उद्यान, टाइगर रिजर्व एवं अभयारण्य के कर्मचारियों को केंद्र शासन के निर्देशानुसार देय राशि एवं अन्य सुविधाओं का भुगतान किया जाए