संसद की मेहनत पर ग्रहण लग रहा है?-आंचलिक ख़बरें -मनीष गर्ग

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सतना सांसद गणेश सिंह की मेहनत को ग्रहण लगा रहा स्वास्थ्य महकमा, अत्याधुनिक बनाने का सपना बेकार , रेफर सेंटर बन कर रह गया है मैहर सिविल अस्पताल
सुनिए विधायक जी आपकी मेहनत बेकार जा रही है क्योंकि मैहर सिविल अस्पताल को अत्याधुनिक बनाने के लिये किये गये आपके प्रयास को हमेशा से पलीता लगाया जा रहा है कहने के लिए तो मैहर को 60 बिस्तरों के अस्पताल की जगह 160 बिस्तरों का अस्पताल बना दिया गया है तीन मंजिला नई इमारत भी तान दी गई है ट्रामा सेंटर लगभग बनकर तैयार है शिशु वार्ड भी बनाने के लिए अनुमति आपने दिलवा दी है मैहर में अत्याधुनिक आईसीयू वार्ड भी बनकर तैयार है लेकिन क्या आपको सच्चाई से किसी ने रूबरू करवायां हैं अगर नहीं तो आइए आज हम आपको मेहर सिविल अस्पताल की सच्चाई से बावास्ता करबाते हैं
किसी शायर ने खूब कहा है हमारे सरकारी अस्पताल मैहर की जहां पर भौतिक रूप से हर सुविधाएं तो उपलब्ध है लेकिन एक आदत डॉक्टरों की आवश्यकता है मैहर सिविल अस्पताल में कुल मिलाकर 14 डॉक्टर पदस्थ है लेकिन जरूरत और आवश्यकता के अनुसार कोई नहीं, ले देकर 1md एक शिशु रोग विशेषज्ञ एक ईएनटी एक गायनी और एक एनएसथीसिया कुल मिलाकर 14 डॉक्टरों की टीम तैयार है लेकिन इस हॉस्पिटल में आर्थोपेडिक नहीं है डेंटल डॉक्टर नहीं है आंखो का डॉक्टर नही,इतने बड़े हॉस्पिटल में सिर्फ 14 डॉक्टर बड़ा असहज महसूस होता है सर कुछ तो करिए मैहर की जनता यूं ही विकास की गाथा नहीं लिख रही है बहुत उम्मीदें जगाई है आपसे।
अस्पताल में नही है जरूरी दवाईयां
यूं तो कहां जाता है कि भारत सरकार के द्वारा सरकारी अस्पतालों में सभी दवाई मुहैया कराई जाती है लेकिन मैहर की तो बात ही अलग है मैहर में जरूरत की कोई भी दवा उपलब्ध नहीं है हमारे पास एक लंबी लिस्ट है जो कि मैहर हॉस्पिटल में उपलब्ध नहीं है उदाहरण के लिए आपको किसी न किसी मेडिकल स्टोर में सिविल अस्पताल के अंदर से निकलने वाली पर्ची मिल जाएंगी जिसमें टीटीएस,कफ सिरप लिखा मिल जायेगा कुछ दवाइयां तो आज लगभग 2 महीने से समाप्त चल रही है ऐसे ही बहुत सारी दवाई हैं जो अस्पताल में उपलब्ध नहीं है या फिर यूं कहो कि जिला अस्पताल उपलब्ध नहीं करवाना चाहता है
जाँच के नाम पर लोगो से हो रही है लूट
मैहर सिविल अस्पताल को सांसद गणेश सिंह के द्वारा एक साथ 40 से ज्यादा जांचें करने वाली मशीन उपलब्ध करवाई थी लेकिन मैंहर सिविल अस्पताल में पदस्थ कुछ तथाकथित डॉक्टर जो अपना फायदा देखते हुए मरीजों से बाहर जांच करवाने के लिए कहते हैं और अपना कमीशन लेते हैं अगर इसी तरह का काम करना ही था तो सिविल अस्पताल मैहर में क्यों अत्याधुनिक पैथोलॉजी बनवाई है बंद करवा दीजिए इसे , गरीब लोग लूट रहे है तो लूटने दीजिए, नही तो ऐसे बेशर्म डॉक्टर को लूट लीजिए
रेफर सेंटर बनकर रह गया मैहर सिविल अस्पताल
मैहर सिविल अस्पताल में अगर कोई इमरजेंसी आ जाती है तो प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर के पास इतना भी संसाधन उपलब्ध नहीं रहता है कि कि मरीज को एस्टेब्लिश किया जा सके तभी डॉक्टर अपनी एक ड्यूटी पूरी कर कर्तव्य पथ से विमुक्त हो जाते हैं कि मरीज को डिस्चार्ज टिकट बना कर सतना या जबलपुर के लिए रेफर कर देते हैं जिससे उनके ऊपर किसी भी प्रकार का इल्जाम ना लग सके। कम से कम इतना तो करिए की मैहर में किसी की जान बचाई जा सके।
1996 की xray मशीन से क्या होगा
विधायक जी आप ने मेहर को अत्याधुनिक बनाने की सारी कोशिशें की लेकिन सतना जिला प्रशासन नहीं चाहता है कि मैंहर सिविल अस्पताल अत्याधुनिक बने क्योंकि जहां एक ओर दुनिया डिस्टलाइजेशन की ओर बढ़ रही है तो वही हमारे मेहर सिविल अस्पताल में 1996 से स्थापित एक्स रे मशीन रुक रुक के अपना काम कर रही है और लोगों की सेवा दे रही है अब तो इसको डिजिटल करवा दीजिए, विधायक नारायण त्रिपाठी के प्रयासों से X ray मशीन आकर धूल खा रही है लेकिन जनमानस को कब सुविधा मिलेगी

अस्पताल में सुविधाएं नहीं, निजी डॉक्टरों का सहारा ले रहे मरीज
सिविल अस्पताल में मरीजों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। पांच साल से 160 बिस्तरयुक्त अस्पताल में तब्दील तो किया जा चुका है। लेकिन इसके अनुरूप सुविधाएं नहीं दी गई है। अब तक न पर्याप्त डाॅक्टर हैं और न ही जांच मशीन का उपयोग हो पा रहा है। लिहाजा शहर के मरीजों को प्राइवेट डॉक्टरों की तरफ जाना पड़ रहा है फीस और दवाइया के नाम पर महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है। आर्थिक स्थिति से कमजोर लोग भी छोटे से बड़े इलाज के लिए अब शासकीय के बजाए प्राइवेट अस्पताल में जाना पसंद करते हैं, क्योंकि अब लोगों में यह धारणा हो गई है कि अस्पताल में डाॅक्टर और दवाई तो मिलेंगे ही नहीं, ऐसे में वहां क्यों जाए।

ऑपरेशन की सुविधा नही, जरूरत पड़ने पर भेजा जाता है सतना
मैहर सिविल अस्पताल में अगर कोई इमरजेंसी आ जाए तो मैहर में कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है आपको सीधे अगर ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ती है तो शल्यक्रिया के लिए आपको सतना भेज दिया जाता है बीमारी या बड़े इलाज के लिए महिलाओं को निजी डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है।
160 बिस्तर के बराबर चाहिए स्टाफ
करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट सिविल अस्पताल 100 बिस्तर के अलावा 50 बिस्तर जच्चा बच्चा केंद्र और पोषण पुनर्वास केंद्र (इनआरसी वार्ड) 10 बिस्तर का रहेगा। इस लिहाज से कुल 160 बिस्तर का संचालन स्वास्थ्य विभाग को करना है। बिस्तर की सुविधा बढ़ने के बाद इससे चार गुना अधिक स्टाफ की जरूरत पड़ेगी।

मेडिसिन व शल्य क्रिया के सर्जन जरूरी
जिले की अपेक्षा यहां सुविधा कम है। जिला अस्पताल में स्त्री रोग, शिशु रोग, मेडिसिन व शल्य क्रिया के होने ही चाहिए लेकिन इन चारों सर्जन की कमी है। इसके अलावा छह अन्य सर्जन भी नहीं है।

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