गये पांच दिन बीत…भय बिन होत ना प्रीत
** जिले की सीमाएँ सील — तो कैसे हो रही आवाजाही ?
जिले के साथ तहसीलों की सीमाएँ करें सील.
( मनोज द्विवेदी, अनूपपुर, 9425473283 )
अनूपपुर / अनूपपुर जिले की सीमाएं यदि पिछले पांच दिन से सील हैं तो जिले मे धडल्ले से आवाजाही कैसे जारी है ? सीमाएं सील होने के बाद विभिन्न राज्यों से जिस तरीके से हजारों लोग बिना प्रशासन को सूचित किये अलग अलग गाँव , नगर में आकर घरों में परिवार के बीच रह रहे हैं । ऐसे मे लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा बहुत बढ गया है। प्रशासन की लाख सतर्कता, अपील के बावजूद लोगों में कोरोना को लेकर गंभीरता नहीं है। अत्यावश्यक कार्यों के लिये कुछ घंटों की छूट में भी अफरा तफरी देखने को मिलती है। भोजन वितरण तो मानो चुनाव प्रचार जैसा हो गया है। जिसमे सहानुभूति, सहयोग,संवेदना,सावधानी की भावना कम ….. श्रेय लेने, फोटो,सेल्फी की तडफ अधिक दिख रही है। ऐसे में लोग कहते दिख रहे हैं कि लाक डाऊन को गये पांच दिन बीत…साहब भय बिन होत ना प्रीत। ऐसी ही दशा रही तो कलेक्टर को जिले के साथ अलग अलग तहसीलों, नगरों की सीमाएं भी सील करनी पडेगी।
* बहरहाल कोविड 19 के संक्रमण को रोकने के लिये देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 21 दिन के लाक डाऊन की घोषणा से पूर्व प्रदेश सरकार के निर्देश पर कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री चन्द्रमोहन ठाकुर ने 22.3.2020 को आदेश क्रमांक 1431 / आर डी एम / 2020 के द्वारा अनूपपुर जिले की सीमाओं को 31 मार्च,2020 तक सील कर दिया था। आदेश में अन्य बिन्दुओं के साथ दो टूक शब्दों में कहा गया है कि ” किसी भी नागरिक का घर से निकलना प्रतिबंधित है। जिले की सभी सीमाओं को सील किया जाता है। जिले की सीमाओं से बाहर जाना तथा रेल , सडक या अन्य माध्यम से जिले में आगमन प्रतिबंधित किया जाता है। ” कलेक्टर के इस आदेश के अगले ही दिन प्रधानमंत्री ने 14 अप्रैल तक 21 दिन का लाक डाउन घोषित कर दिया। जाहिर है कि जिले में कोरोना के संक्रमण को लेकर कलेक्टर के रुप मे चन्द्र मोहन ठाकुर आश्वस्त हो चुके थे। इसे रोकने के लिये उनका आदेश भी बिल्कुल सही निर्णय था।
लेकिन जिस तरह से लोगों ने भूख को हथियार की तरह उपयोग करके सडकों पर आना शुरु किया , उसने नियम – कायदों की धज्जियां उड़ा कर रख दीं हैं ।
**टूटती रही सीमाएं —
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अनूपपुर जिला शहडोल, डिण्डोरी के साथ छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा एवं पेण्ड्रा जिले की सीमाओं से लगा हुआ है। लंबे समय तक इसे नक्सलप्रभावित संवेदनशील क्षेत्र भी माना गया।
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी के आदेश के बावजूद शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में पुलिस एवं प्रशासन से जिस सख्ती की अपेक्षा थी ,वह दिखी नहीं । कलेक्टर ने अनूपपुर, पुष्पराजगढ, जैतहरी, कोतमा अनुविभाग के लिये अलग – अलग टीम का गठन भी किया है। अधिकारियों को अतिरिक्त दर्जा दे कर अधिक अधिकार भी प्रदान किये। लेकिन यह देखा गया कि जिले की सीमाओं पर स्टापर लगा तो दिये गये लेकिन लोगों को अन्य जिलों से आने जाने से रोकने की कोई कोशिश नहीं हुई ।सडक मार्ग से आवाजाही बदस्तूर आज भी जारी है। छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर व अन्य स्थानों से श्रमिकों व ग्रामीणों का जत्था पैदल चलकर सीमाओं को पार कर पुष्पराजगढ , वेंकटनगर, कोतमा एवं चारों तहसीलों के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोकटोक अपने – अपने घरों तक पहुंच गया है। जब लोग जिले की सीमाओं में आ गये तो मानवीय संवेदनशीलता के साथ प्रशासन ने अलग – अलग जत्थों के भोजन, पानी की व्यवस्था करके ,उनके गंतव्य तक वाहनों की व्यवस्था करके भिजवाया। यह बड़ा सवाल है कि छत्तीसगढ़ सरकार वहाँ कार्यरत अन्य राज्यों के मजदूरों के ठहरने, भोजन की व्यवस्था क्यों नहीं कर रही ? भीड़ की भीड़ कई की थानों से गुजर कर राज्य की सीमा पार कर मध्यप्रदेश कैसे पहुंच गयी ? क्या छत्तीसगढ़ सरकार केन्द्र की मुहिम को विफल करना चाहती है ? या उसे कोरोना की गंभीरता का अहसास तक नहीं है ?
सवाल अनूपपुर जिले की पुलिस पर भी है। यदि कलेक्टर ने सीमाओं को सील किया है तो कैसे लोग राज्य/ जिले की सीमाओं को पार कर आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं?
**नहीं रही सामाजिक -शारीरिक दूरी —
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1 जनवरी 2020 के बाद जिले में आने वालों के स्वास्थ्य परीक्षण के निर्देश हैं। लेकिन जो लोग जिले में आ रहे हैं वो स्वयं प्रशासन को सूचना देना तक जरुरी नहीं समझ रहे। जम्मू, कश्मीर, पंजाब, उत्तरप्रदेश, छग, महाराष्ट्र, गोवा ,आन्ध्रप्रदेश ,दिल्ली सहित अन्य राज्यों से कोतमा, पुष्पराजगढ ,अनूपपुर आने वालों सैकडों लोगों की सूचना मैने स्वयं तथा अन्य जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन को दिया है। कलेक्टर ने सभी का स्वास्थ्य परीक्षण प्रवासियों व अन्य नागरिकों के घर पहुंच कर करवाने का निर्णय लिया है। टीमें लोगों के घर घर जाकर परीक्षण कर भी रही है । दुखद यह है कि राजनगर सहित अन्य कालरी ,शहरी इलाकों में लोग प्रशासन का सहयोग नहीं कर रहे हैं।
शहडोल में मिले संदिग्ध–
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पडोसी शहडोल जिले मे कुछ संदिग्ध बीमारों के होने, एक महिला की जबलपुर मे मृत्यु होने की खबरों के साथ अनूपपुर जनपद के बेलियाबडी, लोढी,पकरिहा की सीमा से लगे शहडोल जिले के कुछ गांव में बाहर से वापस आये मजदूरों में से कुछ के बीमार होने की खबरें हैं। उन्हे मामूली सर्दी बुखार है या कुछ अन्य, यह स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही पुष्ट होगा । स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इन गाँव से सब्जी, दूध लेकर बेलियाबडी, कोतमा तक आना जाना करते हैं। ऐसे सभी लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करवाए जाने की जरुरत है। सीमाबन्दी मे विफलता को लेकरआज प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भी चिन्ता जाहिर की है। इसलिये आम जनता को भी धैर्य के साथ प्रशासन से सहयोग बनाए रख कर घर पर ही रहना होगा।