भारत सरकार ने हाल ही में GST संरचना में बड़े बदलाव किए हैं। लंबे समय से टैक्स प्रणाली को जटिल और बोझिल बताया जा रहा था। अब, दरों को सरल बनाकर सरकार ने उपभोक्ताओं और उद्योग जगत दोनों को राहत देने का दावा किया है।
GST में क्या बदला?
पहले चार स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) मौजूद थे। अब इन्हें घटाकर केवल दो मुख्य स्लैब – 5% और 18% कर दिया गया है।
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रोज़ाना इस्तेमाल की चीजें जैसे टूथपेस्ट, शैम्पू और साबुन अब सिर्फ 5% टैक्स पर मिलेंगी।
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इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे सामानों को 18% स्लैब में लाया गया है।
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28% की जगह अब केवल लक्जरी और “सिन” उत्पादों पर 40% टैक्स लगेगा।
उपभोक्ता और बाजार पर असर
इन बदलावों का सीधा असर आम उपभोक्ता की जेब पर होगा। रोज़मर्रा की वस्तुओं के सस्ते होने से घरेलू मांग बढ़ने की संभावना है।
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त्योहारी सीज़न में खरीदारी में उछाल आने की उम्मीद है।
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छोटे शहरों और कस्बों में उपभोग में सुधार देखने को मिल सकता है।
उद्योग जगत की राय
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MSME सेक्टर को लागत कम होने से बड़ा फायदा होगा।
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निर्माण और वस्त्र उद्योग में भी टैक्स घटने से उत्पादन सस्ता होगा।
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टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को भी अतिरिक्त बढ़ावा मिलने की संभावना है।
सरकार की उम्मीदें
सरकार का दावा है कि यह सुधार:
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GDP में तेजी लाएंगे,
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रोजगार के नए अवसर पैदा करेंगे,
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और टैक्स प्रणाली को सरल बनाएंगे।
वित्त मंत्री ने इसे “जन सुधार” बताते हुए कहा कि यह हर परिवार को प्रभावित करेगा। वहीं, किसानों के लिए कृषि उपकरणों पर टैक्स घटाकर 12% से 5% कर दिया गया है।
संभावित चुनौतियाँ
हालांकि ये सुधार उत्साहजनक हैं, लेकिन चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं:
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पेट्रोलियम उत्पाद अभी भी GST दायरे से बाहर हैं।
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राज्यों की आय पर प्रभाव का आकलन समय के साथ होगा।
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छोटे व्यापारी तकनीकी जटिलताओं की शिकायत कर सकते हैं।
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