युगों युगों से चली आ रही संस्कृति को आज भी जीवित रखना है-आंचलिक खबरें-रमेश कुमार पाण्डे

Aanchalik Khabre
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ज्ञान तीर्थ स्वर्ग धाम। त्यागी जी स्वर्ग निर्माता
हर तरफ बस एक ही बात है हमे आधुनिक तरीके से जीना है वर्तमान में तो आधुनिक होने का मतलब ही बदल दिया वास्तव मे आधुनिक वह है जो आज को भी बिना किसी भयानकता के साथ जी रहा है करना भक्ति भाव है पूजा अनुष्ठान है मगर धन खूब चाहिये महंगी गाङी चाहिये बङे बंगले और हर तरह की ऐसी सुविधा चाहिये जिसे हम ही उपयोग कर रहे हो दूसरा वंचित है हमे उससे क्या वो नही लूट रहा या न अंधी कमाई नही कर रहा या नंगापन नही परोस रहा हम तो मस्त रहेंगे अपनी मस्ती मे क्योकि हम आधुनिक युग मे जीना चाहत रहे है सच है समाज की मानसिकता ही बदल दी है हम सबने मिलकर किसी को भी दूसरे की समस्या के प्रति कोई उत्तरदायित्व नही चूंकि हमे अपने जीवन को अपने तरीके से जीने का पूरा अधिकार है अपनी इच्छा के लिये समाज को बलि चढ़ा कर भी हम खुश है महंगाई हमने बढाई और रोना भी हमे ही है जबकि आवश्यकता हमारी बढने से झूठी आधुनिकता के कारण ही हमारी हैवानियत जाग गयी सत्य को सबूत चाहिये झूठे के साथ लिप्त होकर कोई समस्या नहीं यह अगर आधुनिकता है तो हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को यही आधुनिक समाज बल्कि इससे भी भयानक आधुनिक बनाकर जायेगे रोज माता के भजन, शिव की भक्ति, हनुमानजी भगवान राम ,कृष्ण अल्लाह,ईसा,नानक इनमे तो कोई आधुनिकता न दिखी अगर दिखी दिखी भी तोWhatsApp Image 2022 02 27 at 7.45.32 PM स्नेह,सदभाव,समर्पण,श्रद्धा और यही धर्म की नीव है अच्छे राष्ट्र की पहचान है यह नही कि पूजा ,व्यवसाय या नौकरी के नाम पर भी ठगी लूट यह आधुनिकता नही हो सकती यह तो गंदी मानसिकता ही हो सकती है छोटो से छीनते रहने बङो को बाटते रहना यह मानवता नही हो सकती भारत की गरिमा धर्म प्रधान थी अब अर्थ प्रधान हो चुकी है जो कष्ट दायी ही है आज भी लोगों की आवश्यकता इतनी कम है जहा लोगो को लाखो कम पङते है आइये इस गंदी आधुनिकता को समझे और परिश्रम का महत्व समझें सीमित संसाधनों पर स्वयं को नियोजित करें वंचितों दीन हीनो का ख्याल रखना भी आधुनिक सेवा का हिस्सा बन सकती है फूहङता को खत्म कर सादगी से रहन सहन बनाये ईश्वर को सिर्फ गुनगुनाना नही है उसके आदेश को ग्रहण करने की आवश्यकता है विकास ही विनास का मार्ग खोलता है ध्यान रखना देश के लिये समाज के लिए धर्म के लिये गंदी आधुनिकता ही नही गंदी और छोटी सोच को भी बदलने की आवश्यकता है चूंकि हम आने वाली पीढ़ियों को वही देंगे जो आज हम है चूंकि वो देख ही वही रही है कि भगवान को भी पैसे दिखाकर अपनाया जा सकता है सत्य कुछ और है और सत्य स्वीकार नही अतः मंदिर, पूजा ,भक्ति को समझने के लिए स्वयं को समझना अति आवश्यक है हम कौन हैं क्यो आये है यह सवाल बार बार करे जीवन भर करे और इसका उत्तर दूसरा न देगा हमे ही देना होगा खुद को ही देना होगा।
दान न करे क़ोई फर्क नहीं पड़ता बस लूट की प्रवृति बंद करें चाहे वह धर्म के नाम पर हो या सेवा के नाम पर या फिर देशभक्ति के नाम पर ही क्यो न हो।
हम नही बदलेंगे तो देश कैसे बदलेगा देश कैसे बदलेगा परिवेश कैसे बदलेगा।

कर्मयोगी प्रकृति पुत्र त्यागी जी (स्वर्ग निर्माता)
त्यागी जी महाराज की पवित्र तपोभूमि ज्ञान तीर्थ स्वर्ग धाम त्यागी जी आश्रम विश्व सेवा समिति विलायत कला कटनी मध्य प्रदेश

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