देश में चल रहे बहुचर्चित पहलवानों के मुद्दे में एक दिलचस्प मोड़ आया है. जहाँ एक ओर मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये बात कही जा रही है कि खेल मंत्री से मिलने के बाद पहलवानों ने अपने प्रदर्शन को फ़िलहाल कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया है, पहलवानों ने कहा है कि उन्होंने आंदोलन ख़त्म नहीं किया है, बल्कि बस कुछ दिनों के लिए प्रदर्शन को स्थगित किया है. वहीँ दूसरी ओर इस मामले में सबसे चौकाने वाली बात सामने आई है, जिसमे मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बताया गया कि जिस नाबालिग पहलवान ने अपने 164 के बयान में छेड़खानी और यौन शोषण का आरोप लगाया था, अब उस आरोप को नाबालिग महिला पहलवान व उसके पिता ने वापस ले लिया है. मीडिया से बात करते हुए नाबालिग पहलवान के पिता ने कहा कि उनके बेटी के साथ भेद-भाव किया गया था, जिससे नाराज होकर उन्होने छेड़खानी और यौन शोषण का आरोप लगाया था. उन्होंने आगे कहा कि फ़िलहाल वो सिर्फ यौन शोषण के आरोप को वापस ले रहें है, जबकि कुस्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर पहलवान के पिता ने भेदभाव के जो आरोप लगाए है, उन आरोपों को लेकर उनकी लड़ाई अभी भी जारी है, और न्याय मिलने तक जारी रहेगी.
वहीँ इस मामले में एक और बात सामने आ रही है, जिससे कयास लगाए जा रहें है कि जल्दी ही डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष पद में बृजभूषण सिंह के अलावा किसी और को बैठाया जायेगा. ताजा मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को कहा कि डब्ल्यूएफआई पर बृजभूषण का नियंत्रण अब खत्म हो जाएगा. बताते चलें कि मंत्री और प्रदर्शनकारी पहलवानों के बीच छह घंटे तक चली बैठक में यह फैसला किया गया है.
इस मामले में अब यह लगभग साफ हो गया है कि भारतीय कुश्ती महासंघ अगले महीने तक अपने विवादित प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के चंगुल से मुक्त हो जाएगा. डब्ल्यूएफआई के नए अध्यक्ष न तो उनके रिश्तेदार होंगे और न ही उनके किसी करीबी को किसी पद पर कब्जा करने दिया जाएगा। खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि डब्ल्यूएफआई पर बृजभूषण का नियंत्रण अब खत्म हो जाएगा। मंत्री और प्रदर्शनकारी पहलवानों के बीच छह घंटे तक चली बैठक में यह फैसला किया गया। दूसरे, पहलवानों को आश्वासन दिया गया है कि दिल्ली पुलिस डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच एक सप्ताह के भीतर पूरी कर लेगी और 15 जून तक चार्जशीट दाखिल कर दी जाएगी। तीसरा, एक महिला को डब्ल्यूएफआई की आंतरिक शिकायतों के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाएगा। खिलाड़ियों की राय लेने के बाद समिति और डब्ल्यूएफआई के पदाधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। चौथा, दिल्ली पुलिस द्वारा विरोध के दौरान पहलवानों के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाएंगे और उन्हें सुरक्षा दी जाएगी। विरोध कर रहे पहलवानों ने सरकार को आश्वासन दिया कि वे 15 जून तक धरने पर नहीं बैठेंगे। चूंकि सरकार और पहलवानों के बीच खुले तौर पर बातचीत हुई थी, इसलिए सभी गलतफहमियों को दूर कर दिया गया है और उनकी अधिकांश मांगें मान ली गई हैं। इस समझौते की रूपरेखा शनिवार रात गृह मंत्री अमित शाह के साथ पहलवानों की बैठक में तैयार की गई. सरकार का रुख अब सकारात्मक नजर आ रहा है। बुधवार को जो कुछ हुआ, उसे बहुत पहले हो जाना चाहिए था।
क्या बयान वापस लेने के पीछे कोई लोभ, दबाव या राजनितिक षड़यंत्र ?
जब इतने दिनों से प्रदर्शनकारी पहलवान टस से मस होने को तैयार नहीं थे तो आखिर अब ऐसी कौनसी वजह पैदा हो गयी कि अब पीड़िता और उसके पिता ने अपने बयान बदल दिए? यह अब एक सोचने का विषय बन गया है. मीडिया के एक इंटरव्यू में पीड़ित के पिता का कहना है कि जो प्रार्थनापत्र पुलिस को दिया गया था उसमे कुछ बातें सही थी और और कुछ गलत थी और अब हम जो बातें सही थी उन को लेकर ये लड़ाई आगे लड़ेंगे. वह खुद इस बात को इस इंटरव्यू में कहते नज़र आ रहे हैं कि यौन शोषण की कोई बात नहीं थी बल्कि मामला तो खिलाडियों के साथ भेदभाव करने का था. जिसकी वजह से उनकी बेटी के करियर पर असर पड़ा है. अब सवाल ये उठता है कि जब मामला यौन शोषण का था ही नहीं तो फिर इसको यौन शोषण का नाम क्यों दिया गया और यदि आरोप सही था तो फिर पीड़ित और उसके पिता ने अपने बयान क्यों बदल दिए ? क्या कोई प्रलोभन, भय या राजनीतिक षड़यंत्र इसके पीछे की वजह हो सकती है ?
ऐसे मामले से धूमिल होती है छवि
इस तरह के मामले जिनमे पीड़ित आरोप लगाने के बाद अपने बयान बदल देते हैं ऐसे मामलों में उस व्यक्ति की समाज में छवि धूमिल होती है जिस पर आरोप लगाया गया है, साथ ही उस वर्ग की भी छवि धूमिल होती जिस वर्ग से वो व्यक्ति होता है. समाज में अपनी छवि स्थापित करना एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है जबकि इसके विपरीत इस तरह के आरोप लगने से छवि क्षणभर भर में धूमिल हो जाती है.
क्या भविष्य में यौन शोषण के आरोपों पर लगेगा प्रश्नचिन्ह
ऐसे मामले समाज के बीच एक गलत सन्देश देते है. यदि कोई घटना वास्तविक है तो आरोप लगाना उचित होता है. झूठे आरोपों से पुलिस और न्यायालय का कीमती समय बर्बाद होता है. साथ ही भविष्य में अगर कोई मिलता जुलता मामला पुलिस और न्यायालय के समक्ष जाता है तो अन्य ऐसे सही लोगो को भी शक की नज़र से देखा जाता है जो वास्तव में पीड़ित होते हैं. जब कोई मामला इतना तूल पकड़ लेता है कि न्याय के लिए सड़को पर प्रदर्शन करने पड़े और मीडिया में खबरे छपने लगे तो वह मामला कही न कही समाज से भी जुड़ जाता है और समाज पर अपना अच्छा बुरा प्रभाव छोड़ने लगता है.
पहले आश्वासन मिलता तो नहीं धूमिल होती छवि
ज्ञात हो कि पहलवान काफी समय से प्रदर्शन कर रहे हैं, अगर उन्हें ये आश्वासन कुछ हफ्ते पहले दे दिए गए होते तो दुनिया दिल्ली पुलिस के पदक विजेता पहलवानों को सड़कों पर घसीटने का दुखदायी तमाशा नहीं देखती। न ही पहलवानों ने हरिद्वार में गंगा नदी में अपने पदक विसर्जित करने का चरम निर्णय लिया होता। देर आए दुरुस्त आए। यदि खेल मंत्री इन सभी आश्वासनों को पूरा करते हैं, तो भारतीय पहलवान ब्रिगेडियर भूषण शरण सिंह के चंगुल से मुक्त हो जाएंगे। कुश्ती में चैंपियन बनने का सपना देखने वाली हमारी बेटियों का हौसला बढ़ेगा। पिछले कई हफ्तों से कुश्ती महासंघ को जिस बदनामी का सामना करना पड़ रहा है, उसे ध्यान में रखते हुए अब WFI की बागडोर किसी ऐसे व्यक्ति के हाथ में देनी चाहिए, जिसका नैतिक बल महासंघ पर छाए अंधकार को दूर कर सके। जहां तक बृजभूषण शरण सिंह का सवाल है, अगर दिल्ली पुलिस मामले की निष्पक्ष जांच करती है, तो ऐसे कई सबूत और बयान हैं, जिनसे डब्ल्यूएफआई प्रमुख बच नहीं सकते।
संभवत बृजभूषण शरण सिंह को यह उम्मीद होगी कि चार्जशीट दायर होने के बाद कई वर्षों तक कानूनी मामले चलेंगे, जैसे दर्जनों अन्य आपराधिक मामले जो अतीत में उसके खिलाफ दायर किए गए थे। बृजभूषण के लिए यह मुश्किल हो सकता है क्योंकि सबूत और बयान अब सार्वजनिक डोमेन में हैं। जिन लोगों ने शिकायत दर्ज कराई है, वे देश का नाम रोशन करने वाली चैंपियन महिला पहलवान हैं। कोई भी अदालत उनके यौन उत्पीड़न के आरोपों को गंभीरता से लेगी। इस मसले का एक पक्ष और भी है। चूंकि सरकार की ओर से आश्वासन देर से आया, इसलिए कई राजनीतिक दल और खाप पंचायतें पहलवानों के समर्थन में विरोध में शामिल हुईं। पहलवानों ने बुधवार को कहा कि वे खाप पंचायतों के प्रमुखों के साथ बातचीत के नतीजे पर चर्चा करेंगे और उनकी राय लेने के बाद भविष्य के कदमों पर फैसला करेंगे।