सुपौल-वर्षो से हेडमास्टर बन बैठा है बीआरसी का लेखपाल-आंचलिक ख़बरें- नजीर आलम क़े साथ नजीब

Aanchalik Khabre
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–जिले में शिक्षा विभाग का भ्रष्टाचार से पुराना नाता रहा हैं तभी तो एक पर एक नए नए कारनामे सामने आ रहे है किस तरह जुगाड़ के माध्यम से शिक्षा विभाग में गोरखधंधा चल रहा है इसकी एक बानगी आपको मै दिखा रहा हूँ जिसमें शिक्षक से लेकर उच्च अधिकारी तक ये मानते हैं की ये गलत है नहीं हो सकता पर साल दर साल से वही हो रहा है पेश है सुपौल से खास रिपोर्ट ——-
–ये मामला एक शिक्षक से जुड़ा हुआ हैं जिसे विभागीय मिलीभगत से लगातार प्रतीनियोजीत कर ना सिर्फ शिक्षा विभाग के निर्देशों की धज्जियां उड़ायी जा रही है बल्कि कई बार टोका टोकी और उच्चा धिकारी के निर्देश के बाद भी इस पर अमल करने के बजाय विभाग हर बार लीपापोती में लग जाती है ,
जी हां ये बात अटपटी है पर सच है,
-ये दिलचस्प और सनसनीखेज मामला पिपरा बीआरसी का है जहां एक एचएम करीब डेढ़ साल से बीआरसी में लेखपाल बना हुआ है विभाग के आंखो में धूल झोंक रहा है पर डिपिओ और डीइओ कहते हैं कि उन्हें कोई जानकारी ही नहीं है इसके पीछे विभागीय अधिकारी की जो भी मंशा हो ये तो जांच के बाद ही सामने आ पायेगा पर जांच करेगा कौन ये भी यक्ष प्रश्न है क्योंकि उन्हीँ लेखपाल की मदद से सारा काम भी सम्पन्न होता है बावजूद अधिकारी कहते हैं ये मामला उनके संज्ञान में है ही नहीं .ये भी कहा की अब संज्ञान में आया है जिसकी जांच की जायेगी.बात स्पष्ट है कि अधिकारी जानबूझकर अंजान बने रहना चाहती है .
–दरअसल पिपरा बीआरसी में एक लेखपाल है निर्मल कुमार महतो जो कायदे से उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय में हेडमास्टर हैं और अपने पद का निर्वहन भी करते हैं वहीं दूसरी ओर निर्मल कुमार महतो बीआरसी के महत्वपूर्ण पद लेखपाल भी बने हुए हैं बताया जाता है कि बीआरसी के खाते का संचालन भी उक्त लेखपाल निर्मल कुमार महतो और बीइओ के संयुक्त हस्ताक्षर से ही संचालित होते हैं जो विभागीय निर्देश के बिल्कुल विपरीत हैं, कहा जाता है कि पूर्व में करीब छे साल पहले 2013 में ही निर्मल कुमार महतो का प्रतीनियोजन बीआरसी में किया गया था तब से लेकर अब तक वो बीआरसी में लेखपाल बने हैं जबकि इधर एक साल पहले निर्मल कुमार उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय का एचएम भी बन गये हैं , बावजूद एचएम रहते हुए भी बीआरसी में लेखपाल बने रहना एक तरफ जहां विभागीय निर्देशों कि अवहेलना है वहीं अधिकारियों कि इस मामले में बरती जा रही उदसीनता शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार कि पोल खोल रही है .जबकि लेखपाल के पद के लिए बीआरसी में अन्य बीआरपी भी हैं ऐसे में एक हेडमास्टर को जबरन लेखपाल बनाये रखा जाना किसी बड़े घोटाले कि ओर भी इशारा कर रही है .
–लेखपाल के इस खेल में तत्कालीन बीइओ से लेकर डिपिओ डीइओ तक की मौन स्वीकृति है .तभी तो एक ही स्कूल के तीन शिक्षक बीआरसी में कार्यरत होने के बाद भी विभाग मौन है , मालूम हो कि उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय बिशनपुर के तीन शिक्षक बीआरसी में कार्यरत हैं , जिसमें स्कूल के एचएम निर्मल कुमार महतो जो बीआरसी में प्रतिनियोजित होकर लेखपाल बने हैं , दूसरा नीरज कुमार बीआरसी में ही प्रतिनियोजित हैं , जबकि तीसरा शिक्षक शोभाकांत झा बीआरपी हैं जो बीआरसी में कार्यरत हैं .ऐसे में सवाल उठाना लाजिमी है कि उक्त स्कूल में शिक्षको की कमी के बावजूद भी किस आधार पर उस विद्यालय के शिक्षकों प्रतिनियोजन बीआरसी में किया गया , जबकि विभागीय निर्देश के अनुसार प्रतिनियोजन करना सख्त मना है .
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–लगातार बर्षो से चल रहे प्रतिनियोजन के इस खेल में प्रखंड से लेकर जिला तक के अधिकारियों की संलिप्तता उजागर तो हो ही रही है लेकिन जान बूझकर एक शिक्षक को बर्षो से बीआरसी में प्रतिनियोजीत कर लेखपाल बनाये जाने के पीछे क्या राज है ये तो आगे आने वाला समय में जांच के बाद ही सामने आ पायेगा
इस बीच दिलचस्प बात ये भी है की जुलाई 2019 में पूर्व बीइओ सूर्यदेव प्रसाद का तबादला हो गया है और नए बीइओ ने पूनम सिन्हा ने पदभार ग्रहण किया लेकिन नए बीइओ आज तक प्रभार नहीं मिल सका है जो कही ना कही विभाग में व्याप्त अनियमितता की पोल खोल रही है , खास बात ये भी है की जब उक्त हेडमास्टर सह लेखपाल निर्मल कुमार से इस बाबत पूछा गया तो उन्होने कहा की तत्कालीन बीइओ सूर्यदेव प्रसाद उनसे लेखा पाल का प्रभार तबादला होने के दौरान ले लिया था , जाहिर है विभागीय नियमों के अनुसार किसी भी पद का प्रभार आने वाले पदाधिकारी को देनी होती है जबकि पिपरा बीआरसी में इसके विपरीत जाने वाले पदाधिकारी को आनन फानन में जानबूझकर प्रभार दिया गया जो जांच का विषय है ,
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–पिपरा बीआरसी में लेखपाल प्रभार का मामला उलझता जा रहा है खास बात ये भी है की इस मामले में विभाग द्वारा भी उदसीनता बरती जा रही है , बीआरपी के रहते एक हेडमास्टर को लेखापाल बनाये रखने के पीछे किसकी क्या मंशा है इसकी जांच होनी चाहिये , ये भी हो सकता है की किसी बड़े मामले को लेकर मुठ्ठी के शिक्षक को लेखपाल बनाया हुआ है ताकि दूसरे के हाथ ये प्रभार चले जाने से मामला उजागर होने का खतरा हो सकता है खैर ये तो जांच का विषय है जांच के बाद ही मामला सामने आ पायेगा लेकिन लेखपाल का ये मामला जिले भर में खूब सुर्खी बटोर रहा है .

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