चुपचाप मारने वाला वायरस अब ‘किलर कैंसर वायरस’ घोषित
नई दिल्ली, 3 अगस्त 2025 — विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक गंभीर चेतावनी जारी करते हुए ‘हेपेटाइटिस D’ वायरस को लिवर कैंसर की प्रमुख वजहों में से एक बताया है। यह वायरस अब सिर्फ एक सामान्य संक्रमण नहीं, बल्कि एक ‘किलर वायरस’ के रूप में सामने आया है जो शरीर को अंदर से खा जाता है। WHO की कैंसर अनुसंधान एजेंसी IARC ने इस वायरस को कैंसरकारी यानी कार्सिनोजेनिक घोषित कर दिया है।
क्या है Hepatitis D? क्यों है यह इतना घातक?
हेपेटाइटिस D (HDV) एक रियल वायरस है जो अपने आप शरीर को संक्रमित नहीं कर सकता, लेकिन यह हेपेटाइटिस B वायरस के सहारे शरीर में घुसता है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी को पहले से हेपेटाइटिस B है, तभी हेपेटाइटिस D उस व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है।
WHO के अनुसार, HDV लिवर कैंसर का खतरा 2 से 6 गुना तक बढ़ा सकता है, जबकि अकेले हेपेटाइटिस B से यह खतरा कम होता है।
Hepatitis D कैसे फैलता है?
- संक्रमित खून के संपर्क में आने से
- दूषित सुई, ब्लेड, या टैटू उपकरणों के प्रयोग से
- असुरक्षित यौन संबंधों से
- संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से
लक्षण क्या हैं?
हेपेटाइटिस D से संक्रमित व्यक्ति को निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
- थकावट और कमजोरी
- उल्टी और मिचली
- पेट में दर्द
- पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना)
- भूख की कमी
- हल्का बुखार
इन लक्षणों को आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिससे यह बीमारी बिना पता चले जानलेवा स्थिति तक पहुंच सकती है।
WHO की रिपोर्ट: हर 30 सेकंड में हेपेटाइटिस से एक मौत
WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम ने कहा कि हर 30 सेकंड में दुनिया में हेपेटाइटिस से एक व्यक्ति की मौत हो रही है, और हेपेटाइटिस D इसका एक महत्वपूर्ण कारण बनता जा रहा है। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में लगभग 4.8 करोड़ लोग हेपेटाइटिस D से पीड़ित हैं।
लिवर कैंसर का बड़ा खतरा
हाल ही में प्रकाशित Journal of Hepatology की रिपोर्ट में यह सामने आया है कि HDV से संक्रमित लोगों में लिवर कैंसर का जोखिम 200% तक बढ़ जाता है। यह वायरस लिवर फाइब्रोसिस और सिरोसिस को भी बढ़ावा देता है, जो कैंसर का सीधा रास्ता बन जाता है।
क्या है इसका इलाज? क्या कोई वैक्सीन है?
हेपेटाइटिस D का कोई अलग से वैक्सीन मौजूद नहीं है। लेकिन हेपेटाइटिस B का टीका लगवाकर इस वायरस से बचाव संभव है, क्योंकि HDV सिर्फ HBV संक्रमित व्यक्ति को ही प्रभावित करता है।
बचाव के उपाय:
- हेपेटाइटिस B का टीकाकरण कराएं
- खून या तरल पदार्थों के सीधे संपर्क से बचें
- संक्रमित सुई या उपकरणों का उपयोग न करें
- यौन संबंधों में सावधानी बरतें
- नियमित रूप से लिवर फंक्शन टेस्ट कराएं
विशेषज्ञों की राय
AIIMS के वरिष्ठ गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. राजेश तिवारी का कहना है कि “भारत में हेपेटाइटिस की स्थिति बेहद चिंताजनक है। लिवर कैंसर के मामलों में HDV की भूमिका अब पहले से कहीं ज्यादा साफ हो गई है। हमें पब्लिक हेल्थ पॉलिसी में बदलाव लाने की जरूरत है।”
भारत में क्या स्थिति है?
भारत में हेपेटाइटिस B और D दोनों की जागरूकता काफी कम है। ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमित सुइयों और ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए ये वायरस तेजी से फैलता है। हेल्थ सर्वे के अनुसार, भारत में करीब 10 लाख लोग हेपेटाइटिस D से ग्रसित हो सकते हैं, लेकिन आधे से ज्यादा लोगों को इसका पता ही नहीं होता।
सरकार की ओर से क्या कदम?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने WHO की चेतावनी को गंभीरता से लिया है और राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में हेपेटाइटिस B वैक्सीन को अनिवार्य बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान और ब्लड बैंक रेगुलेशन को और सख्त किया जा रहा है।
निष्कर्ष: अब सतर्क होना ज़रूरी है!
हेपेटाइटिस D कोई आम बीमारी नहीं रह गई है। यह एक साइलेंट किलर है जो बिना लक्षण के शरीर को अंदर से नष्ट करता है। WHO द्वारा इसे कैंसरकारी घोषित किया जाना इस खतरे की गंभीरता को दर्शाता है।
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