दिल्ली के किराड़ी में बदहाल स्थिति से परेशान स्थानीय निवासियों ने गंदे पानी में खड़े होकर किया प्रदर्शन. भाजपा के मंडल अध्यक्ष की अगुवाई में परेशान लोगों ने और भाजपा कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन. स्थानीय विधायक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ की जमकर नारेबाजी. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि केवल सोशल मीडिया पर किया जा रहा है विकास जबकि धरातल पर विकास के नाम पर शून्य काम.
राजधानी दिल्ली में जगह जगह बदहाल स्थिति बनी हुई है, जिसके कारण आमजन को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आलम यह हो गया है कि स्थानीय लोगों में रोष का माहौल देखने को भी मिल रहा है. जगह जगह अब लोग सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ रोष प्रकट कर रहे हैं. इसी फेहरिस्त में दिल्ली के किराड़ी विधानसभा के एमएलए ग्राउंड के पास भाजपा के मंडल अध्यक्ष अनिल मिश्रा की अगुवाई में परेशान लोगों ने और भाजपा कार्यकर्ताओं ने गंदे पानी में खड़े होकर प्रदर्शन किया. इस दौरान स्थानीय लोगों ने किराड़ी से विधायक ऋतुराज और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नारेबाजी की. स्थानीय लोगों ने कहा कि जलभराव के कारण यहां से गुजर रहे राहगीरों और स्थानीय लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
प्रदर्शन के दौरान भाजपा मंडल अध्यक्ष अनिल मिश्रा ने कहा कि जब से ये रोड बना है तब से लेकर अब तक इस पर जलभराव खत्म नहीं हुआ. लोगों ने कहा कि प्रशासन की गलत नीतियों के तहत इस रोड को बनाया गया जिसके कारण यहां के दुकानदारों की दुकानदारी खत्म हो गई और आने जाने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होने कहा कि कई वाहन रोजाना इस में पानी में पलट जाते हैं. अन्य प्रदर्शनकारी लोगों ने कहा कि जब यह सड़क बन रही थी उस वक्त कई बार शिकायत किया गया, लेकिन शिकायत पर सुनवाई ना तो विधायक ने किया, ना ठेकेदार ने किया और ना ही संबंधित विभाग ने. लोगों ने कहा कि जब से आम आदमी पार्टी की सरकार आई है उनके विधायक ऋतुराज झा ने किराड़ी को नर्क बना दिया है. आलम यह हो गया है कि किराड़ी के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. किराड़ी में एक भी विकास कार्य नहीं हो रहा हैं सिर्फ फेसबुक और सोशल मीडिया पर ही विकास कार्य हो रहा हैं.
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो विकास कार्य सोशल मीडिया पर दिखाए जा रहे हैं, वो धरातल पर देखने को क्यों नहीं मिल रहा है. आखिर कब तक स्थानीय लोगों को यूं ही नारकीय जीवन जीने को विवश रहना होगा. लिहाज़ा देखना लाज़मी होगा कि आखिर कब तक इन लोगों की आवाज़ सरकार तक और सरकार के नुमाइंदों तक पहुँचती है, ताकि वास्तव में धरातल पर विकास देखने को मिले.