नईदिल्ली – इन दिनों गालिब इंस्टिट्यूट माता सुंदरी लेन नई दिल्ली में इंस्टीट्यूट के निदेशक सैयद हैदर राजा का वर्चस्व कायम है , सूत्रों द्वारा इंस्टीट्यूट के अधीन होने वाले कार्यकर्म इनके मर्ज़ी के अनुकूल चलता है। जानकार सूत्रों द्वारा निदेशक उर्दू को बढ़ावा देने नाम पर सेमिनार कराते उसमे अपने पसंदीदा , स्कॉलरों तथा अपने जाती विशेष को आमंत्रित कर सेमिनार की खाना पूर्ति कर मंत्रालय से हर वर्ष करोड़ो रुपया लेते हैं जिसमे शायद आधा रुपया खर्चे में दिखाया जाता है और आधा रुपया डकार लिया जाते है ।
जब की सरकार ने उर्दू को बढ़ावा देने के लिये अपने अधीन दो विभाग चला चला रखे हैं एक दिल्ली सरकार के अधीन ” दिल्ली उर्दू अकादमी” दूसरे भारत सरकार के अधीन ” फ़रोग़ उर्दू ज़बान” फिर ऐसे में सवाल उठता की उर्दू को बढ़ावा देने के लिये जब पहले ही से दो महकमा चलाये जा रहे है , और उसमें सरकार करोड़ो रूपये खर्च कर रहीं है बावजूद उसके अब तक उर्दू ठीक से अभी भी किसी भारतीय उर्दू भाषी क्षेत्रों में उनके माध्यम से उर्दू के पढ़ने नर्सरी बच्चों तक भी नही पहुंचाई जा रही है। आज भी इन महकमो के रहते 95 प्रतिशत मुसलमान उर्दू से मरहूम हैं, ऐसे में गालिब के नाम पर उर्दू को बढ़ावा देने के लिये इंस्टिट्यूट का होना कितना लाभ दायक है ?
जानकार सूत्रों द्वारा अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत सरकार के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी आज कल गालिब इंस्टीट्यूट पर अधिक मेहरबान हैं इसलिये की गालिब इंस्टिट्यूट के निदेशक शिया समुदाय से आते हैं ऐसे में हो सकता है कि ग़ालिब इंस्टीट्यूट के निदेशक सैयद राजा हैदर केंद्रीय मंत्री के अपने खास व्यक्ति हों।
तो फिर सम्भवतः मंत्रालय अपने इस इंस्टीट्यूट को अपने महकमे द्वारा निगहबानी न कराये ? इसी लिये गालिब इंस्टीट्यूट के निदेशक का खुला चैलेंज रहता है कि जिसको जो समझ मे आये मेरे खिलाफ लिखे या या कही भी मेरी शिकायत लगाए मेरा कोई कुछ नही बिगाड़ सकता । शायद
इसलिये की भारत सरकार, आरएसएस और प्रधानमंत्री के नजदीकी ही नही चहिते कहे जाने वाले मुख्तार अब्बास नकवी का जब तक निदेशक राजा पर आशीर्वाद है उनका कोई कुछ नही बिगाड़ सकता।
गालिब इंस्टीट्यूट में निदेशक का इंस्टिट्यूट में वर्चस्व क़ायम-आंचलिक ख़बरें-एस जेड मलिक
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