महाकुंभ पर सियासत का महासंग्राम: आस्था बनाम आरोपों की जंग

News Desk
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महाकुंभ, सनातन संस्कृति का सबसे भव्य आयोजन, जहां करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं, इस बार राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का अखाड़ा बनता जा रहा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ को लेकर फैलाए जा रहे दुष्प्रचार पर जवाब दिया, तो सदन में सियासी तूफान खड़ा हो गया।

जब मुख्यमंत्री योगी ने विपक्ष पर किया पलटवार

विपक्ष ने महाकुंभ के आयोजन पर सवाल उठाए, संगम के जल को लेकर अफवाहें फैलाई गईं और कहा गया कि वहां स्नान करना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो टूक जवाब देते हुए कहा, “जो लोग महाकुंभ को लेकर अफवाहें फैला रहे हैं, वे करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का अपमान कर रहे हैं। यह किसी सरकार का आयोजन नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति का आयोजन है।”

योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि सपा के नेता शुरुआत से ही महाकुंभ के विरोध में थे। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “सपा के नेता महाकुंभ को कोसते रहे, लेकिन उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद चोरी-छिपे वहां डुबकी लगाने चले गए।”

महाकुंभ पर उठे सवाल: मौतें, अव्यवस्था और राजनीति

29 जनवरी को भगदड़ में हुई घटनाओं को विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बनाया। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि महाकुंभ में अव्यवस्था की वजह से श्रद्धालुओं की जान गई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “महाकुंभ की भगदड़ में हजारों लोगों की मौत हुई, लेकिन सरकार इसे छिपा रही है।”

मुख्यमंत्री योगी ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, “हम मृतकों को श्रद्धांजलि देते हैं, लेकिन क्या किसी महान आयोजन में कुछ घटनाएं नहीं होतीं? यह दुखद है, लेकिन इसे सनातन संस्कृति पर प्रहार के लिए इस्तेमाल करना गलत है।” उन्होंने आगे कहा, “महाकुंभ के आयोजन को रोकने के लिए विपक्षी दल तरह-तरह के दुष्प्रचार कर रहे हैं, लेकिन सत्य यह है कि अब तक 56 करोड़ लोग इस आयोजन में स्नान कर चुके हैं।”

ममता बनर्जी का ‘मृत्युकुंभ’ बयान और बढ़ता विवाद

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महाकुंभ को ‘मृत्युकुंभ’ कहकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन अराजकता का पर्याय बन चुका है, जहां हर साल भगदड़ में लोगों की जान जाती है।

योगी आदित्यनाथ ने इस पर करारा जवाब दिया, “जिन्हें सनातन संस्कृति की समझ नहीं है, वे ही ऐसा बयान दे सकते हैं। महाकुंभ पर आस्था रखने वाले लोग ऐसे बयानों का जवाब अपने विश्वास से देंगे।”

जब मुख्यमंत्री योगी ने दिया समाजवादियों पर तंज

सदन में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने योगी आदित्यनाथ पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे उर्दू भाषा और संस्कृति के विरोधी हैं। उन्होंने कहा, “क्या मुंशी प्रेमचंद, जो उर्दू में लिखते थे, कठमुल्ला थे? क्या अरबी-फारसी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले कठमुल्ला हैं?”

इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादियों पर तंज कसते हुए कहा, “आज के समाजवादियों के बारे में एक ही मान्यता है – जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “समाजवादी पार्टी के नेता अपने बच्चों को तो अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन दूसरों को उर्दू पढ़ाने पर जोर देते हैं।”
फर्जी वीडियो से महाकुंभ को बदनाम करने की साजिश

सदन में यह भी चर्चा हुई कि कैसे सोशल मीडिया पर महाकुंभ को बदनाम करने के लिए फर्जी वीडियो वायरल किए गए। मुख्यमंत्री ने कहा, “नेपाल, झारखंड और अन्य जगहों की घटनाओं को महाकुंभ से जोड़कर झूठा प्रचार किया जा रहा है। सवाल यह है कि यह साजिश कौन कर रहा है?”

उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “कुछ लोग सनातन संस्कृति से इतनी नफरत करते हैं कि वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। लेकिन महाकुंभ की सफलता इस बात का प्रमाण है कि जनता इनके झूठ को नकार चुकी है।”

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बिजली के निजीकरण पर बवाल और ऊर्जा मंत्री का बयान

सदन की कार्यवाही के दौरान विपक्ष ने बिजली के निजीकरण को लेकर भी हंगामा किया। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि बिजली का निजीकरण जनता के लिए नुकसानदायक होगा और इससे बिजली महंगी हो जाएगी।

ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा, “हम निजीकरण से बिजली सस्ती और सुचारू करने की योजना बना रहे हैं। पिछली सरकारों के कारण बिजली विभाग कर्ज में डूबा था, लेकिन हमारी सरकार इसे सुधार रही है।”

उन्होंने विपक्ष को चुनौती देते हुए कहा, “अगर सपा को इतनी चिंता थी तो जब उनकी सरकार थी, तब उन्होंने बिजली विभाग को घाटे में क्यों डाला?”

बजट पर वित्त मंत्री का बयान: गरीबों और मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी

विधानसभा सत्र के दौरान बजट को लेकर भी चर्चा हुई। यूपी के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि बजट जनकल्याणकारी होगा और गरीबों और मध्यम वर्ग का खास ध्यान रखा जाएगा।

उन्होंने कहा, “हमारा ध्यान बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक योजनाओं पर रहेगा। जनता को राहत मिलेगी और प्रदेश का विकास होगा।”

क्या महाकुंभ राजनीति का अखाड़ा बन गया है?

महाकुंभ का आयोजन धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, लेकिन इस बार यह पूरी तरह राजनीति के केंद्र में आ गया है। जहां एक ओर करोड़ों श्रद्धालु इस पवित्र आयोजन में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है।

विपक्ष का दावा है कि महाकुंभ में अव्यवस्था और लापरवाही से लोगों की जान गई और सरकार इसे छिपा रही है। वहीं, सरकार का कहना है कि विपक्ष झूठ फैलाकर आस्था को चोट पहुंचा रहा है।

आस्था और राजनीति की जंग जारी

महाकुंभ के आयोजन को लेकर छिड़ी यह बहस फिलहाल थमती नहीं दिख रही। एक ओर सरकार इसे सनातन संस्कृति का गौरव बता रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष इसे अव्यवस्था और सरकार की नाकामी के रूप में दिखाने की कोशिश कर रहा है।

लेकिन सवाल यही है – क्या राजनीति आस्था से ऊपर हो सकती है? क्या महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन को राजनीतिक लड़ाई का मैदान बना देना उचित है? या फिर करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था इस सियासत के शोर में भी अडिग बनी रहेगी?

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि महाकुंभ पर उठे इन सवालों का जवाब जनता किस तरह से देती है और क्या यह विवाद चुनावी मुद्दा बनकर उभरेगा या आस्था की लहर में बह जाएगा।

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