मामला नागौद के महिला उत्पीड़न का
सतना – व्यवस्था जब निरकुशं हो जाती है तब किसी कलम को ही उसका नकाब नोचने के लिए ही आगे आना पड़ता । महिला सुरक्षा के प्रति के प्रवचन देने वाले व्यवस्था के व्यवस्थापको को जिस दिन यह आत्मज्ञान हो जाएगा कि वे भी किसी बेटी के बाप है, महिला उत्पीड़न पर बहुत कुछ लगाम लग जाएगी । दिक्कत यह है कि कई व्यवस्थापक नकल के लिए बदनाम विंध्य के ही निवासी हैं जाहिर है उन्हें नकल कर योग्यता प्रमाण पत्र लेना और जातिवाद की घुट्टी ही पिलाई गई है । ऐसे में उन्हें यही नहीं पता कि सामाजिक दायित्व व संवेदनशीलता क्या होता है । यह भी सच है कि कहीं तुच्छ ल विकृत राजनीति का दबाव होता है तो कहीं “गांधी छाप” का लालच । लेकिन मन दिमाग और विवेक तो अपना होता है, यह माना कि कलयुग में नेता व धन ही भगवान है, लेकिन असली भगवान तो ऊपर नीली छतरी के नीचे बैठे हैं । तब तो इंसान को इंसानियत का बोध होना ही चाहिए । लेकिन क्या कीजिए अगर रावण नहीं होता तो प्रभु श्री राम को समाज के लिए आदर्श व मर्यादा का आईना दिखाने का अवसर कैसे मिलता । नागौद में मजबूरी में महिला द्वारा खाया गया जहर रावण गाथा की याद दिलाता है । कई दिनों से न्याय के लिए भटक रही महिला को यदि समय रहते न्याय मिल जाता तो नीली छतरी वाले के यहां एडीजी वेंकटेश राव व पुलिस कप्तान धर्मवीर सिंह यादव की परीक्षा कैसे होती । हमारे आंचलिक समाचार के द्वारा बताया कि मामला संज्ञान में आते ही 4 आरोपियों को पकड़ लिया गया है और कार्यवाही जारी है । ऐसे मामले पुलिस को कलंकित करते हैं जब समाज के दुश्मनों को सेना अभयदान दे देती है और न्याय के लिए कमांडर को मोर्चे पर जाना पड़ता है । फिलहाल इस प्रकरण में एक बार फिर यह दिखाया है कि संवेदनशीलता क्या होती है ।
आंचलिक समाचार का असर पुलिस कप्तान ने चार को गिरफ्तार किया- आंचलिक ख़बरें – मनीष गर्ग
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